ओड़िशा की तरह सांप काटने पर मुआवजा मिले

रांची. सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी नरेंद्र मिश्रा ने ओड़िशा की तरह झारखंड में भी मुआवजा देने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने वन सचिव को एक पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि झारखंड में सांप काटने से हर साल करीब 300 लोगों की मौत हो जाती है, जबकि इलाज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2016 12:31 AM
रांची. सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी नरेंद्र मिश्रा ने ओड़िशा की तरह झारखंड में भी मुआवजा देने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने वन सचिव को एक पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि झारखंड में सांप काटने से हर साल करीब 300 लोगों की मौत हो जाती है, जबकि इलाज के बाद करीब 700 लोग बच पाते हैं.

सांप काटने के इलाज में न्यूनतम 60 हजार रुपये खर्च होता है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा में वन्य जंतु को परिभाषित किया गया है. अनुसूची दो के क्रमांक 10-14 तक में धामन, गेंहुअन, किंग कोबरा, रसल वाइपर जैसे झारखंड में पाये जानेवाले सांप शामिल हैं. अनुसूची चार के क्रमांक 12 में झारखंड में पाये जानेवाले करैत अादि शामिल है.

झारखंड में पाये जानेवाले वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट मे वन्य जंतु की परिभाषा के दायरे में आते हैं. इसलिए हाथी की तरह सांप से भी होनेवाले जान-माल के नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए. हाथी द्वारा पूरा गांव प्रभावित होता है, इसलिए इससे नुकसान होने पर लोग सामूहिक रूप से आवाज उठाते हैं. पर सांप से सिर्फ एक व्यक्ति और उसका परिवार प्रभावित होता है, इसलिए सांप काटने से होनेवाले नुकसान पर सामूहिक तौर पर आवाज नहीं उठता है. ओड़िशा में सांप काटने पर चार लाख रुपये तक मुआवजा मिलता है.

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