डायन के नाम पर होनेवाली घटनाओं को रोके सरकार
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि राज्य में डायन के नाम पर होनेवाली घटनाअों को बरदाश्त नहीं किया जाना चाहिए. सरकार को प्रभावी तरीके से इस पर रोक लगाने की जरूरत है. डायन-बिसाही व मानव तस्करी राज्य के लिए ज्वलंत मुद्दे हैं. इसे रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाया जाना चाहिए. चीफ जस्टिस […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि राज्य में डायन के नाम पर होनेवाली घटनाअों को बरदाश्त नहीं किया जाना चाहिए. सरकार को प्रभावी तरीके से इस पर रोक लगाने की जरूरत है. डायन-बिसाही व मानव तस्करी राज्य के लिए ज्वलंत मुद्दे हैं. इसे रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाया जाना चाहिए. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के सदस्य सचिव से संपर्क कर प्रभावी जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया.
कहा कि डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वास से प्रभावित जिलों से अभियान की शुरुआत की जाये. खंडपीठ ने राज्य सरकार को वर्ष 2015 व 2016 में डायन के नाम पर हुई घटनाअों की जानकारी देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि विभाग फिल्म निर्देशक प्रकाश झा के साथ मिल कर 35-40 मिनट की डाक्यूमेंटरी फिल्म बनाये़ इससे अभियान के दाैरान लोगों को जागरूक करने में सहायता मिलेगी. मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तिथि निर्धारित की गयी.
3854 से अधिक घटनाएं : राज्य सरकार द्वारा खंडपीठ को बताया गया कि डायन-बिसाही की लगभग 3854 से अधिक घटनाएं हुई हैं. खूंटी-गुमला में सबसे अधिक घटनाएं होती हैं. लोगों में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. उल्लेखनीय है कि पूर्व में डायन-बिसाही के नाम पर हो रही हत्याअों को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे पीआइएल में बदल दिया था.