खर्च कर दिये 3,442 करोड़, पर नहीं मिटा कुपोषण

आंगनबाड़ी केंद्रों की मॉनिटरिंग पर सालाना खर्च 1.10 करोड़, फिर भी हो रही गड़बड़ियां समाज कल्याण विभाग के तहत संचालित राज्य के अांगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी पर हर साल 1.10 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन यहां गड़बड़ी की शिकायतें थम नहीं रहीं. ताजा मामला गोड्डा के तेलियाटिकर गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2016 1:06 AM
आंगनबाड़ी केंद्रों की मॉनिटरिंग पर सालाना खर्च 1.10 करोड़, फिर भी हो रही गड़बड़ियां
समाज कल्याण विभाग के तहत संचालित राज्य के अांगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी पर हर साल 1.10 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन यहां गड़बड़ी की शिकायतें थम नहीं रहीं. ताजा मामला गोड्डा के तेलियाटिकर गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का है. मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में शिकायत की गयी कि यह केंद्र गत पांच वर्षों से महीने में दो दिन ही खुलता है. इससे स्थानीय बच्चों व महिलाअों को पोषाहार व अन्य कार्यक्रमों का लाभ नहीं मिल रहा.
रांची : सरकार बच्चों, किशोरियों तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को राज्य भर के 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये पोषाहार उपलब्ध कराती है. यह योजना पूरक पोषाहार कार्यक्रम (सप्लीमेंटरी न्यूट्रिशन प्रोग्राम या एसएनपी) कहलाती है. केंद्र प्रायोजित उक्त योजना पर राज्य गठन के बाद से वित्तीय वर्ष 2015-16 तक 3,442 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
पर कैलोरी व प्रोटीन पर हुए इस खर्च के बावजूद ग्रासरूट पर कुपोषण बरकरार है. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों, उनकी कार्य प्रणाली, सेविका व सहायिका की कार्यशैली सहित महिला पर्यवेक्षिका (लेडी सुपरवाइजर), सीडीपीओ, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी व विभाग के मॉनिटरिंग सिस्टम (अनुश्रवण तंत्र) पर सवाल खड़े होते रहे हैं.आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये संचालित पोषाहार व अन्य कार्यक्रम की मुख्यालय स्तर पर मॉनिटरिंग होती है.
इसके लिए समाज कल्याण निदेशालय में बाकायदा एक स्टेट मॉनिटरिंग सेल गत चार वर्षों से कार्यरत है. इसकी स्थापना पर सालाना 30 लाख रुपये खर्च होते हैं. वहीं, अब एक दैनिक अनुश्रवण प्रणाली भी शुरू की गयी है. निरीक्षण के दौरान फोटो लेने तथा आंकड़ों के अादान-प्रदान व संग्रहण के लिए सीडीपीअो व सुपरवाइजर को टैबलेट बांटे गये हैं. अांगनबाड़ी केंद्रों की सेविका व सहायिकाएं एसएमएस के जरिये सूचनाएं प्रेषित करती हैं. वहीं महिला पर्यवेक्षिका व सीडीपीओ को मॉनिटरिंग के लिए टैबलेट दिये गये हैं.
पहले से भारी गड़बड़ी : राज्य के 38,432 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों, महिलाओं व किशोरियों को पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है, पर इन केंद्रों को पोषाहार के लिए मिलनेवाली धन राशि की बंदरबांट होती रही है.
प्रधान महालेखाकार की तीन जिलों की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हो चुका है. गढ़वा, दुमका व धनबाद जिले में की गयी यह जांच (वर्ष 2006 से 2011 के बीच) आंगनबाड़ी केंद्रों में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन व विभागीय लोगों की कार्यशैली पर आधारित थी. गढ़वा के केंद्रों पर साल में 300 दिन के बदले वर्ष में सिर्फ 21 से 251 दिन तथा धनबाद के आंगनबाड़ी केंद्रों में दो से 42 दिन पोषाहार दिया गया था. अब सरकार केंद्रों पर रेडी-टु-इट पोषाहार उपलब्ध करा रही है.

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