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करीब 30 करोड़ इंसेंटिव मिलेगा केंदू पत्ता मजदूरों को

रांची : केंदू पत्ता तोड़नेवाले मजदूरों को इंसेटिव दिया जायेगा. वन विकास निगम ने राज्य की नयी केंदू पत्ता नीति के हिसाब से यह निर्णय लिया है. पहली बार केंदू पत्ता मजदूरों को मजदूरी के अतिरिक्त इंसेटिव भी दिया जायेगा. यह राशि करीब 30 करोड़ रुपये के आसपास हो सकती है. राज्य के वन विकास […]

रांची : केंदू पत्ता तोड़नेवाले मजदूरों को इंसेटिव दिया जायेगा. वन विकास निगम ने राज्य की नयी केंदू पत्ता नीति के हिसाब से यह निर्णय लिया है. पहली बार केंदू पत्ता मजदूरों को मजदूरी के अतिरिक्त इंसेटिव भी दिया जायेगा. यह राशि करीब 30 करोड़ रुपये के आसपास हो सकती है. राज्य के वन विकास निगम को इस बार करीब 58 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है.

इसमें से स्थापना खर्च और 20 फीसदी अतिरिक्त राशि रखने के बाद की राशि केंदू पत्ता मजदूरों के बीच में बांटी जायेगी. कुल शुद्ध लाभ का करीब 60 फीसदी केंदू पत्ता के प्राथमिक संग्रहणकर्ता को इसका लाभ मिलेगा. 20 फीसदी राशि केंदू पत्ता संग्रहण के लिए बनी समितियों के बीच बांटी जायेगी. राज्य मेें करीब एक से डेढ़ लाख लोग केंदू पत्ता के संग्रहण में लगे हुए हैं.

खाताधारी को मिलेगी यह सुविधा : राज्य सरकार ने तय किया है कि इंसेटिव केंदू पत्ता संग्रहण करनेवालों के खाते में जायेगा. इसके लिए केंदू पत्ता संग्रहणकर्ताओं को खाता खोलने के लिए कहा गया है. निगम ने तय किया था कि केंदू पत्ता की मजदूरी का भुगतान भी खाते में किया जायेगा. नीति में विशेष परिस्थिति में नकद भुगतान का प्रावधान था. इस कारण ज्यादा लोगों ने इस बार नगद भुगतान ही प्राप्त किया है. निगम को उम्मीद है कि इंसेंटिव के कारण ज्यादा से ज्यादा मजदूरों का खाता खुल जायेगा. इससे आनेवाले साल में फायदा होगा.

मजदूरी में हो रहा 90 करोड़ से अधिक भुगतान : चालू वित्तीय वर्ष में करीब 90 करोड़ रुपये केंदू पत्ता मरीजों के बीच बांटा जा रहा है. इसके लिए सरकार ने केंदू पत्ता संग्रहण नीति में बदलाव किया है. वन विकास निगम ने इस बार केंदू पत्ता की खरीदारी समिति के माध्यम से की है. जहां-जहां केंदू पत्ता है, वहां सहकारी समिति बनायी गयी है. इसमें ग्रामीणों को रखा गया है.

280 लॉट बिका है केंदू पत्ता : चालू वित्तीय वर्ष में 280 लॉट केंदू पत्ते की बिक्री हो गयी है. इसमें करीब पौने आठ लाख मानक बोरा होता है. 50-50 केंदू पत्ते का एक-एक बंडल बनाया जाता है. इसे एक पोला कहा जाता है. एक हजार पोला का एक मानक बोरा तैयार किया जाता है. राज्य में करीब अाठ लाख मानक बोरा केंदू पत्ता तैयार होता है.

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