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रांची : प्रभात खबर की ओर से रविवार को खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत स्टेडियम में प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इसमें राजधानी रांची के विभिन्न स्कूलों के सीबीएसइ 10वीं-12 वीं, आइसीएसइ 10वीं-12वीं, झारखंड बोर्ड, मैट्रिक तथा इंटर विज्ञान, कला व वाणिज्य के लगभग 2000 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया.
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह,मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडेय, जैक अध्यक्ष अरविंद प्रसाद सिंह, साईं नाथ यूनिवसिर्टी के प्रति कुलपति एसपी अग्रवाल व सुपर-30 के निदेशक आनंद कुमार ने विद्यार्थियों व अभिभावकों का उत्साह बढ़ाया. अतिथियों ने विद्यार्थियों को सफलता के कई टिप्स भी दिये. इससे पहले स्वागत भाषण में प्रभात खबर के एमडी केके गोयनका ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि प्रभात खबर की ओर से पिछले 12 वर्षों से प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन कर मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया जा रहा है.
पूर्वी भारत के 70 जिलों में समारोह का आयोजन कर लगभग 40 हजार बच्चों को सम्मानित किया गया है. बच्चों को सम्मानित कर प्रभात खबर खुद गौरवान्वित महसूस करता है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियां आगे बढ़ रहीं हैं. यह सुखद बदलाव है. कार्यक्रम में बिजनेस हेड विजय बहादुर ने अतिथियों को मोमेंटो प्रदान कर उनका अभिनंदन किया. धन्यवाद ज्ञापन प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने किया.
* प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती है. यह सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है. झारखंड में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. क्रिकेट, हॉकी, तीरंदाजी, एजुकेशन, संगीत आदि हर क्षेत्र में राज्य की प्रतिभाएं देश का नाम रोशन कर रही हैं. प्रभात खबर मिशन बना कर प्रतिभाओं को सम्मानित करने का काम कर रही है, जो एक साकारात्मक कदम है. बतौर मुख्य अतिथि श्री सिंह ने कहा कि आज का हर बच्चा आइएएस, इंजीनियर और डॉक्टर बनना चाहता है. आप बड़े ओहदे पर जरूर पहुंचें, लेकिन समाज सेवा की भाव को समाप्त नहीं होने दें. इस बात का ध्यान रखें कि कैसे अपने कर्म से राज्य और समाज का हित कर सकते हैं.
थींक ग्लोबल, एक्ट लोकल : बच्चों को सीख देते हुए श्री सिंह ने कहा कि जवीन में कठिनाईंया आती हैं. इससे घबराये नहीं. थींक ग्लोबल, एक्ट लोकल. बच्चों का लक्ष्य आसमान में होना चाहिए और पांव जमीन पर. समाज में गरीबी और अमीरी के बीच की असमानता की खाई को पाटने की सोच रखें. नौकरियां नहीं मिलने पर प्रतिभाओं में कुंठा होती है. इसे कैसे ठीक किया जाये, इस पर विचार करने की जरूरत है.
मेक इन इंडिया के सपने को साकार करें : श्री सिंह ने कहा कि देश की आजादी के 67 साल बाद भी हम फ्रांस की निर्मित विमान पर सफर कर रहे हैं. क्या में देश में ऐसी प्रतिभाएं नहीं हैं, जो यहां भी विमान बना सकें. इसको चुनौती के रूप में लेने की जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने की जरूरत है. यह अच्छी बात है कि भारत में भी अब ई-रिक्शा बनाया जाने लगा है.
अब कहां से 12 सीजीपीए लायें छात्र : नगर विकास मंत्री ने कहा कि शिक्षा में प्रतिस्पर्द्धा काफी बढ़ गयी है. अधिकतम अंक 10सीजीपीए लाने के बाद भी छात्र भी नामांकन को लेकर परेशान रहते हैं. इससे ज्यादा मार्क्स मिल भी नहीं सकते हैं. अब कहां से 12 सीजीपीए छात्र लायें?
* मेहनत का कोई विकल्प नहीं : डॉ अरविंद प्रसाद सिंह
झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने कहा कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. विद्यार्थी आगे बढ़ने के लिए मन से परिश्रम करे. हमें लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ना चाहिए. डॉ सिंह ने प्रभात खबर के प्रतिभा सम्मान समारोह की तारीफ करते हुए कहा कि प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित करने से उनका मनोबल बढ़ता है. वे आगे और बेहतर करने का प्रयास करते हैं. इसके साथ ही दूसरे को बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है. जो बेहतर नहीं कर पाये हैं वे भी बेहतर करने का संकल्प लेते है.
उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी बेहतर नहीं कर पाये हैं, उन्हें भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. वे आगे बेहतर करने का प्रयास करे, सफलता अवश्य मिलेगी. जीवन में असफलता से कभी घबराना नहीं चाहिए. असफलता ही सफलता की सीढ़ी है. जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थियों के लिए नैतिक शिक्षा भी आवश्यक है. पढ़ाई के साथ-साथ चरित्र निर्माण भी आवश्यक है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे माता-पिता, गुरु का सम्मान करे सफलता से कोई रोक नहीं सकता. किसी भी व्यक्ति की सफलता में उसके माता-पिता व शिक्षक का सबसे बड़ा योगदान होता है, इसलिए जीवन में कभी भी हमें अपने माता-पिता व शिक्षक को नहीं भूलना चाहिए.
* शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक सोच की कमी : संजय कुमार
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक व बुनियादी सोच की कमी हो रही है. कक्षा सात के बाद यह तय हो जाता की बच्चा को क्या करना है, पर उससे नहीं पूछा जाता कि वह क्या करना चाहता है. बच्चा जो कर रहा है, वह अपनी इच्छा शक्ति से कर रहा है कि वह किसी के कहने से कर रहा है. इससे बच्चों की मौलिक सोच कमजोर होने लगती है. उन्होंने कहा कि आज शिक्षकों में भी शिक्षा के प्रति उत्साह में कमी आयी है. आज शिक्षकों में पहले वाली बात नहीं है.
आज परीक्षा देने व अंक लाने में बेहतर हो गये है, पर आलम यह है कि 95 फीसदी अंक वाले विद्यार्थी के मनपसंद स्कूल-कॉलेज में नामांकन की गारंटी नहीं है. आज अच्छे शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. आइआइटी में 40 फीसदी शिक्षकों के पद रिक्त हैं. अच्छे लोग पढ़ायेंगे नहीं तो अच्छी पढ़ाई कैसे होगी. उन्होंने कहा कि आज आर्टस पढ़ने वाले विद्यार्थियों की योग्याता पर सवाल खड़ा किया जाता है. दूसरी ओर इंजीनियरिंग पढ़ाई करने वाले 85 फीसदी को नौकरी नहीं मिल पाती. प्रतिभा की कोई आर्थिक व सामाजिक परिधि नहीं होती. उन्होंने कहा विद्यार्थियों ने कहा कि वे मेहनत करे, आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए.
* आज प्रतियोगिता का युग है : एससी अग्रवाल
साईंनाथ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. एसपी अग्रवाल ने कहा कि आज का युग प्रतियोगिता का युग है. हर क्षेत्र में प्रतियोगिता है, इसके बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी मेहनत की बल पर यहां तक पहुंचे हैं. अपने अंदर की इस जज्बा को कभी कम नहीं होने दे, इसे बनाये रखे. जीवन में काफी आगे जाना है. विद्यार्थीयों से कहा कि आपको सम्मानित करना खुद को सम्मानित करने के बराबर है. उन्होंने सम्मानित होने वाले विद्यार्थियों से कहा कि ये उनकी मेहनत का फल है कि आज वे सम्मानित हो रहे हैं. वे इसके हकदार हैं. देश व समाज को सशख्त बनाने की जिम्मेदारी विद्यार्थियों पर है. विद्यार्थी देश के भविष्य हैं.
* सुपर 30 के आनंद का भाषण (हुबहू )
भारत का भविष्य बदलने की ताकत रखनेवाले विद्यार्थियों! कल ही (शनिवार) की बात है़ फेसबुक पर मैंने एक पोस्ट डाला़ इसमें एक लड़की की तसवीर है़ साथ में लड़की की मां की तसवीर भी है़ लड़की कनोदी मरांडी और उसकी मां की तसवीर है़ तसवीर में आप देख सकते हैं कि कनोदी और उसकी मां किस हालात में रहती है़ उसके पिता को शायद ही कभी पैंट-शर्ट पहनने का मौका मिलता है़ कनोदी को सरकारी स्कूल में ही पढ़ने का अवसर मिलता है़ धीरे-धीरे कनोदी 10वीं पास करती है़ इसके बाद वह मेरे पास आती है़ उसमें प्रतिभा थी़ कुछ करने की इच्छा शक्ति थी़ वही कनोदी यह दिखाती है कि कैसे आइआइटी में अच्छा रैंक आ सकता है और कैसे बीआइटी में अच्छा ब्रांच मिल सकता है़ यह उदाहरण है कि झारखंड में ऐसी प्रतिभा है, जिसका मैं सम्मान करता हूं.
ऐसी कई प्रतिभाएं हैं, जिनके पिता या तो ट्रक ड्राइवर हैं, किसान हैं. वे सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए अपनी प्रतिभा का परिचय देते हैं. मैं ऐसी ही प्रतिभाओं को सम्मान करता हूं. बच्चों आप सौभाग्यशाली हैं. आपने मेहनत की है़ आपने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है, जिसकी बदौलत आज आपको सम्मान मिलनेवाला है़ बच्चों आपमें काफी प्रतिभाएं हैं. आपमें रफ्तार है़ आपमें कुछ करने का जज्बा है़ आपको इस रफ्तार को बरकरार रखना होगा़ जीवन में कई मुसीबतें आयेंगी़ कई अड़चने भी आयेंगी़ जीवन कई परीक्षाएं भी लेगा़, लेकिन उन परीक्षाओं से डरें नहीं. लगातार प्रयास करना होगा, लेकिन थकना नहीं होगा़.
आनंद की जुबानी सुपर 30 की कहानी : बच्चों, पढ़ाई ही ताकत होती है़ मेरे पिताजी रेल डाक सेवा(आरएमएस) में थे़ हटिया-पटना एक्सप्रेस से डाक छांटते हुए रांची आते थे़, सुबह-सुबह यहां उतरते थे़ इसी डाक को छांटते हुए वापस पटना लौटते थे़, जब भी लौटते थे, यहां से कुछ न कुछ लेकर आते थे़.
तब टेलीफोन की सुविधा नहीं थी़ हम टकटकी लगाये रहते थे़, लेकिन पिताजी चाहते थे कि बेटे को पढ़ाया जाये़ मैट्रिक पास करने के बाद मेरी रुचि मैथ्स में हुई़ पढ़ाई के दौरान पेपर लिखा़ पेपर विदेश में प्रकाशित हुआ़ उस पेपर की बदौलत पढ़ाई का ऑफर भी आया़ वह भी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से़.
घर में खुशियां छा गयी़ मेरे पास नामांकन का मौका था, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए कोई मददगार नहीं था़ अखबारों में खबर छपी़ दिल्ली तक खबर छपी कि बिहार का एक छोटा सा बच्चा विदेश पढ़ने जायेगा़ खबर छपने के बाद भी कोई मदद को नहीं आया़ एक अक्तूबर 1994 को मुझे जाना था, लेकिन पैसे के अभाव में जा नहीं पाया़.
इससे पहले 23 अगस्त को पिताजी की हार्ट अटैक से मौत हो गयी़ मुसीबतें सामने आने लगी़ रेलवे मेल में अनुकंपा के आधार पर नौकरी का ऑफर आया़ मैंने सोचा कि नहीं कुछ किया जाये़ रेलवे मेल की नौकरी छोड़ कर गरीब बच्चे को पढ़ना शुरू किया़ इसी गरीब बच्चों को पढ़ाने के दौरान सुपर 30 की शुरुआत हुई़ हमने 420 बच्चों को इंजीनियरिंग की परीक्षा में सफलता दिलायी है़ इसमें 366 बच्चों ने आइआइटी में नामांकन कराया है़
* आनंद ने बताये सफलता के चार सूत्र
प्रबल प्यास : बच्चों आप जो करना चाहते हैं, उसे करने के लिए आपके अंदर प्रबल प्यास होनी चाहिए़ आप सोते-जागते वही सोचें, जो आप करना चाहते हैं. जब तब लक्ष्य को पाने की प्यास नहीं होगी, सफलता दूर ही रहेगी़
पॉजिटिव थिंकिंग : आप जिस लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हो, उसके प्रति सकारात्मक सोच रखना़ आप सोचना कि जीत हमारी ही होगी़ सकारात्मक सोच आपको सफलता प्राप्त करने की ऊर्जा देगी.
अथक प्रयास : सफल होने के लिए सभी तैयारियों के साथ-साथ अथक प्रयास का होना आवश्यक है़ आपकी सफलता उसी पर निर्भर करती है कि आपका प्रयास कितना मजबूत है़
असीम धैर्य : यह ऐसी चीज है, जो सफलता को सुनिश्चित करती है़ आमतौर पर यहीं गड़बड़ हो जाती है़ इसे बनाये रखना जरूरी है़
जापान जायेंगे झारखंड के दो बच्चे : आनंद कुमार ने कहा कि पिछले दिनों जापान सरकार से एमओयू हुआ़ इस साल हम पांच बच्चों को जापान पढ़ने भेजेंगे़ हमारा प्रयास होगा कि इन पांच बच्चों में दो बच्चे झारखंड से हों.