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दखल दिहानी के विरोध में राजभवन के समक्ष महाधरना, बोले प्रभावित…

रांची : घर बचाओ संघर्ष समिति ने शनिवार को दखल दिहानी के विरोध में राजभवन के समक्ष महाधरना दिया. प्रभावितों ने एक स्वर में कहा कि आदिवासी जमीन लेने के लिए हमलोगों ने पैसे दिये हैं. जीवन भर की कमाई लगा दी है. ऐसे में जान दे देंगे, पर मकान नहीं देंगे. लोगों ने कहा […]

रांची : घर बचाओ संघर्ष समिति ने शनिवार को दखल दिहानी के विरोध में राजभवन के समक्ष महाधरना दिया. प्रभावितों ने एक स्वर में कहा कि आदिवासी जमीन लेने के लिए हमलोगों ने पैसे दिये हैं. जीवन भर की कमाई लगा दी है. ऐसे में जान दे देंगे, पर मकान नहीं देंगे.

लोगों ने कहा कि जब से दखल दिहानी का मामला आया है, तब से महिलाएं ठीक से सो नहीं पा रही हैं, पुरुष कमाने नहीं जा पा रहे हैं और बच्चे बेघर होने के भय से पढ़-लिख नहीं रहे हैं. इसकी चिनगारी गंगा नगर व यमुना नगर से फैलते हुए राजधानी के हर कोने में पहुंच गयी है. प्रभावितों ने कहा कि जन प्रतिनिधियों से लेकर आला अफसरों से गुहार लगा चुके हैं, पर कुछ नहीं हुआ. ऐसे में सड़क पर संघर्ष करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. मौके पर भीम पांडेय, आलोक तिवारी, मणिकांत झा, रानी कुमारी, भोलू जी, संयुक्त देवी व डी मिस्त्री आदि थे.
एक भी घर उजड़ने नहीं देंगे : समिति के संरक्षक विनोद सिंह ने कहा कि हम किसी भी हाल में एक भी घर उजड़ने नहीं देंगे. गरीबों ने इसमें अपनी पूरी कमाई लगा दी है. ऐसे में दखल दिहानी के नाम पर उन्हें हटाना किसी भी हाल में ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों ने अपनी जमीन वापस लेने से मना किया, फिर भी प्रशासन ने उनके साथ ऐसा किया है. इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जायेगा.
3000 मामले आये : एसडीअो ने कहा कि दखल दिहानी के 3000 मामले अभी आये हैं. इसमें से 700 लोगों को नोटिस दिया गया है. इसके खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किया है.
मकान टूटेगा, तो कोई चुप नहीं बैठेगा : ओझा
समिति के मुख्य संरक्षक उदय शंकर अोझा ने हमलोग गांधीवादी तरीके से लड़ना चाहते हैं. पर तभी तक, जब तक कि शासन के लोग कानून के दायरे में रहेगी. अगर प्रशासन घर-मकान तोड़ने का प्रयास करेगा, तो कोई चुप नहीं बैठेगा. उन्होंने कहा कि 10 फीट का नाली बनवाने मंत्री/विधायक पहुंच जाते हैं. पर चार लाख लोगों का घर टूट रहा है, कोई नहीं आ रहा है. जमशेदपुर में 86 बस्ती बिना कागज के है. इसे रेगुलराइज कराने की बात सीएम कह रहे हैं. ऐसे में यहां की 150 बस्ती को बसायें. लोगों को जीने का अधिकार दें. जमीन का पट्टा दें. यह भुक्तभोगियों-पीड़ितों का महाधरना है. किसी राजनीतिक दल का नहीं. श्री ओझा ने कहा कि जमीन आदिवासी की थी, पर मकान तो उनका नहीं है. मकान में दखल दिहानी दिला रहे हैं या जमीन में, यह स्पष्ट करें. पैसा देकर एग्रीमेंट हुआ है.
घर तोड़नेवाला हमारा दुश्मन : मो इबरार
अंजुमन इसलामिया के अध्यक्ष मो इबरार ने कहा कि हम आपके साथ संघर्ष में हैं और रहेंगे. हम राजनीतिक दल नहीं हैं. जब हमारी मां-बहन-बेटी को अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए सड़क पर उतरना पड़ता है, तो उनका साथ देना जरूरी है. इसलाम नगर टूटा, फिर नागाबाबा खटाल. इस लड़ाई में नहीं थे, क्योंकि लगा कि ये उनकी लड़ाई है. यह मेरी लड़ाई नहीं है. लेकिन अब कहीं भी बेदखल होगा, कहीं भी तोड़ा जायेगा, तो हम तमाम लोग वहां शॉर्ट नोटिस पर पहुंच जायेंगे और लड़ेंगे. गरीब के घर तोड़ने पर हम सब एक होंगे. हिंदू-मुसलमान या आदिवासी कोई किसी का दुश्मन नहीं. दुश्मन हमारा घर तोड़नेवाला है.
इधर अलग राय रखनेवालों ने कहा
जनता को बरगला रहे हैं कुछ नेता : मनोज
आदिवासी जमीन की दखल दिहानी मामले में शनिवार को घर बचाओ संघर्ष समिति की ओर से दिये गये धरना को भाजपा रांची महानगर ने व्यर्थ करार दिया है. महानगर अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने कहा कि कुछ नेता जनता को बरगला कर राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हैं.भाजपा ने ही बेघर लोगों को घर देने की योजना शुरू की है. इस मामले में मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री ने भी कहा कि लोग संयम व शांति से काम लें, व्यर्थ की चिंता न करें. सरकार गरीब और न्याय पसंद जनता के साथ है. किसी के साथ अन्याय नहीं होगा.
मुसलमानों की जमीन भी सीएनटी में हो
नौजवान अंजुमन इसलामिया केंद्रीय कमेटी के मुख्य संयोजक इरशाद इमाम ने कहा कि झारखंड के मुसलमानों की जमीन को भी सीएनटी एक्ट के दायरे में लाया जाये. उन्होंने कहा कि आदिवासी की भूमि सीएनटी एक्ट के दायरे में है अौर उसकी खरीद-बिक्री पर रोक है. मुसलमानों की भूमि भी धड़ल्ले से बिक रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में मुसलमानों के समक्ष विकट स्थिति पैदा हो जायेगी.
यह सामाजिक विषय है : अजय नाथ शाहदेव
पूर्व डिप्टी मेयर अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि यह राजनीतिक नहीं सामाजिक विषय है. यह हिंदू-मुसलिम या किसी जाति की नहीं, बल्कि गरीबों की लड़ाई है. हम किसी भी हाल में जमीन नहीं देंगे. हमसब आपके साथ हैं. 1932 से लीज वाली जमीन पर रहनेवालों से भी सरकार लीज के नाम पर बड़ी राशि मांग रही है. आपकी तरह हर जगह गरीबों पर आफत है. सरकार को यह चिंता होनी चाहिए कि उनके घरों में काम करनेवाले कहां रहते हैं. पर यह चिंता कभी नहीं की गयी. न ही ध्यान दिया गया. अगर पहले से ध्यान देते और गरीबों की व्यवस्था होती, तो यह नौबत ही नहीं आती. यहां कानून नहीं इंसानियत की बात है. पीएम का सपना है कि हर व्यक्ति का अपना घर हो. यहां लाखों गरीबों का घर उजाड़ दिया जायेगा, तो उनके सपने का क्या होगा? सीएम से आग्रह है कि गरीबों को नहीं उजाड़ें.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
घर बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में आयोजित महाजुटान के दौरान राजभवन के आसपास के इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. राजभवन के गेट नंबर दो के सामने स्थित चौक के पास सड़क पर बांस लगा कर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के उपाय किये गये थे. बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे. उसके आगे मोड़ पर एवं हॉट लिप्स चौक पर भी सुरक्षा के इंतजाम किये गये थे. इस दौरान लोगों का आवागमन सामान्य रूप से होता रहा. सुरक्षाकर्मियों को बल प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ी.

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