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राजनाथ ने कहा, बिहार-झारखंड के मुख्य सचिव सहमति से हल करें बंटवारे का मुद्दा

रांची : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां कहा कि बिहार-झारखंड के बंटवारे से जुडे मसले दोनों राज्यों के मुख्य सचिव शीघ्र बैठक कर आपसी सहमति से हल करेंगे. पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की 22वीं बैठक की अध्यक्षता करने के बाद आज यहां भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आईआईसीएस) में पत्रकारों से बातचीत करते हुए […]

रांची : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां कहा कि बिहार-झारखंड के बंटवारे से जुडे मसले दोनों राज्यों के मुख्य सचिव शीघ्र बैठक कर आपसी सहमति से हल करेंगे. पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की 22वीं बैठक की अध्यक्षता करने के बाद आज यहां भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आईआईसीएस) में पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने यह बात कही.

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘राज्यों-राज्यों के बीच में बहुत सारे मसले थे जिन्हें हम हल नहीं कर पा रहे थे. लेकिन आज की बैठक में बडी संख्या में मसलों को हल करने में हमने सफलता पायी है. शेष मसलों को भी जल्दी से जल्दी बैठकर हल किया जायेगा. बिहार-झारखंड के बंटवारे को लेकर जो मामले थे उस संबंध में तय हुआ है कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव साथ बैठेंगे और इनका हल आपसी सहमति के आधार पर निकालेंगे.’
सिंह ने कहा, ‘‘दोनों राज्यों के मुख्य सचिव आवश्यक होने पर एक बार, दो बार, चार बार भी साथ बैठेंगे लेकिन आपसी सहमति के आधार पर ही मसलों का हल निकाला जायेगा.’ उन्होंने कहा कि आवश्यक हुआ तो दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी इन मसलों के हल के लिए एक साथ बैठेंगे और विचारविमर्श करेंगे.
इस बीच बैठक से बाहर निकलते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि झारखंड के साथ बिहार के नौ लंबित मामले थे जिनमें से एक आज हल हो गया.उन्होंने कहा कि बिहार के बंटवारे के बाद जिन इलाकों को जोडकर झारखंड बना उन इलाकों के पुराने राजस्व नक्शे बिहार सरकार झारखंड को सौंप देगी.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि झारखंड और बिहार पडोसी राज्य हैं और उनकी संस्कृति और रहनसहन बिलकुल एक जैसे हैं क्योंकि मूलत: दोनों एक ही राज्य थे. उसे देखते हुए दोनों के बीच जो भी बकाये मसले हैं उन्हें आपसी समझ के आधर पर ही हल किया जाना चाहिए. इन मामलों में विवाद का कोई लाभ नहीं है.इससे पूर्व झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने परिषद् की बैठक में झारखंड राज्य का पक्ष रखा और अन्य मामलों के साथ बिहार के साथ झारखंड के बंटवारें से जुडे मामलों को पुरजोर ढंग से उठाया.
रघुवर दास ने दोनों राज्यों के बीच पेंशन दायित्वों के बंटवारे का निर्धारण उत्तराखंड एवं छत्तीसगढ राज्यों की तरह जनसंख्या के आधार पर करने की मांग दोहरायी . उन्होंने कहा कि विभाजन के समय उपर्युक्त दोनों राज्यों के सिद्धान्त को झारखंड के मामले में नहीं अपनाया गया जिसके कारण राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय भार पडा. यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन इसका हल अदालत के बाहर ही किया जाना बेहतर होगा.
इसी प्रकार उन्होंने दिल्ली स्थित बिहार भवन और स्टेट गेस्ट हाउस अब तक झारखंड को हस्तांतरित न किये जाने का मामला भी उठाया. उन्होंने सैनिक कल्याण निदेशालय के उपयोग हेतु उपलब्ध एकीकृत निधि के संपत्ति के बंटवारे की भी बात सामने रखी.
दास ने बिहार-झारखंड के बीच दायित्वों एवं आस्तियों के बंटवारे के निर्धारण की बात उठायी और कहा कि इनमें से अनेक मामले अब सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं लेकिन इनको अदालत के बाहर हल करने के लिए पहल की जानी चाहिए. गृहमंत्री ने इन्हीं मामलों को निपटाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक किये जाने की व्यवस्था पर मुहर लगायी.

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