गरमाने लगा कोयला यूनियनों की सदस्यता का मुद्दा

2008 की रिपोर्ट के आधार पर एचएमएस ने किया सबसे अधिक सदस्य देने का दावा मनोज सिंह रांची : कोल इंडिया की विभिन्न कमेटियों में पांच ट्रेड यूनियनों से संबद्ध यूनियनों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है. कोयला कर्मियों के वेतन व अन्य सुविधाओं पर समझौता बनाने के लिए ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी फॉर कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2016 1:18 AM
2008 की रिपोर्ट के आधार पर एचएमएस ने किया सबसे अधिक सदस्य देने का दावा
मनोज सिंह
रांची : कोल इंडिया की विभिन्न कमेटियों में पांच ट्रेड यूनियनों से संबद्ध यूनियनों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है. कोयला कर्मियों के वेतन व अन्य सुविधाओं पर समझौता बनाने के लिए ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी फॉर कोल इंडस्ट्रीज (जेबीसीसीआइ) का गठन किया जाता है. इसमें अब तक सबसे अधिक सदस्यता कांग्रेस से संबद्ध इंटक की यूनियन को मिलती रही है. जेबीसीसीआइ-10 के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. कोल इंडिया ने सभी यूनियनों से सदस्यों की संख्या देने का आग्रह किया था, जिसे कुछ यूनियनों ने अस्वीकार कर दिया है.
वहीं हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) ने 2002 के सर्वे के आधार पर 2008 में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए जेबीसीसीअाइ में सबसे अधिक सदस्य देने का दावा मंत्रालय में कर दिया है. वहीं सीटू व बीएमएस कोल इंडिया द्वारा किसी प्रकार के सदस्यों की संख्या मांगे जाने की सूचना से इनकार कर रहे हैं. जबकि, एटक का कहना है कि रांची में यूनियनों के साथ अनौपचारिक मीटिंग में कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक ने यूनियन से संबद्ध सदस्योंकी संख्या मांगी थी. इसे खारिज कर दिया गया था.
एक जुलाई से बकाया है नया वेतन
समझौता नहीं होने के कारण कोल इंडिया के कर्मियों का नया वेतन एक जुलाई से बकाया है. वेतन समझौता प्रबंधन व मजदूर यूनियनों की बैठक में किया जाता है. इसके लिए जेबीसीसीआइ का गठन किया जाता है. हर पांच साल पर जेबीसीसीआइ का गठन किया जाता है. इस बार 10वां समझौता होना है. इसमें कोयला उद्योग से जुड़े करीब पांच लाख कर्मियों के वेतन व सुविधाओं पर बात होती है.
2008 में किस यूनियन के कितने सदस्य थे
यूनियन सदस्य (लाख में)
एचएमएस 2.63
इंटक 2.61
बीएमएस 2.51
एटक 2.00
सीटू 0.89
किस-किस वेज बोर्ड में कितने सदस्य
एनसीडब्ल्यूए (एक) : इंटक-छह, एटक-तीन, सीटू -एक
एनसीडब्ल्यूए (दो) : इंटक-दो, एटक-दो, बीएमएस-दो, सीटू-दो, एचएमएस-दो
एनसीडब्ल्यूए (तीन) : इंटक-छह, एटक-तीन, बीएमएस-एक, सीटू-तीन, एचएमएच-दो
एनसीडब्ल्यूए (चार) : इंटक-छह, एटक-तीन, बीएमएस-एक, सीटू-तीन, एचएमएच-दो
एनसीडब्ल्यूए (पांच) : इंटक-चार, एटक-दो, बीएमएस-दो, सीटू-दो, एचएमएच-दो
एनसीडब्ल्यूए (छह, सात, आठ और नौ) : इंटक-छह, एटक-तीन, बीएमएस-तीन, सीटू-तीन, एचएमएच-तीन
हमलोगों ने अपना दावा मंत्रालय में पेश कर दिया है. उम्मीद है इस पर विचार होगा. अभी हमारी संख्या सबसे अधिक है. इस कारण ज्यादा सदस्य जेबीसीसीअाइ में मिलने चाहिए. नाथूलाल पांडेय, एटक
हमलोगों ने सदस्यता को लेकर कोई दावा नहीं किया है. इंटक की लड़ाई के कारण कमेटी गठन में लेट हो रहा है. बीएमएस के एक सदस्य भी मजदूरों की आवाज जोरदार तरीके से उठाते हैं.
पीके दत्त, बीएमएस
कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक ने हाल में रांची में यूनियनों के साथ बैठक की थी. इसमें यूनियन के संबद्ध सदस्यों की संख्या पर बात हुई थी, जिसे सबने मिल कर खारिज कर दिया था.
लखन लाल महतो, एटक

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