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मनिका: नाबालिग के प्रताड़ना मामले पर हाइकाेर्ट ने रविवार को लिया स्वत: संज्ञान, उपायुक्त से रिपाेर्ट मांगी मुआवजे का भी निर्देश

रांची : लातेहार जिले के मनिका थाने में नाबालिग काे यातना के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. रविवार को चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने मामले में पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. साथ ही उन्होंने पीड़िता के परिवार को अंतरिम मुआवजा के ताैर पर तत्काल […]

रांची : लातेहार जिले के मनिका थाने में नाबालिग काे यातना के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. रविवार को चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने मामले में पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. साथ ही उन्होंने पीड़िता के परिवार को अंतरिम मुआवजा के ताैर पर तत्काल 50,000 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया. नाबालिग का समुचित आैर बेहतर इलाज का भी निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के पूर्व अनुपालन प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा. उन्होंने राज्य सरकार, स्वास्थ्य सचिव, डीजीपी, लातेहार के डीसी व एसपी को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया.

प्रतिवादियों को घटना के कारण, अंतरिम व अंतिम दोनों तरह के उठाये गये कदम, इस मामले में क्या कार्रवाई की गयी, भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो, उसके लिए क्या कदम उठाये गये, से संबंधित जवाब दाखिल करने को कहा. वहीं लातेहार उपायुक्त को 22 जून को सुबह 10.30 बजे रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई 22 जून को होगी. चीफ जस्टिस ने कांके रोड स्थित अपने आवासीय कार्यालय में मीडिया रिपोर्टों को देखने के बाद मामले को गंभीरता से लिया.
यह काफी गंभीर मामला है : चीफ जस्टिस ने कहा : यह काफी गंभीर मामला है.

पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 160(1) के प्रावधानों का पालन नहीं किया. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया है. पुलिस जांच के बुनियादी मानदंडों (बेसिक नॉर्म्स) का भी पालन नहीं कर रही है. पुलिस नाकाम रही है. पुलिस द्वारा न सिर्फ आपराधिक संहिता का उल्लंघन किया गया है, बल्कि उसकी कार्रवाई भी अपराध है. चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला भी दिया. उन्हाेंने मानवाधिकार व बाल अधिकारों के संरक्षण पर चिंता जतायी, कहा : पुलिस हिरासत में यातना देना मानव की गरिमा व अधिकारों का खुला उल्लंघन माना गया है. यह कृत्य क्षम्य नहीं है. इस तरह की घटना से मानव गरिमा को नुकसान पहुंचता है. सभ्यता एक कदम पीछे चली जाती है.

झालसा व ज्यूडिशियल एकेडमी को दिया गया निर्देश
चीफ जस्टिस ने झालसा के सदस्य सचिव को इस मामले को प्राथमिकता से लेने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि संबंधित जिला प्रशासन से समन्वय कर विधिसम्मत कार्रवाई की जाये. झारखंड की पुलिस को प्रशिक्षण की जरूरत है. इस संवेदनशील मुद्दे को उठाने के लिए झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी को निर्देश दिया गया. ज्यूडिशियल एकेडमी पुलिस को प्रशिक्षण मुहैया करा सकती है.
क्या है मामला
लातेहार की मनिका पुलिस ने एक मामले में नाबालिग को 14 जून की सुबह आठ बजे पूछताछ के लिए थाना बुलाया था. पूछताछ के दाैरान उसे 10 घंटे तक यातना दी गयी. डंडे से मारा गया. गला दबाया गया. उसकी हालत खराब हो जाने पर उसे शाम छह बजे छोड़ दिया गया. परिजन उसे लेकर नजदीकी अस्पताल पहुंचे. वहां से रिम्स जाने की सलाह दी गयी. परिजन नाबालिग को लेकर इलाज के लिए रिम्स पहुंचे. फिलहाल रिम्स के मेडिसिन विभाग में डाॅ उमेश प्रसाद की यूनिट में उसका इलाज चल रहा है. पीड़िता भयभीत है, वह सामान्य नहीं हो पायी है.

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