अगले दस वर्षों में 30-40 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन परमाणु संयंत्र से होगा : डॉ बलदेव

रांची: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के निदेशक प्रो डॉ बलदेव राज एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रांची आये हैं. उन्होंने मेकन में प्रभात खबर संवाददाता से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा देश की जरूरत है, लेकिन संयंत्र लगाने को लेकर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति है. लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2016 1:25 AM
रांची: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के निदेशक प्रो डॉ बलदेव राज एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रांची आये हैं. उन्होंने मेकन में प्रभात खबर संवाददाता से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा देश की जरूरत है, लेकिन संयंत्र लगाने को लेकर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति है. लोगों को यह आशंका है कि दुर्घटना होने पर सभी कुछ समाप्त हो जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं है. देश के लोगों को अपने वैज्ञानिकों पर भरोसा करना चाहिए.

देश में जहां भी परमाणु संयंत्र है, वहां काफी विकास हुआ है. वर्तमान में परमाणु संयंत्रों से 6000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. आनेवाले दस वर्षों में देश के विभिन्न परमाणु संयंत्रों से 30 से 40 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है. परमाणु संयंत्र लगाना लाभ वाला बिजनेस है. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है. विस्तारीकरण में मेकन के योगदान पर कहा कि मेकन को डिजाइन के क्षेत्र में महारत हासिल है. मौके पर मेकन के सीएमडी एके त्यागी भी उपस्थित थे.

एसटीआरएम का कार्यालय रांची में बनेगा : द इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स के अध्यक्ष एसएस मोहंती ने कहा कि स्किल तकनीक रिसर्च मिशन का क्षेत्रीय कार्यालय ओल्ड एमटीआइ में बनाया जायेगा. इसके लिए इस्पात मंत्रालय ने 100 करोड़ का फंड दिया है. निजी कंपनियों से भी 100 करोड़ रुपये फंडिंग करने की योजना है. रिसर्च मिशन में रिसर्च नहीं होगा. देश भर में रिसर्च के क्षेत्र में लगी सरकारी व गैर सरकारी संस्था को इससे जोड़ा जायेगा. स्टील इंडस्ट्री को अगर किसी क्षेत्र में समस्या होगी या तकनीक की जरूरत पड़ेगी, तो रिसर्च मिशन सहयोग करेगा. इसके अध्यक्ष प्रो डॉ बलदेव राज हैं.
85% यूरेनियम का उत्पादन क्षेत्र से : यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के जीएम डॉ एके सारंगी ने कहा कि झारखंड में यूरेनियम का उत्पादन खपत का 85 प्रतिशत होता है. झारखंड में सात माइंस हैं.
सामरिक सामग्री से भारत मजबूत होगा
मेकन व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स के रांची चैप्टर द्वारा शुक्रवार को स्ट्रेटेजिक मेटल्स (सामरिक धातुएं) हेतू कार्यनीतियां विषय पर कार्यशाला हुई़ डॉ बलदेव राज ने सामरिक क्षेत्र के लिए सामग्री, एक परिप्रेक्ष्य विषय पर विचार रखे. उन्होंने कहा कि निरंतर नेतृत्व और सामरिक सामग्री से भारत की सुरक्षा, आर्थिक विकास, स्थिरता और आकांक्षाओं को बढ़ावा मिलेगा और राष्ट्र की सामूहिक स्थिति में सुधार होगा. मेकन के सीएमडी एके त्यागी एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स के अध्यक्ष एवं सेल के पूर्व निदेशक एसएस मोहंती ने भी विचार रखे़

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