निर्देश. शाैचालय के धीमे निर्माण पर हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी, शपथ पत्र के साथ दें स्कूलों में बने शाैचालयों के फोटोग्राफ्स

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को स्कूलों में शौचालय व पेयजल की कमी काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. कोर्ट ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव को प्रत्येक जिला के ग्रामीण क्षेत्र (आदिवासी बहुल क्षेत्र) में अवस्थित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2016 1:40 AM
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को स्कूलों में शौचालय व पेयजल की कमी काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. कोर्ट ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव को प्रत्येक जिला के ग्रामीण क्षेत्र (आदिवासी बहुल क्षेत्र) में अवस्थित 10-10 स्कूलों के रनिंग शाैचालय का फोटोग्राफ शपथ पत्र के साथ देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि शपथ पत्र में गलत तथ्य पाये गये, तो पांच सदस्यीय टीम का गठन कर मामले की जांच करायेंगे.

इसके अलावा अद्यतन स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी सोये नहीं, धरातल पर काम करें आैर जवाब दें. मामले की सुनवाई के दाैरान चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने माैखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को लंबा समय दिया जाता है, ताकि समय पर बेहतर काम हो सके. आदेश का अनुपालन हो सके, लेकिन यहां तो स्थिति ही दूसरी है. समय दिया जाता है, तो अधिकारी सो जाते हैं. कोई काम नहीं होता है.

जवाब मांगने पर कागजी रिपोर्ट दिखा दी जाती है. यह गंभीर मामला है. कोर्ट इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है. खंडपीठ ने एमीकस क्यूरी के जवाब को देखते हुए कहा कि 30 प्रतिशत स्कूलों में ही शौचालय का निर्माण किया गया है. शत प्रतिशत काम दिखा कर अधिकारी केंद्र सरकार से तालियां बटोर रहे हैं.

किसने यह रिपोर्ट बनायी है, उसका नाम बतायें. इस पर खंडपीठ को शिक्षा सचिव का नाम बताया गया. खंडपीठ ने कहा कि कई जगहों से यह भी जानकारी मिली है कि शाैचालय गंदा हो जाने की आशंका पर विद्यार्थियों को उसका उपयोग करने से मना कर दिया जाता है. कई शाैचालयों के दरवाजे में ताला लगा दिया जाता है. खंडपीठ ने कहा कि विद्यालय प्रशासन द्वारा शाैचालय में ताला नहीं लगाना चाहिए, बल्कि शाैचालय का कैसे उपयोग करना है, इसके लिए विद्यार्थियों को जागरूक किया जाना चाहिए.

प्रत्येक स्कूल में शाैचालय की सफाई के लिए स्वीपर की व्यवस्था हो. खंडपीठ ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शाैचालय की साफ-सफाई के लिए स्वीपर बहाल हों. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 अगस्त की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि स्कूलों में शाैचालय की कमी के कारण विद्यार्थियों, खास कर लड़कियों को शाैच के लिए स्कूल से बाहर जाना पड़ता है. प्रभात खबर में इससे संबंधी प्रकाशित खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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