बाबूलाल समेत तीन गवाहों का क्रॉस एग्जामिन, झाविमो ने किया सवाल अगर पार्टी का विलय हुआ, तो चुनाव आयोग को सूचना क्यों नहीं है?

रांची: भाजपा में शामिल हुए झाविमो के छह विधायकों के दलबदल के मामले में मंगलवार काे स्पीकर दिनेश उरांव ने सुनवाई की. प्रतिवादी (छह विधायकाें की ओर से) पक्ष की ओर से झाविमो के तीन गवाहों का क्रॉस एग्जामिन किया गया. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, उपाध्यक्ष डॉ सबा अहमद और कोषाध्यक्ष केके पोद्दार का प्रतिवादी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2016 6:22 AM
रांची: भाजपा में शामिल हुए झाविमो के छह विधायकों के दलबदल के मामले में मंगलवार काे स्पीकर दिनेश उरांव ने सुनवाई की. प्रतिवादी (छह विधायकाें की ओर से) पक्ष की ओर से झाविमो के तीन गवाहों का क्रॉस एग्जामिन किया गया. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, उपाध्यक्ष डॉ सबा अहमद और कोषाध्यक्ष केके पोद्दार का प्रतिवादी पक्ष के वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने क्रॉस एग्जामिन किया. प्रतिवादी पक्ष का जोर था कि झाविमो के छह विधायक दल छोड़ कर भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, बल्कि झाविमो का भाजपा में विलय हो गया. वहीं, वादी पक्ष की ओर से बाबूलाल मरांडी, डॉ सबा अहमद और केके पोद्दार ने इसे खारिज किया. गवाहों का कहना था कि विलय से संबंधित कोई सूचना पार्टी को नहीं है.
खराब प्रदर्शन के बाद हुई थी विलय की बात : प्रतिवादी
प्रतिवादी का कहना था कि पिछले चुनाव से प्रदर्शन खराब होने की वजह से कार्यकर्ताओं और विधायकों की राय थी कि भाजपा में विलय कर लिया जाये. पार्टी की बैठकों में इससे संबंधित बात भी हुई थी. वहीं झाविमो की ओर दो टूक कहा गया कि ऐसी कोई राय पार्टी के अंदर नहीं आयी थी. पार्टी की बैठकों में केवल संगठन को मजबूत करने पर बातें हुईं. बाबूलाल से लेकर दूसरे सभी गवाहों का कहना था कि पदाधिकारी हों या फिर विधायक व्यक्तिगत कारणों से पार्टी छोड़ कर गये हैं.
किसी पक्ष से नहीं दी गयी विलय की सूचना : वादी
सुनवाई की कार्यवाही शुरू होते ही वादी पक्ष से प्रदीप यादव और अधिवक्ता आरएन सहाय ने न्यायाधिकरण को बताया कि चुनाव आयोग का पत्र आरटीआइ के तहत मिला है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधान के तहत पार्टी के नाम, पता से लेकर किसी तरह का बदलाव होता है, तो इसकी सूचना चुनाव आयोग को अविलंब देनी है. झाविमो के विलय की सूचना किसी भी पक्ष से नहीं दी गयी है. आयोग ने अपने पत्र में खुद यह बात लिखी है. इसलिए विलय की बात खारिज करें. वादी पक्ष की ओर से आयोग का पत्र बतौर साक्ष्य न्यायाधिकरण को उपलब्ध कराया गया़
लाइव : बाबूलाल मरांडी से सवाल-जवाब
सवाल : आप पार्टी के क्या हैं?
बाबूलाल : मैं पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष हूं.
सवाल : पार्टी के कितने विधायक चुनाव जीत कर आये?
बाबूलाल : आठ विधायक चुनाव जीत कर आये थे.
सवाल : उससे पहले के चुनाव में कितने विधायक चुने गये थे?
बाबूलाल : उससे पहले पार्टी से 11 विधायक चुनाव जीत कर आये थे.
सवाल : उस समय कितने सांसद थे?
बाबूलाल : दो सांसद थे. एक उपचुनाव में जीते थे. (प्रदीप यादव, अधिवक्ता और बाबूलाल ने कहा कि इन सवालों को इस केस से कोई ताल्लुकात नहीं है, क्यों पूछ रहे है? प्रतिवादी पक्ष ने कहा : ताल्लुकात है.)
सवाल : पिछले लोकसभा चुनाव में आप कहां से चुनाव लड़े थे, क्या स्थान था?
बाबूलाल : मैं दुमका से लड़ा था, तीसरे स्थान पर रहा.
सवाल : पार्टी का खराब प्रदर्शन हुआ, इसको लेकर पार्टी में कोई चर्चा?
बाबूलाल : चुनाव में हार-जीत होती है. चुनाव में परिस्थिति अलग-अलग होती है. पार्टी में चर्चा तो होती ही हैं.
सवाल : कार्यकर्ताओें ने खराब प्रदर्शन पर चर्चा की थी?
बाबूलाल : स्वाभािवक तौर पर चर्चा हुई थी. (प्रदीप यादव ने टोका : इन सवालों का कोई मतलब नहीं है, जानबूझ कर बहस लंबा करना चाहते हैं. प्रतिवादी पक्ष ने विरोध किया, कहा : मुझे सवाल पूछने दें, जरूरी है.)
सवाल : पिछले चुनाव से पहले भी विधायक दूसरी पार्टी में गये थे?
बाबूलाल : चुनाव के समय में दल छोड़ कर गये थे. आना-जाना लगा रहता है.
सवाल : छड़वा डैम में क्या हुआ था, कुछ याद है?
बाबूलाल : पार्टी का महाधिवेशन हुआ था.
सवाल : उसमें क्या प्रस्ताव पारित हुआ था, कुछ याद है.
बाबूलाल : याद नहीं है. राजनीतिक प्रस्ताव आते हैं. उसको याद रखना जरूरी नहीं हैं. आप लिखित में पूछते तो बता देते.
सवाल : काेई रिजोल्यूशन पास हुआ था कि आप एमपी चुनाव नहीं लड़ेंगे?
बाबूलाल : ऐसा कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ था. राजनीतिक प्रस्ताव पास होते हैं.
सवाल : नौ फरवरी को कोई नोटिस आपको मिला था?
बाबूलाल : हमें कौन नोटिस करेगा? (बहस के दौरान कुछ ऐसे ही सवाल बहस के दौरान बाबूलाल सहित दूसरे गवाहों से पूछे गये)

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