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जल स्रोत के मुहाने बंद, कैसे भरे हटिया डैम

हटिया डैम में जमा होनेवाले पानी से अब राजधानी के लोगाें की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं. इसका वाजिब कारण भी है. वर्ष 1954-55 में बने इस डैम से उस वक्त भारी उद्योग निगम (एचइसी) के तीन प्लांटों और एचइसी के आवासीय परिसर में रहनेवाली करीब 15 हजार आबादी को पानी की आपूर्ति […]

हटिया डैम में जमा होनेवाले पानी से अब राजधानी के लोगाें की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं. इसका वाजिब कारण भी है. वर्ष 1954-55 में बने इस डैम से उस वक्त भारी उद्योग निगम (एचइसी) के तीन प्लांटों और एचइसी के आवासीय परिसर में रहनेवाली करीब 15 हजार आबादी को पानी की आपूर्ति की जाती थी. समय के साथ शहर का विस्तार हुआ और 60 से 70 के दशक में हटिया डैम से जलापूर्ति का दायरा भी बढ़ा. मौजूदा समय में इस डैम से राजधानी के चार लाख लोगाें को पीने का पानी मिलता है. जाहिर है कि अपनी क्षमता से करीब 27 गुना ज्यादा पानी शहर को मुहैया कराना इस डैम के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. जलापूर्ति का दायरा बढ़ना ही इस डैम की समस्या नहीं है. कम बारिश और आसपास अतिक्रमण की वजह से डैम में पर्याप्त मात्रा में पानी जमा न हो पाना भी बड़ी समस्या है.
रांची: हटिया डैम के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण भी होने लगा है. नये सरकारी भवन भी कैचमेंट के हिस्से में ही बन रहे हैं. डैम की दाहिनी तरफ अब रिंग रोड बन गया है, जिसकी वजह से गरमी के दिनों में डैम का जल स्तर तेजी से नीचे गिरने लगता है. एक अनुमान के मुताबिक गरमी के मौसम में हर दिन डैम का पानी औसतन 1-5 सेंटीमीटर तक पानी कम होता है. हालत यह है कि अब गरमी के मौसम में डैम के मेजरिंग टावर के आसपास ही थोड़ा बहुत पानी रहता है, जिसकी वजह से यह टापू जैसा दिखता है.

हटिया डैम में पानी का भंडारण मुख्यत: बारिश के जल से ही होता है. पिछले चार-पांच वर्षों से लगातार कम हो रही बारिश का प्रत्यक्ष असर डैम पर पड़ा है. इधर, नगड़ी में सुवर्णरेखा नदी के उदगम स्थल से भी डैम को पानी मिलना कम हो गया है. वर्ष 2010 में पहली बार हटिया डैम सूखने के कगार पर पहुंच गया था. उस समय डैम का न्यूनतम जल स्तर पांच फीट से भी कम हो गया था. वर्ष 2016 में भी मई-जून के महीने में डैम का जल स्तर 2.5 फीट तक पहुंच गया था. नवंबर 2010 से लेकर अगस्त 2011 तक पानी की राशनिंग पेयजल और स्वच्छता विभाग की तरफ से पहली बार की गयी थी. 2015 नवंबर से भी डैम से पानी की राशनिंग लगातार की जा रही है. डैम में पानी के भंडारन की अधिकतम सीमा 36 फीट है. पर पिछले कुछ वर्षों से 26-27 फीट से अधिक पानी का जमाव नहीं हो रहा है. डैम के बनने से सिर्फ दो-तीन बार ही पानी का अधिकतम स्तर 32 फीट से अधिक गया है. डैम के पूरे मुहाने पर लगाये गये बोल्डर सोलिंग को इस बार फिर से मरम्मत कराया गया है.
रिंग रोड बनने से प्राकृतिक रिसाव हुआ कम : रिंग रोड के बनने से डैम में प्राकृतिक रिसाव कम हो गया है. पहले खेतों का पानी रिस कर डैम में आता था. अब लाली गांव से कुछ आगे दो पुल के जरिये ही डैम में पानी पहुंचता है. सिक्स लेन वाले रिंग रोड के किनारे अब पक्के मकान भी बनने लगे हैं. हटिया डैम के नगड़ी, बालालोंग, ऊपर बलालोंग, नयासराय, सीठियो, बालसिरिंग, लाली गांव, मालसिरिंग और आसपास के इलाकों में रिंग रोड बनने से खेती योग्य जमीन में कई भवन भी बन गये हैं. पक्के भवन बनने से पानी का स्तर भी कम हो गया है. इन क्षेत्रों में डैम का 70 प्रतिशत कैचमेंट एरिया है. इस पर अब पूर्व की तुलना में मिट्टी का भराव अधिक हो गया है. इससे भी जल जमाव कम होने लगा है.
नये सरकारी भवन बनने से भी पड़ रहा है असर : डैम के आसपास नये सरकारी भवन बनने से भी पानी कम हो रहा है. हटिया डैम से पास न्यायिक अकादमी, नया हाइकोर्ट परिसर, नयी विधानसभा बन रही है. इससे कैचमेंट एरिया के बहुत निकट पक्के मकान बनने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसकी वजह से पानी का रिसाव भी कम हो रहा है. इतना ही नहीं सुवर्णरेखा नदी के उदगम स्थल लेकर हटिया डैम तक नदी के मार्ग में भी कई फैक्टरियां बन गयी हैं. इसमें से अधिकतर चावल मिल हैं. इन फैक्टरियों के बनने से सुवर्णरेखा नदी का मुहाना भी कई जगहों पर अतिक्रमित हुआ है. इतना ही नहीं सुवर्णरेखा नदी से हटिया डैम तक नदी के प्राकृतिक बहाव वाले क्षेत्र में भी कई मकान बनने से नदी भी पतली हो गयी है.
रोज एक करोड़ गैलन पानी की आपूर्ति
हटिया डैम से एक दिन में एक करोड़ गैलन पानी की आपूर्ति की जाती है. पेयजल और स्वच्छता विभाग की मानें तो यह आंकड़ा 10 मिलियन गैलन पानी का है. यानी 10 एमजीडी पानी की आपूर्ती से चार लाख की आबादी की जरूरतें पूरी की जाती हैं. इसमें बड़े उपभोक्ताओं से तीस से चालीस लाख गैलन पानी की आपूर्ति प्रति दिन की जाती है. जबकि घरेलू जरूरतों के लिए 70 लाख गैलन पानी की आपूर्ति की जाती है.
सिर्फ गरमी ही नहीं, जाड़े में भी परेशानी
हटिया डैम से हो रही राशनिंग की वजह से गरमी ही नहीं जाड़े में भी लोगों को परेशानी होती है. प्रावधानों के अनुसार सरकार को एक व्यक्ति के लिए प्रति दिन 120 लीटर पानी उपलब्ध कराना है. पर डैम से जुड़े इलाकों में प्रतिदिन पानी की आपूर्ति नहीं होने से लोगों की निर्भरता ट्यूबवेल पर बढ़ गयी है.
हो रही राशनिंग
फिलहाल, हटिया डैम से सप्ताह में चार दिन पानी की आपूर्ति की जा रही है. रविवार, सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को छोड़ अन्य तीन दिन पीने के पानी की आपूर्ति डैम से नहीं की जाती है.
डैम से जुड़े पानी के बड़े उपभोक्ता
हटिया डैम से पानी की आपूर्ति 21 बड़े उपभोक्ताओं को की जाती है. इसमें भारी उद्योग निगम (एचइसी), एचइसी के सारे प्लांट, प्रोजेक्ट भवन, मेकॉन कालोनी, हरमू हाउसिंग कालोनी, बिरसा मुंडा विमानपत्तन (एयरपोर्ट), हटिया रेलवे स्टेशन और काॅलोनी, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, तुपुदाना औद्योगिक परिसर और अन्य प्रमुख हैं.
15 वार्ड में भी की जाती है जलापूर्ति
हटिया डैम से 15 वार्डों की काॅलोनियों में भी जलापूर्ति की जाती है. इनमें बिरसा चौक, बंधु नगर, हवाई नगर (रोड नंबर एक से लेकर रोड नंबर -13 तक), हिनू बस्ती, शुक्ला काॅलोनी, एयरपोर्ट काॅलोनी, वीर कुंवर सिंह काॅलोनी, हिनू स्थित एजी काॅलोनी, सैटेलाइट काॅलोनी, जगन्नाथपुर, किलबर्न काॅलोनी, अपर किलबर्न काॅलोनी, सचिवालय काॅलोनी, हाइकोर्ट काॅलोनी हिनू, साकेत नगर, न्यू एरिया गांधी नगर, न्यू साकेत नगर, मनी टोला, पीएचइडी काॅलोनी हिनू, हटिया, डोरंडा कॉलेज के आसपास का इलाका और अन्य काॅलोनियां शामिल हैं. इनमें से अधिकतर कालोनियां नयी बनी हैं, जिन्हें हटिया डैम से जोड़ा गया है.
निगम क्षेत्र का दायरा बढ़ने से लीकेज भी बढ़ा
राजधानी में पेयजल और स्वच्छता विभाग के तीन जलाशयों से 4.40 करोड़ गैलन पानी की आपूर्ति एक दिन में की जाती है. पानी की आपूर्ति को लेकर शहर भर में 13 से अधिक पानी के ओवरहेड टैंक बनाये गये हैं. इससे 55 फीसदी आबादी को ही पीने का पानी मिल पाता है. शेष आबादी पीने के पानी के लिए 32 सौ से अधिक ट्यूबवेल पर निर्भर है. पीएचइडी की ओर से नगर निगम क्षेत्र में पीने का पानी पहुंचाने के लिए 808 किलोमीटर तक पाइपलाइन भी बिछायी गयी है. इन पाइपलाइनों में पानी का कनेक्शन रांची नगर निगम की ओर से दिया जा रहा है. निगम के अनुसार रांची में पीने के पानी के लिए 510 स्टैंड पोस्ट बनाये गये हैं. प्रति दिन पाइपलाइन से 30 प्रतिशत पानी का लीकेज भी हो रहा है, जिससे 80 हजार से अधिक की आबादी को पानी मिल सकता था.

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