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950 करोड़ के परमिट घोटाले की जांच भी एसीबी को
जमशेदपुर में पकड़ाया था 500 कराेड़ का घाेटाला, रांची, हजारीबाग, रामगढ़, दुमका तक फैले हैं तार रांची/जमशेदपुर : झारखंड में हुए 950 कराेड़ रुपये से अधिक के परमिट घाेटाले की जांच वाणिज्य कर विभाग ने एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) काे साैंप दी है. एसीबी प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगा. जमशेदपुर वाणिज्य सर्किल ने […]
जमशेदपुर में पकड़ाया था 500 कराेड़ का घाेटाला, रांची, हजारीबाग, रामगढ़, दुमका तक फैले हैं तार
रांची/जमशेदपुर : झारखंड में हुए 950 कराेड़ रुपये से अधिक के परमिट घाेटाले की जांच वाणिज्य कर विभाग ने एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) काे साैंप दी है. एसीबी प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगा. जमशेदपुर वाणिज्य सर्किल ने सबसे पहले परमिट घोटाला पकड़ा था. यहां एक ही व्यक्ति द्वारा 378 कराेड़ रुपये के अधिक का परमिट जारी कराया गया था.
इसके बाद रांची, रामगढ़, बाेकाराे, हजारीबाग आैर दुमका में अवैध तरीके से परमिट निकालने की पुष्टि हुई थी. जमशेदपुर प्रमंडल में करीब पांच सौ करोड़ रुपये के रोड परमिट घोटाला हाेने की जानकारी मिली थी, इसमें सिंहभूम सर्किल में 346.79 कराेड़ आैर अरबन सर्किल में 150 कराेड़ के घोटाले की बात सामने आयी. जमशेदपुर स्थित सिंहभूम सर्किल में गदड़ा का पता दिखा कर निरंजन चाैबे नामक व्यक्ति ने डीलर के रूप में खुद का पंजीकरण कराया. एनसी ट्रेडर्स कंपनी के नाम से 346 करोड़ का परमिट घोटाला कर दिया. डीलर के रूप में एनसी चाैबे ने मात्र दस हजार रुपये की एनएससी और पचास हजार रुपये का सिक्यूरिटी बांड भरा था. तय राशि के मुताबिक उसे महज सवा लाख रुपये का परमिट निकालने का ही अधिकार है, लेकिन उसके द्वारा 346 करोड़ से अधिक का परमिट निकाल लिया गया. जानकारी मिलने पर विभागीय अधिकारी उसके गदड़ा स्थित कार्यालय पर गये, ताे उसे बंद पाया.
कानपुर में पकड़ा गया था मामला
जमशेदपुर सर्किल से जारी हुए परमिट पर काेयला लदी गाड़ी काे कानपुर में आइबी की टीम ने पकड़ा था. परमिट के आधार पर गाड़ी काे पंजाब के मंडी गाेविंदगढ़ में खाली हाेना था, लेकिन वह कानपुर में खाली हाे गयी. इस मामले में जब्त किये गये परमिट के आधार पर इसकी जानकारी जब जमशेदपुर वाणिज्य कर विभाग से मांगी गयी, ताे यहां घाेटाला का खुलासा हुआ.
माल दूसरे राज्यों को भेजने के लिए निकाले गये ऑनलाइन ब्लू परमिट में फर्जीवाड़ा किया गया था. वाणिज्य कर विभाग के आयुक्त सह सचिव केके खंडेलवाल ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही थी, लेकिन मामला बड़ा हाेने के कारण इसे एसीबी काे साैंप दिया गया है.
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