डोभा में डूब कर हुई मौत, तो परिजन को मिलेगा मुआवजा
विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन का दूसरा सत्र भी हो हंगामे के बीच खत्म हो गया. बुधवार को हंगामे के बीच सरकार ने 4382.49 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित कराया. सत्र करीब 15 मिनट चला़ अध्यक्ष ने कहा कि सदन शांति से चलना चाहिए. वहीं नेता प्रतिपक्ष ने अपनी बात रखते हुए […]
विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन का दूसरा सत्र भी हो हंगामे के बीच खत्म हो गया. बुधवार को हंगामे के बीच सरकार ने 4382.49 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित कराया. सत्र करीब 15 मिनट चला़ अध्यक्ष ने कहा कि सदन शांति से चलना चाहिए. वहीं नेता प्रतिपक्ष ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यहां लोकतंत्र मर रहा है. उनकी बात खत्म हाेने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि यहां लोकतंत्र नहीं झामुमो मर रहा है. इसके बाद झामुमो विधायक वेल में आ गये. सरकार के खिलाफ हंगामा करने लगे. इसके बाद अध्यक्ष ने अनुपूरक बजट पास करा कर सदन को गुरुवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया़.
रांची: ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने सदन में घोषणा की है कि डोभा में डूब कर मरनेवालों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा के रूप में दिये जायेंगे. श्री मुंडा ने कहा कि इसके अलावा सभी जिलों को निर्देश दिया जा रहा है कि सावधानी बरतने के लिए जागरूकता फैलायें. सरकार इसमें पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों का भी सहयोग चाहती है.
सदन में दूसरे सत्र में विधायक बिरंची नारायण ने सरकार से डोभा में डूब कर मरनेवालों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी. इस मुद्दे पर पर कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि पता नहीं सरकार को किसने डोभा बनाने का दिमाग दिया था. हम लोग शुरू से इसका विरोध कर रहे थे. सरकार ने किसी के दबाव में यह निर्णय लिया है.
अनंत ओझा ने बाढ़ का मामला उठाया
विधायक अनंत ओझा ने कहा कि साहेबगंज के कई इलाकों में बाढ़ आ गयी है. सरकार को वहां राहत सामग्री पहुंचानी चाहिए. बाढ़ से आम जनजीवन प्रभावित हो गया है.
मौनी बाबा बन गये हैं मुख्यमंत्री : हेमंत सोरेन
दूसरे सत्र में हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष भी चाहता है कि सदन चले. इस माहौल से हम भी आहत हैं, लेकिन सरकार सहयोग नहीं कर रही है. कई संवेदनशील मुद्दे हैं. इस पर सरकार चर्चा नहीं कर रही है. इससे भागना चाह रही है. मैंने हरिजन थाने में सनहा दर्ज कराया है. अब तक प्राथमिकी नहीं की गयी है. जब एक जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम आदमी का क्या होगा. पूरे मामले पर सीएम मौनी बाबा बने हुए हैं. अब तक चुप हैं. सरकार सदन में बहस से भाग रही है. ऐसे में विपक्ष का उग्र होना उचित है. सरकार अनुपूरक बजट पास करा रही है. इसे वैसे पदाधिकारी खर्च करेंगे, जिनका आचरण उचित नहीं है. ऐसे में कैसे मान लिया जाये कि सरकार गंभीर है. सरकार को सीएनटी-एसपीटी एक्ट में लाये गये अध्यादेश को वापस लेना चाहिए.