नर्सिंग काउंसिल को स्वास्थ्य मंत्री की संस्था ने दी झूठी रिपोर्ट
रांची जीवेश jivesh.singh@prabhatkhabar.in स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की संस्था रामचंद्र चंद्रवंशी वेलफेयर ट्रस्ट ने सोहारी चंद्रवंशी नर्सिंग स्कूल में जीएनएम की पढ़ाई के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल को झूठी रिपोर्ट दी है. संस्था के सचिव ने नर्सिंग काउंसिल को 15 फरवरी 2016 को दिये आवेदन में कहा है कि जीएनएम कॉलेज खोलने के लिए निर्धारित […]
रांची जीवेश
jivesh.singh@prabhatkhabar.in
स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की संस्था रामचंद्र चंद्रवंशी वेलफेयर ट्रस्ट ने सोहारी चंद्रवंशी नर्सिंग स्कूल में जीएनएम की पढ़ाई के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल को झूठी रिपोर्ट दी है. संस्था के सचिव ने नर्सिंग काउंसिल को 15 फरवरी 2016 को दिये आवेदन में कहा है कि जीएनएम कॉलेज खोलने के लिए निर्धारित अर्हता में शामिल 100 बेड का उनका अस्पताल पलामू जिले के विश्रामपुर नगर पर्षद क्षेत्र के नावाडीह कला में है. इसका नाम सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल है.
इसका प्रबंधन ऑनलाइन कॉसेंट मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम से किया जा रहा है. पर सच्चाई यह है कि नावाडीह में ऐसा कोई अस्पताल नहीं है. इलाके के निरीक्षण के दौरान भी इस बात की जानकारी मिली कि वहां कोई अस्पताल नहीं चल रहा है. गांव के लोगों और विश्रामपुर नगर पर्षद अध्यक्ष हलीमा बीबी ने भी इस बात की पुष्टि की है. हालांकि ट्रस्ट की ओर से कुछ मेडिकल उपकरण जरूर खरीदे गये हैं, पर उसके कैंपस में कहीं कोई अस्पताल नहीं है, न ही किसी मरीज का उपचार होता है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने फोन पर कहा : सब सही है. अस्पताल चल रहा है, लोगों ने गलत बताया है. सुबह में डॉक्टर आते हैं. फिर कहा कि सब है, अभी इलाज नहीं चल रहा. फिर घर आकर बात करने को कहा.
2016-17 के लिए मांगी है स्वीकृति : संस्था की ओर इंडियन नर्सिंग काउंसिल को भेजे गये आवेदन के साथ पलामू जिला निबंधन पदाधिकारी द्वारा 28 अप्रैल 2016 को सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल के लिए जारी एक वर्ष के प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की कॉपी भी संलग्न है. इसकी रिपोर्ट पर पूर्व सिविल सर्जन सह तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रिंग अथॉरिटी (डीआरए) डॉ कलानंद मिश्रा ने मुहर लगायी है. इसके अलावा 50 हजार का डिमांड ड्राफ्ट (ड्राफ्ट नंबर 774439-03-03-2016) भी दिया गया है. ट्रस्ट ने सत्र 2016-17 के लिए जीएनएम की पढ़ाई शुरू करने के लिए स्वीकृति मांगी है.
तत्कालीन सिविल सर्जन को पता नहीं
सर्टिफिकेट जारी करनेवाले डॉ कलानंद मिश्रा का दावा है कि उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण कर सर्टिफिकेट जारी किया था. उनके अनुसार वहां पर बेड, सारे उपकरण और चिकित्सक भी थे. चिकित्सकों का नाम पूछे जाने पर उन्होंने याद नहीं रहने की बात कही. यह जरूर कहा कि वहां मरीज नहीं थे, इलाज नहीं होता था. साथ ही यह भी कहा कि उन्होंने नियम से काम किया है. इस संबंध में पलामू के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ बेनेदिक मिंज ने बताया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं. उनके संज्ञान में इस बात को नहीं लाया गया था कि इस तरह का कोई सर्टिफिकेट जारी हो रहा है. दूसरी ओर सच यह है कि वर्तमान में वहां ट्रस्ट के परिसर से कुछ दूरी पर एक सरकारी अस्पताल का निर्माण चल रहा है. कुल 23 कमरों के इस अस्पताल का निर्माण अभी प्लिंथ लेवल तक हुआ है. निर्माण में लगे मजदूरों के अनुसार उन्हें नहीं पता कि अस्पताल का क्या नाम है.
क्या है नियम
जीएनएम कॉलेज के लिए संस्थान का अपना 100 बेड का अस्पताल होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं है, तो अधिक से अधिक तीन ऐसे अस्पताल से उसका संबंद्धन जरूरी है, जिनके पास कुल बेड 100 हैं. ऐसे संबद्ध अस्पतालों की कॉलेज से दूरी सामान्य भौगोलिक परिस्थिति में 15 से 30 किलोमीटर, जबकि पहाड़ी व आदिवासी इलाके में 50 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. अस्पताल के 75 प्रतिशत बेड मरीजों से भरे होने चाहिए और यहां आइसीयू, आइसीसीयू, माइनर व मेजर ऑपरेशन थियेटर, गाइनिक, बच्चों, हड्डी, डेंटल, इएनटी, न्यूरो सहित अन्य सुविधाएं भी होनी चाहिए.
पलामू में नर्सिंग स्कूल के लिए मारामारी क्यों
पलामू में रामचंद्र चंद्रवंशी वेलफेयर ट्रस्ट ने पलामू के विश्रामपुर व मेदिनीनगर और गढ़वा में कई शैक्षणिक संस्थान खोल रखे हैं. सबसे ज्यादा संस्थान विश्रामपुर में एक ही जगह पर ट्रस्ट के परिसर में है. यहां पर तकनीकी से लेकर व्यावसायिक शिक्षा तक दी जा रही है. ट्रस्ट यहां जीएनएम की पढ़ाई शुरू करना चाहता है. पलामू प्रमंडल में जीएनएम की पढ़ाई के लिए कोई संस्थान नहीं है. इस इलाके में पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति-जनजाति की आबादी है. इनकी पढ़ाई के लिए सरकार की ओर से छात्रवृत्ति भी दी जाती है. हर वर्ष कल्याण विभाग से करोड़ों रुपये इस मद में निकलते हैं. पलामू में जीएनएम की पढ़ाई शुरू होने से संबंधित संस्थान को काफी आर्थिक लाभ हाेगा.
क्या कहते हैं तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ बेनेदिक मिंज
कब से कब तक आप रहे सिविल सर्जन?
11 अप्रैल 2016 से 31 जुलाई 2016 तक.
मंत्री के ट्रस्ट द्वारा संचालित सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल के लिए आपके कार्यकाल में सर्टिफिकेट जारी हुआ था. आपको पता है?
नहीं, हमको तो नहीं पता है. कभी किसी ने बताया भी नहीं, कुछ सुना जरूर था कि कुछ हो रहा है.
आप सीएस थे, पर डॉ कलानंद मिश्रा ने सर्टिफिकेट जारी किया है, ऐसा क्यों?
मुझे नहीं पता, मुझे किसी ने कभी कोई फाइल भी नहीं दिखायी. हो सकता है सब बैकडेट से हुआ हो.
आपका कार्यकाल कैसा था?
आप भी पलामू को जानते हैं, हमको अंतिम समय में किसी मामले में फंसना नहीं था, इसलिए सिर्फ नौकरी की.
क्या कहा सर्टिफिकेट जारी करनेवाले डॉ कलानंद मिश्रा ने
मंत्री के ट्रस्ट द्वारा संचालित सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल के लिए आपने सर्टिफिकेट जारी किया है, क्या आपने निरीक्षण किया था?
जी मैंने व्यक्तिगत रूप से सब कुछ देखा था, मैंने संतुष्ट होकर प्रमाण पत्र दिया है.
मेरी जानकारी में ऐसा कोई अस्पताल चलता नहीं है?
नहीं तो, चलता है, मैं गया था तो सब कुछ था, बेड था, इंफ्रास्ट्रक्चर था, डॉक्टर भी थे़
मरीज भी थे? डॉक्टर कौन थे?
नहीं मरीज नहीं थे़ डॉक्टर कौन थे याद नहीं बहुत दिन हो गया़
आपने सही तरीके से चेक किया था ना?
देखिये मैंने जो किया वो निमयमत: किया है. नियमानुसार तो वहां जाना भी नहीं है, पर मैं गया था. सब कुछ देखा था. कागज भी देखा था और पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही सर्टिफिकेट दिया.