शाह ब्रदर्स के लिए माइनिंग चालान निर्गत करने का आदेश
सुनील चौधरी रांची : शाह ब्रदर्स की चाईबासा स्थित लौह अयस्क खदान के लिए फारवार्डिंग नोट व माइनिंग चालान निर्गत करने का आदेश खान विभाग ने दिया है. इससे संबंधित आदेश चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी को दिया गया है. शाह ब्रदर्स की चाईबासा में करमपदा लौह अयस्क खदान है. पिछले दिनों खान विभाग ने […]
सुनील चौधरी
रांची : शाह ब्रदर्स की चाईबासा स्थित लौह अयस्क खदान के लिए फारवार्डिंग नोट व माइनिंग चालान निर्गत करने का आदेश खान विभाग ने दिया है. इससे संबंधित आदेश चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी को दिया गया है. शाह ब्रदर्स की चाईबासा में करमपदा लौह अयस्क खदान है.
पिछले दिनों खान विभाग ने करमपदा के लिए शाह ब्रदर्स के लीज को रद्द कर दिया था, जिसे कंपनी ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. फिर हाइकोर्ट ने रद्द करने के आदेश पर स्टे लगा दिया, पर विभाग द्वारा माइनिंग चालान नहीं दिये जाने से खदान चालू नहीं हो सकी. इसके बाद कंपनी ने कोर्ट में अवमाननावाद दाखिल किया. तब हाइकोर्ट ने तत्काल फारवार्डिंग नोट देने का अादेश दिया. अब विभाग द्वारा माइनिंग चालान निर्गत किया जायेगा. अगले दो से तीन दिनों में शाह ब्रदर्स की करमपदा स्थित लौह अयस्क खदान से उत्पादन शुरू होने की संभावना है.
मई 2014 के बाद सरकार ने सभी लौह अयस्क खदानों के ऑपरेशन पर लगा दी थी रोक, विभाग ने रद्द कर दिया था लीज
झारखंड सरकार द्वारा मई 2014 के बाद लीज नवीकरण के लिए लंबित सभी लौह अयस्क खदानों के अॉपरेशन पर रोक लगा दी गयी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने 22 जनवरी 2016 को 18 लौह अयस्क खदानों के लीज विस्तारीकरण को रद्द कर दिया. फिर तीन अन्य खदानों के लीज रद्द करने का आदेश मुख्यमंत्री की सहमति के बाद चार अप्रैल 2016 को जारी किया गया.
विभाग द्वारा इससे संबंधित आदेश एक अप्रैल 2016 की तिथि से जारी है, जिसमें शाह ब्रदर्स, पदम कुमार जैन व अनिल कुमार खीरवाल की खदानों पर आदेश जारी किया गया था. शाह ब्रदर्स ने इस आदेश को चुनौती दी, साथ ही पदम कुमार जैन व अनिल कुमार खीरवाल ने भी हाइकोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी.
इसी दौरान ओड़िशा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल 2016 को अपने फैसले में कहा है कि वैसे लीज धारकों का लीज नवीकृत माना जायेगा, जिन्होंने निर्धारित समय सीमा के अंदर लीज नवीकरण का आवेदन दिया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओड़िशा के 102 लीज धारकों की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला किया है.
मई 2014 में ओड़िशा सरकार ने 102 खदानों पर खनन कार्य रोकने का आदेश दिया था. सरकार के इस आदेश के खिलाफ लीजधारकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया.
इधर शाह ब्रदर्स के मामले पर 21 अप्रैल को झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार के वकील अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लीज विस्तारीकरण रद्द करने का आदेश सही नहीं है.
याचिकाकर्ता ने भी इस बिंदु को उठाया था. इसे आधार बनाते हुए हाइकोर्ट ने झारखंड सरकार द्वारा शाह ब्रदर्स केलीज विस्तारीकरण रद्द करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है. इसी आधार पर पदम कुमार जैन और अनिल कुमार खीरवाल के लीज नवीकरण रद्द करने के आदेश पर भी स्टे लगा. हाइकोर्ट के आदेश के बाद ही शाह ब्रदर्स ने अपने लौह अयस्क खदान से उत्खनन आरंभ कर दिया, पर विभाग द्वारा माइनिंग चालान और रेलवे के लिए फॉरवार्डिंग नोट निर्गत नहीं किया गया, जिसके चलते खदानों से लौह अयस्क की ढुलाई नहीं हो सकी और दोबारा खदान को बंद करना पड़ा. विभाग की इस कार्रवाई पर शाह ब्रदर्स ने हाइकोर्ट में अवमाननावाद दाखिल किया है, जिस पर 16 जून को सुनवाई करते हुए तत्काल फारवार्डिंग नोट जारी करने का आदेश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई पांच जुलाई को है.
इधर खान विभाग ने चालान के मामले में महाधिवक्ता से राय मांगी. महाधिवक्ता ने अपनी राय में हाइकोर्ट के आदेशानुसार माइनिंग चालान व फारवार्डिंग नोट देने की सलाह दी. इसके बाद इस पर मुख्यमंत्री से भी सहमति ले ली गयी. 28 जून को खान निदेशक ने चाईबासा डीएमओ को पत्र भेज कर शाह ब्रदर्स को माइनिंग चालान निर्गत करने का आदेश दिया.