हजरत अली की बेमिसाल जिंदगी

डॉ एस एम अब्बास पैगंबर मोहम्मद (स) के बाद स्थापित इसलामिक हुकूमत के चौथे खलीफा व चाहनेवालों के पहले इमाम हजरत अली एक बा-कमाल, बेमिसाल रहबर थे. काबे में जन्मे हजरत अली ने आंख खोल कर सबसे पहले हजरत मोहम्मद (स) का दर्शन किया. पैगंबर (स) के एलान पर 10 साल की आयु में हजरत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2016 6:35 AM
डॉ एस एम अब्बास
पैगंबर मोहम्मद (स) के बाद स्थापित इसलामिक हुकूमत के चौथे खलीफा व चाहनेवालों के पहले इमाम हजरत अली एक बा-कमाल, बेमिसाल रहबर थे. काबे में जन्मे हजरत अली ने आंख खोल कर सबसे पहले हजरत मोहम्मद (स) का दर्शन किया. पैगंबर (स) के एलान पर 10 साल की आयु में हजरत खदीजा के साथ इसलाम में शामिल हो गये. इसके साथ ही प्रारंभ हो गया पैगंबर (स) का साहब का संघर्ष और अली का उनके साथ-साथ चलना.
तंग कर रहे बच्चों को वे भी गुलाल चला कर भगाते, ताकि पैगंबर साहब की तकलीफ कम हो. पिता हजरत अबू तालिब उन्हें रात में रक्षा नीति के तहत हजरत मोहम्मद (स) के बिस्तर पर सुलाते. सालों बाद जब पैगंबर (स) मक्का से मदीना हिजरत को मजबूर हुए, तो हजरत अली को अपने बिस्तर पर सुला कर गये, ताकि शत्रुओं को शक न हो और वे पीछा न कर सके. बाद में सब की अमानत लौटा कर वे भी मदीना में पैगंबर से जा मिले.
कुरआन शरीफ की एक आयत ने हजरत अली (रजि) के इस बेखौफ अमल की तारीफ की. पैगंबर (स) ने भी अपनी चहेती बेटी फातिमा जहरा, जिन्हें वह औरतों की सरदार कहते थे, की शादी हजरत अली से की. और अपने नवासे हसन व हुसैन को जन्नत के जवानों का सरदार बताया. रसूल (स) ने हजरत अली को अपने ही नूर का टुकड़ा बताया. और अपने को इल्म का केंद्र बताते हुए हजरत अली को उसका दरवाजा करार दिया.
हजरत अली जंग के मैदान में बहादुरी तथा रुहानी आत्मिक प्रार्थना के अग्रीम कहलाये. पैर में घाव कर चुभे तीर को भी नमाज के दौरान निकाला गया और उन्हें पता नहीं चला. कोई आश्चर्य नहीं कि दुनिया भर में फैली सूफी-संतों का समूह पैगंबर तथा अली व उनके परिवार का दम भरते नहीं थकता.
उदारवादी सदैव इनसे बड़ी उम्मीद रखते रहे हैं. हजरत अली धार्मिक आतंकवाद के पहले शिकार होकर हालते नमाज में मसजिदे कुफे में शहीद कर दिये गये. सन 40 हिजरी की 21 रमजान उल मुबारक हजरत अली की शहादत की तारीख है.

Next Article

Exit mobile version