28% पुलिसकर्मी करते हैं 14 घंटे से अधिक ड्यूटी
रांची: झारखंड में करीब 28 प्रतिशत पुलिकर्मी हर दिन 14 घंटे से अधिक ड्यूटी करते हैं. 11 घंटे से अधिक ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या करीब 68 प्रतिशत है और करीब 90 प्रतिशत पुलिसकर्मी आठ घंटे से अधिक ड्यूटी करते हैं. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) की 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक […]
रांची: झारखंड में करीब 28 प्रतिशत पुलिकर्मी हर दिन 14 घंटे से अधिक ड्यूटी करते हैं. 11 घंटे से अधिक ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या करीब 68 प्रतिशत है और करीब 90 प्रतिशत पुलिसकर्मी आठ घंटे से अधिक ड्यूटी करते हैं.
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) की 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसकर्मियों को महीने में आठ-दस बार छुट्टी के वक्त भी ड्यूटी पर बुला लिया जाता है. आंकड़े के मुताबिक देश भर में भी यही स्थिति है. पुलिसकर्मियों की ड्यूटी का समय बहुत ज्यादा होने की वजह इनकी संख्या में कमी होना है. एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश भर में अभी पुलिसकर्मियों के पांच लाख पद रिक्त हैं. झारखंड में रिक्त पदों की संख्या 17466 है.
बीपीआरएंडडी के 2015 के आंकड़े के मुताबिक झारखंड में प्रति लाख व्यक्ति पर 224.97 पुलिसकर्मी का पद सृजित है. लेकिन प्रति लाख व्यक्ति पर सिर्फ 172.40 पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं. प्रति लाख व्यक्ति पर पुलिसकर्मियों की संख्या का मानक 547 है. काम के बोझ के तले दबे पुलिस पदाधिकारी बताते हैं : एक तो प्रति लाख व्यक्ति के हिसाब से यहां पुलिसकर्मियों का पद ही कम सृजित किया गया है और जो सृजित किया गया है, वह भी रिक्त पड़ा हुआ है. आंकड़े के मुताबिक झारखंड में 1.08 किमी पर एक पुलिसकर्मी का पद सृजित है, लेकिन अभी 1.41 किमी पर एक पुलिसकर्मी हैं. जानकारी के मुताबिक झारखंड में पुलिस के सात रेंज, 26 पुलिस जिला, 43 पुलिस अनुमंडल, 144 सर्किल और 454 थाना हैं. यहां जिला पुलिस के 55994 पद और आर्म्ड फोर्स के 17725 पद सृजित हैं. इनमें से जिला पुलिस के 11395 पद और आर्म्ड फोर्स के 3494 पद रिक्त पड़े हुए हैं.
डिप्रेशन व बीमारी के शिकार बन रहे पुलिसकर्मी
काम का ज्यादा दबाव होने और हर दिन आठ से 14 घंटे से अधिक काम करने के कारण पुलिसकर्मी डिप्रेशन और बीमारी के शिकार हो रहे हैं. पुलिस के सीनियर अधिकारी बताते हैं : रोज ज्यादा समय तक काम करने की वजह से अधिकांश पुलिसकर्मियों में चिरचिरापन आ जाता है, जिस कारण आम लोगों के प्रति उनके खराब व्यवहार की बातें सामने आती हैं. पिछले दिनों एक सर्वे में यह बात सामने आया था कि रांची जिला के अधिकांश ट्रैफिक पुलिसकर्मी या तो लिवर की बीमारी के शिकार हैं या शिकार होने के करीब हैं. इसलिए जरूरी है कि पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ायी जाये, ताकि काम के घंटे को कम किया जा सके.