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टंडवा की तीन कोल परियोजनाओं से हर माह हो रही नौ करोड़ रुपये की वसूली
रांची : चतरा के टंडवा में तीन कोल परियोजनाओं में ट्रांसपोर्टरों से हर माह नौ करोड़ रुपये की वसूली की जा रही है. विस्थापितों, मजदूरों के हक के लिए गठित कमेटी के नाम पर टीपीसी के उग्रवादी प्रति टन 264 रुपये के हिसाब से वसूली कर रहे हैं. वसूली में स्थानीय से लेकर रांची तक […]
रांची : चतरा के टंडवा में तीन कोल परियोजनाओं में ट्रांसपोर्टरों से हर माह नौ करोड़ रुपये की वसूली की जा रही है. विस्थापितों, मजदूरों के हक के लिए गठित कमेटी के नाम पर टीपीसी के उग्रवादी प्रति टन 264 रुपये के हिसाब से वसूली कर रहे हैं. वसूली में स्थानीय से लेकर रांची तक के नेता, पुलिस अफसर और पत्रकारों को हिस्सा मिलता है. प्रारंभिक स्तर पर की गयी कई जांच में इसकी पुष्टि हुई है. पूर्व में मुख्य सचिव रहे राजीव गौबा ने इसकी जांच का आदेश भी दिया था.
इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने स्पेशल टीम गठित करने की अनुशंसा की थी. चतरा के तत्कालीन डीसी के स्तर से कमेटी भंग करने की अनुशंसा भी की गयी थी, पर किसी भी स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हुई. चतरा पुलिस ने तीन बार छापामारी कर कमेटी के लोगों के पास से दो करोड़ रुपये से अधिक का नकद बरामद किया था. पर जांच नहीं की गयी.
कई रिपोर्ट में हुई वसूली की पुष्टि : 2015 में खुफिया विभाग ने भी सरकार को एक जांच रिपोर्ट भेजी थी. इसमें कहा गया था कि टंडवा-पिपरवार में टीपीसी व माओवादी अवैध वसूली कर रहे हैं.
उग्रवादियों का भय दिखा कर स्थानीय लोगों के साथ अन्याय किया जा रहा है. एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि सीसीएल का आम्रपाली प्रोजेक्ट टंडवा के उर्सू, होनहे, विंगलात, कुमरान कला व कुमरान खुर्द गांव की जमीन पर शुरू हुआ है. ग्रामीणों को हक दिलाने और ट्रांसपोर्टरों पर अंकुश रखने के लिए उग्रवादी संगठन टीपीसी ने एक कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में विस्थापित पांच गांव के सात-सात सदस्यों को रखा गया है. टीपीसी के छह सदस्य भी शामिल हैं. कमेटी में टीपीसी के उग्रवादी आक्रमण जी, रवींद्र गंझू, बिंदु गंझू हावी हैं. कमेटी के सदस्यों कोयले के डीओ धारक से 264 रुपये प्रति टन और लिंकेज के कोयले से प्रति टन 200 रुपये की वसूली करते हैं. इससे प्रति माह आठ से 10 करोड़ रुपये की वसूली होती है. वसूली का हिस्सा पुलिस, स्थानीय से लेकर राज्य स्तर तक के नेता, पत्रकार, भाकपा माओवादी के नक्सलियों और उग्रवादी संगठन जेपीसी को भी हर माह दिया जाता है.
कहां से होती है कितनी वसूली
परियोजना उत्पादन (टन में) वसूली (रुपये में)
आम्रपाली करीब 1.62 लाख करीब 4.29 करोड़
पिपरवार व अशोका करीब 1.50 लाख करीब 3.96 करोड़
कुल करीब 3.12 लाख करीब 8.25 करोड़
पुलिस, पत्रकार, राजनेता को भी हिस्सा
राजनेताओं को 50 रुपये प्रति टन
पुलिस अफसरों को 50 रुपये प्रति टन
ट्रांसपोर्टर स्टाफ (करीब 250) 15 रुपये प्रति टन
कमेटी के नाम पर टीपीसी का 175 रुपये प्रति टन
सबने दिया आदेश नहीं हुई जांच
जांच के लिए पिछले साल मुख्य सचिव व डीजीपी के स्तर पर निर्देश व अनुशंसा की गयी, लेकिन जांच नहीं शुरू हुई.
21 दिसंबर 2015 को तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने गृह सचिव को पत्र लिख कर कहा था कि टंडवा-पिपरवार में आपराधिक सांठ-गांठ कर की जा रही वसूली की जांच करायें. आवश्यकता हो, तो एसआइटी के गठन का प्रस्ताव भेजें
25 अगस्त 2015 को पुलिस मुख्यालय के आइजी ने गृह सचिव को पत्र लिखा था. टीपीसी के उग्रवादियों समेत 10 लोगों की अवैध संपत्ति की जांच के लिए एसआइटी के गठन का प्रस्ताव दिया. पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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