हाइकोर्ट ने पूछा, नाबालिग प्रताड़ना मामले में सीआइडी इंस्पेक्टर पर क्या कार्रवाई हुई, कहा आंख खोलनेवाली कार्रवाई करे सरकार

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को नाबालिग के प्रताड़ना मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एमीकस क्यूरी को नये श्रम कानून व जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के आलोक में अमानवीय घटनाअों को रोकने के लिए ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया. साथ ही राज्य सरकार से पूछा कि आरोपी सीआइडी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2016 6:46 AM
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को नाबालिग के प्रताड़ना मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एमीकस क्यूरी को नये श्रम कानून व जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के आलोक में अमानवीय घटनाअों को रोकने के लिए ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया. साथ ही राज्य सरकार से पूछा कि आरोपी सीआइडी इंस्पेक्टर उमेश ठाकुर व उनकी पत्नी माधुरी ठाकुर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी.

उन्हें पकड़ा गया अथवा नहीं. उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में धारा 326 लगाया गया है अथवा नहीं. सरकार को प्रगति की जानकारी देने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि 13 वर्षीय नाबालिग को अमानवीय यातना देने का मामला गंभीर है. इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए. पुलिस अफसर दंपती द्वारा नाबालिग को प्रताड़ित करने की घटना की अनदेखी नहीं की जा सकती है. इस मामले में सरकार को आंख खोलनेवाली कार्रवाई करनी चाहिए. एमीकस क्यूरी नियुक्त वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की अोर से राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर ने पैरवी की.

दुष्कर्म पीड़िता मामले में सरकार जवाब दे
झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को जमशेदपुर के डुमरिया क्षेत्र निवासी नौ वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के इलाज को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि मेदांता में बच्ची का इलाज बराबर चल रहा है अथवा नहीं. पूरी जानकारी दी जाये. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के सहायतार्थ 44 लाख रुपये मिला है, वह किसके नाम से बैंक में जमा है. यदि पीड़िता के पिता के नाम से जमा है, तो कभी भी वह राशि निकल सकती है. उसकी व्यवस्था की जानी चाहिए. प्राप्त राशि पीड़िता के नाम से बैंक में फिक्सड डिपोजिट की जाये. जो राशि बचत खाता में है, उसकी निकासी उपायुक्त की अनुमति के बाद ही होगी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने खंडपीठ को बताया कि पीड़िता को सैमसंग का टैब दिया गया है. वह अभी तीसरी कक्षा में पढ़ रही है. कक्षा छह के बाद पीड़िता को कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में शिफ्ट कर दिया जायेगा. खंडपीठ ने मौखिक रूप से सरकार से कहा कि जमा राशि में से कुछ राशि से जमीन खरीद कर उस पर एक घर बना कर दिया जा सकता है. उस घर में पीड़िता के लिए एक कमरा अलग से हो. तीन सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवाई होगी. उल्लेखनीय है कि घाटशिला के एक मजदूर पिता द्वारा अपनी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग बच्ची को इलाज के लिए गोद में उठा कर हर रोज पैदल चार किमी दूर स्थित अस्पताल ले जाने संबंधी अखबारों में प्रकाशित खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

Next Article

Exit mobile version