झारखंड के स्थानीय होने मात्र से नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ

रांची : झारखंड के स्थानीय निवासी होने मात्र से ही आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है. आरक्षण की सुविधा पाने के लिए जाति प्रमाण पत्र देना होगा और अनुसूचित जाति व जनजाति का जाति प्रमाण पत्र तभी बनेगा, जब वे 1950 से यहां स्थायी रूप से निवास कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2016 1:45 AM
रांची : झारखंड के स्थानीय निवासी होने मात्र से ही आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है. आरक्षण की सुविधा पाने के लिए जाति प्रमाण पत्र देना होगा और अनुसूचित जाति व जनजाति का जाति प्रमाण पत्र तभी बनेगा, जब वे 1950 से यहां स्थायी रूप से निवास कर रहे हों.
उसी तरह अत्यंत पिछड़ा वर्ग (एक) व पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र भी उसी स्थिति में बनाया जायेगा, जब वे 1978 से यहां स्थायी रूप से रह रहे हों. यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर यह संतुष्टि नहीं होती है कि आवेदक या उनके पूर्वज इस राज्य में उक्त तिथियों से निवास कर रहे हैं, उन्हें किसी भी हाल में जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाये. यह आदेश पांच अगस्त, 2016 को जारी हुआ है. शिक्षण संस्थानों में नामांकन व नियोजन में आरक्षण की सुविधा के बाबत यह आदेश निकला है. इस आशय का पत्र सभी उपायुक्ताें काे भेज दिया गया है.
सर्टिफिकेट अलग-अलग नहीं
प्रधान सचिव ने लिखा है कि किसी भी स्थिति में एक ही परिवार के भिन्न-भिन्न सदस्यों को अलग-अलग जाति का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं होगा. अगर ऐसा होता है, तो दोषी पाये जाने पर इसे अापराधिक षडयंत्र मानते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जायेगी.
जाति प्रमाण पत्र कैसे बनेगा
सरकार द्वारा रिकॉडर्स अॉफ राइट्स, भू-अभिलेख, पंचायत, नगर पंचायत, नगर निगम, नगरपालिका, निबंधन कागजात के आधार पर जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने को कहा गया है. आवेदक के पास इनमें से कोई कागजात उपलब्ध न हो, तो पूर्व में तय प्रावधान के मुताबिक प्रमाण पत्र निर्गत िकया जाये.
कट अॉफ डेट
1950 और 1978 क्यों
पत्र में अनुसूचित जाति जनजाति के जाति प्रमाण पत्र के लिए 1950 व पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़ा वर्ग के लिए 1978 कट अॉफ डेट तय किया गया है. यह इसलिए किया गया है, क्योंकि अनुसूचित जाति व जनजाति को देश में 1950 से आरक्षण व एकीकृत बिहार में अति पिछड़ा व पिछड़ा वर्ग के लिए 1978 से आरक्षण प्रभावी है.
माइग्रेटेड काे सुविधा नहीं
पत्र में कहा गया है कि शिक्षा ग्रहण करने, आजीविका प्राप्त करने के उद्देश्य से कोई व्यक्ति अगर दूसरे राज्य से आकर यहां बसते हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें इस राज्य में आरक्षण की सुविधा उपलब्ध होगी. ऐसे लोग माइग्रेटेड श्रेणी में आते हैं और उन्हें आरक्षण की सुविधा, उन्हें मूल राज्य में ही उपलब्ध होगी. ऐसे लोगों को जाति प्रमाण पत्र इस राज्य के सक्षम पदाधिकारी द्वारा उनके पिता को जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर निर्गत हो सकता है, जिसमें उनके मूल राज्य का नाम अंकित होगा. अन्य राज्य के ऐसे लोगों को झारखंड में आरक्षण की सुविधा अनुमान्य नहीं है.

Next Article

Exit mobile version