हेरिटेज गार्डेन : कहीं नहीं दिखता कागज का भी टुकड़ा
रांची शहर के कई ऐसे मुहल्ले हैं, जहां के लोगों ने अपने सामूहिक प्रयास से इसे स्मार्ट कॉलोनी में बदल दिया है. यह बदलाव स्व अनुशासन तथा यहां के लोगों के अपने व्यवहार में परिवर्तन से संभव हुआ है. ऐसे प्रयास न सिर्फ सरकार के लिए, बल्कि शहर के लोगों के लिए भी अनुकरणीय हैं. […]
रांची शहर के कई ऐसे मुहल्ले हैं, जहां के लोगों ने अपने सामूहिक प्रयास से इसे स्मार्ट कॉलोनी में बदल दिया है. यह बदलाव स्व अनुशासन तथा यहां के लोगों के अपने व्यवहार में परिवर्तन से संभव हुआ है. ऐसे प्रयास न सिर्फ सरकार के लिए, बल्कि शहर के लोगों के लिए भी अनुकरणीय हैं. हर छोटी-बड़ी कमी या समस्या के लिए सिर्फ सरकार को दोष देने के अपने मानस से हमें उबरना होगा. हमारे अपने ही शहर के कई साफ-सुथरे मोहल्ले व कॉलोनियों का भी संदेश यही है. हम आज से एेसे ही साफ-सुथरा व प्रेरणादायी मोहल्लों व कॉलोनियों के बारे खबर प्रकाशित करेंगे. आज पढ़ें हेरिटेज गार्डेन कॉलोनी (वार्ड नंबर सात) के बारे में.
उत्तम महतो
रांची : सुरेंद्र नाथ स्कूल के सामने बनी है हेरिटेज गार्डेन कॉलोनी. वार्ड संख्या सात की इस कॉलोनी की कुछ बातें खास हैं. करीब साढ़े चार एकड़ में फैली इस कॉलोनी में कुल 47 बंगले व डुप्लेक्स हैं. यहां के सभी मकानों का आकार-प्रकार एक जैसा होना ही इसकी सुंदरता है. करीब पांच सौ की आबादी वाली इस कॉलोनी में ढ़ूढ़ने पर भी कहीं एक एक कागज का टुकड़ा नहीं दिखता. यहां की सभी सड़कें चकाचक हैं. कॉलोनी के हर घर का अपना डस्टबीन है. घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को रोज निगम के सफाई कर्मचारी उठाने आते हैं. इस काॅलोनी का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से अंडरग्राउंड है. ड्रेनेज में 30-30 मीटर की दूरी पर शॉकपिट भी बनाया गया है. इससे नाली में बहने वाला या फिर बारिश का पानी धरती में समा जाता है. इस व्यवस्था के कारण गत 12 वर्षों में कभी भी कॉलोनी की सड़कों पर जलजमाव नहीं हुआ है.
रांची : सुरेंद्र नाथ स्कूल के सामने बनी है हेरिटेज गार्डेन कॉलोनी. वार्ड संख्या सात की इस कॉलोनी की कुछ बातें खास हैं. करीब साढ़े चार एकड़ में फैली इस कॉलोनी में कुल 47 बंगले व डुप्लेक्स हैं. यहां के सभी मकानों का आकार-प्रकार एक जैसा होना ही इसकी सुंदरता है. करीब पांच सौ की आबादी वाली इस कॉलोनी में ढ़ूढ़ने पर भी कहीं एक एक कागज का टुकड़ा नहीं दिखता. यहां की सभी सड़कें चकाचक हैं. कॉलोनी के हर घर का अपना डस्टबीन है. घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को रोज निगम के सफाई कर्मचारी उठाने आते हैं. इस काॅलोनी का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से अंडरग्राउंड है. ड्रेनेज में 30-30 मीटर की दूरी पर शॉकपिट भी बनाया गया है. इससे नाली में बहने वाला या फिर बारिश का पानी धरती में समा जाता है. इस व्यवस्था के कारण गत 12 वर्षों में कभी भी कॉलोनी की सड़कों पर जलजमाव नहीं हुआ है.
खूब है हरियाली
हेरिटेज गार्डेन कॉलोनी में प्रवेश करते ही सड़क के किनारे लगे पाम ट्री आगंतुकों का स्वागत करते हैं. करीब 11 फीट चौड़ी इस सड़क के किनारे समान अंतराल पर फलदार वृक्ष भी लगे हैं. अच्छी देखरेख के कारण इन पौधों पर फल भी लटके हुए हैं. इसके अलावा बच्चों के मनोरंजन व खेलकूद के लिए यहां ओपेन स्पेस पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. कॉलोनी के एक पार्क में जहां बच्चों के लिए झूले लगे हैं, वहीं एक पार्क में हरी-हरी घास लगी हुई है. समय-समय पर यहां लोगों की गैदरिंग कल्चरल एक्टिविटी के रूप में होती है.
मेंटेनेंस चार्ज प्रति माह एक हजार रुपये : कॉलोनी में डेवलपमेंट वर्क के लिए एक सोसाइटी का भी गठन किया गया है. इसके लिए हर घर से प्रतिमाह एक हजार रुपये लिये जाते हैं. इसी राशि से मुहल्ले में स्ट्रीट लाइट का मेंटनेंस किया जाता है. साथ ही चार-चार नाइट गार्ड, माली व अन्य लोगों के वेतन का भुगतान किया जाता है. इसके अलावा साफ-सफाई सहित अन्य डेवलपमेंट वर्क भी किये जाते हैं.
मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं जाना पड़ता बाहर
कॉलोनी के चारों अोर बड़ी चहारदीवारी होने के कारण बाहरी लोगों की आवाजाही यहां न के बराबर होती है. वहीं अच्छी सड़क व बेहतर अोपेन स्पेस होने के कारण कॉलोनी के लोगों को मॉर्निंग वॉक के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता है.
आज के परिवेश में सारा कुछ सरकार व निगम के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है. हमें भी अपनी भागीदारी निभानी होगी. जिस दिन शहर के लोग शहर की साफ-सफाई में सहभागिता करने लगेंगे, उस दिन शहर का हर एक मुहल्ला साफ-सुथरा होगा.
कुमुद झा, बिल्डर सह निवासी, हेरिटेज गार्डेन