आठ साल में उत्कृष्ट फोर्स बना जेजे

जरूरतों के बारे में फिल्ड के अफसर सीनियर से करते हैं बात सुरजीत सिंह रांची : आप सब झारखंड पुलिस के उत्कृष्ट फोर्स झारखंड जगुआर (जेजे) के अंग हैं. आपका विश्वास, लोगों से बात करने का तरीका, चाल-ढाल सब उत्कृष्ट होना चाहिए. सरकार हमें हर तरह की सुविधा दे रही है. हमें अपने टार्गेट को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2016 8:25 AM
जरूरतों के बारे में फिल्ड के अफसर सीनियर से करते हैं बात
सुरजीत सिंह
रांची : आप सब झारखंड पुलिस के उत्कृष्ट फोर्स झारखंड जगुआर (जेजे) के अंग हैं. आपका विश्वास, लोगों से बात करने का तरीका, चाल-ढाल सब उत्कृष्ट होना चाहिए. सरकार हमें हर तरह की सुविधा दे रही है. हमें अपने टार्गेट को पूरा करना है. खुद को साबित करना है. छह अगस्त को दिन के करीब 1.00 बजे झारखंड जगुआर के आइजी प्रशांत सिंह और एसपी सुरेंद्र कुमार झा फील्ड के अफसरों से बात करते हुए यह कह रहे थे. दोनों अधिकारी फील्ड में तैनात करीब 100 कनीय अफसरों से बात कर रहे थे. यह नयी शुरुआत की गयी है.
फील्ड के अफसर अपनी जरूरत के बारे में सीनियर अफसरों को बता रहे थे. रांची से करीब 15 किमी दूर स्थित टेंडर ग्राम स्थित जेजे मुख्यालय परिसर के प्रशासनिक भवन में 120 अफसरों के बैठने की व्यवस्था वाली ऑपरेशन ब्रीफिंग रूम भरा हुआ था. इस हॉल के आसपास छह लेक्चर रूम है, जिसमें नियमित रूप से जवानों को अभियान के बारे में जानकारी दी जाती है. 225-225 जवानों के रहने के लिए तीन बैरक का निर्माण किया गया है.
सुसज्जित व व्यवस्थित है कैंपस : किसी ने नहीं सोचा था कि नक्सलियों से लड़ने के लिए वर्ष 2008 में बनी झारखंड जगुआर झारखंड पुलिस का उत्कृष्ट फोर्स बनेगा. सेना व पारा मिलिट्री फोर्स के जैसा सुसज्जित व व्यवस्थित कैंपस होगा, जिसमें व्यवस्थित परेड ग्राउंड, 2.7 किमी लंबा ट्रेनिंग ट्रेंच, फायरिंग रेंज (जिसमें जैप, आइआरबी के अलावा सीआरपीएफ के जवान भी फायरिंग की प्रैक्टिस करते हैं) होगा.
जिस फोर्स का बम डिस्पोजल स्क्वायड राज्य के सभी जिलों में जाकर बम व लैंड माइंस को डिफ्यूज करते हैं. एसपी सुरेंद्र झा के मुताबिक झारखंड जगुआर में 40 असाल्ट ग्रुप स्वीकृत है. अभी 35 असाल्ट ग्रुप है.
हर ग्रुप में 40-40 जवान व पदाधिकारी होते हैं. हमेशा छह असाल्ट ग्रुप के जवानों झारखंड जगुआर की सफलता की बात करें, तो पिछले दो माह (जून-जुलाई) में जेजे के जवानों ने भाकपा माओवादी व पीएलएफआइ के 23 नक्सलियों व उग्रवादियों को गिरफ्तार किया. इस साल लातेहार में लगातार कई अभियान को सफलता पूर्वक पूरा किया. जिसमें बड़ी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद मिले.
मनोबल बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू : जेजे के जवानों व पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए कई नयी योजनाएं शुरू की गयी हैं. हर माह फिल्ड के अफसर अपनी जरूरतें बताते हैं.
अभियान के दौरान होनेवाली परेशानियों पर चर्चा होती है. फिल्ड के अफसरों की मांग पर आइजी प्रशांत सिंह ने हर असाल्ट ग्रुप में दो-दो मेडिकल स्टाफ भी रखने का निर्णय लिया है, ताकि जरूरत पड़ने पर जवानों का प्राथमिक उपचार तुरंत शुरू किया जा सके. एसपी सुरेंद्र झा बताते हैं : मुख्यालय में रहनेवाले जेजे के जवानों को हर सप्ताह फिल्म दिखायी जाती है. इसमें वैसी फिल्मों का चयन किया जाता है, जो जवानों के मनोबल को बढ़ाये. अच्छा काम करने वालों को पुरस्कृत करने के लिए असाल्ट ग्रुप ऑफ मंथ शुरू किया गया है. इसके तहत बेहतर काम करनेवाले एक असाल्ट ग्रुप को हर माह पुरस्कृत किया जायेगा.
अफसरों की है भारी कमी : झारखंड जगुआर लगातार बेहतर काम जरूर कर रहा है, लेकिन यह फोर्स अफसरों की भारी कमी को झेल रही है. डीएसपी के 44 स्वीकृत पद पर सिर्फ छह डीएसपी की पोस्टिंग है. इसी तरह इंस्पेक्टर के 44 स्वीकृत पद के विरुद्ध सिर्फ 38 का ही पदस्थापन है.
दारोगा रैंक में स्वीकृत 298 पद पर सिर्फ 126 की पोस्टिंग है. इसी तरह सिपाही, हवलदार व जमादार रैंक में भी रिक्ति है. इसके अलावा जेजे मुख्यालय में बिजली की बड़ी समस्या है. जेजे का मुख्यालय टेंडर ग्राम में है. रूरल फीडर से जुड़े होने के कारण यहां सिंगल फेज बिजली का कनेक्शन है, जो जेजे की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है.
जेजे के जवानों ने बनाया परिसर को हरा-भरा
आइजी प्रशांत सिंह बताते हैं. जेजे में पदस्थापित रहे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने यह सब संभव कर दिखाया. चार साल पहले तक टेंडर ग्राम में सिर्फ छोटी-छोटी पहाड़ी और झाड़ियां दिखती थीं. पीने तक का पानी नहीं था. उस जगह को जवानों ने खुद की मेहनत से हरा-भरा बना दिया. जेजे मुख्यालय परिसर में अब तक करीब 17 हजार पेड़ लगाये गये हैं.
सरकारी फंड से सिर्फ भवन बनाये गये. जवानों ने मेहनत कर पहाड़ियों पर पेड़ लगाये. खुद के पैसे से शहीद स्मारक तैयार किया. पहाड़ी नाला में बांध बना कर सात छोटे-छोटे चैकडैम बनाये गये, जिसमें सालो भर पानी रहता है. पहाड़ियों पर मिट्टी डाल कर पेड़ लगाया गया. जिससे पहाड़ हरे-भरे दिखने लगे हैं.

Next Article

Exit mobile version