हर पेड़ बच्चे जैसा, उसकी सुरक्षा जरूरी : हाइकोर्ट

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्गों व अन्य सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ों की हो रही कटाई काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. खंडपीठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2016 1:07 AM

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्गों व अन्य सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ों की हो रही कटाई काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार हेलीकॉप्टर खरीद सकती है, शिफ्टिंग मशीन नहीं खरीद सकती? 25 वर्ष पहले यहां पंखे की जरूरत नहीं थी, अब एसी की जरूरत पड़ने लगी है. पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. भूमिगत जल स्तर गिर रहा है. प्रदूषण की समस्या भी पैदा हो रही है.

पेड़ काटे जा रहे हैं. हर पेड़ एक बच्चे जैसा है, उसकी सुरक्षा जरूरी है. पेड़ लगाने के बाद ही पेड़ काटे जायें. 13 माह बीत गये, लेकिन सरकार शिफ्टिंग मशीन खरीदने में विफल रही. पेड़ों की शिफ्टिंग के लिए सरकार को शिफ्टिंग मशीन तो खरीदनी होगी. जहां मशीन उपलब्ध है, वहां से मंगाया जाये. जरूरत पड़े, तो रात भर मशीन चला कर पेड़ों की शिफ्टिंग का कार्य किया जाये.

राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने खंडपीठ को बताया कि कोर्ट के पूर्व के आदेश के कारण सड़क योजनाओं पर प्रभाव पड़ रहा है. देश में चार-पांच शिफ्टिंग मशीन उपलब्ध हैं. एक मशीन से दिन भर में दो से तीन पेड़ शिफ्ट किये जा सकते हैं. इसमें काफी समय लगेगा. इससे सड़क परियोजना प्रभावित होगी. सभी पेड़ शिफ्ट भी नहीं किये जा सकते हैं. शिफ्ट किये गये पेड़ के जीवित रहने की कोई साइंटिफिक रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं है.

कोर्ट ने पूर्व में दिये गये आदेश के आलोक में सरकार को दोबारा शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही पूर्व के आदेश में संशोधन के लिए आवेदन देने को भी कहा. मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी. सुनवाई के दौरान वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि पेड़ों की कटाई को गंभीरता से लेते हुए हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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