बूंद भर पानी की भी कीमत समझें

जल संरक्षण पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का समापन रांची : समाज में हर किसी को अब जल संरक्षण की जिम्मेवारी लेनी होगी. आनेवाली चुनौतियों को देखते हुए हमें बूंद-बूंद पानी की कीमत समझनी होगी. ये बातें डोरंडा स्थित नेपाल हाउस के इंजीनियर भवन में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन रविवार को वक्ताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2016 5:53 AM
जल संरक्षण पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का समापन
रांची : समाज में हर किसी को अब जल संरक्षण की जिम्मेवारी लेनी होगी. आनेवाली चुनौतियों को देखते हुए हमें बूंद-बूंद पानी की कीमत समझनी होगी. ये बातें डोरंडा स्थित नेपाल हाउस के इंजीनियर भवन में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन रविवार को वक्ताओं ने कहीं. ‘झारखंड में जल सुरक्षा’ विषय पर इस सेमिनार का का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स, झारखंड फाउंडेशन, यूनिसेफ व इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के संयुक्त प्रयास से किया गया था.
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में जल सुरक्षा और इस संदर्भ में कुछ सफल उदाहरणों पर चर्चा की गयी. निमित्त संस्था की प्रमुख डॉ निकिता सिन्हा ने खूंटी जिले में नीर निर्मल परियोजना और इसके जरिये जल संरक्षण की दिशा में आये बदलावों के बारे में बताया. सपोर्ट के कार्यकारी निदेशक बीएस गुप्ता ने झारखंड के रामगढ़ जिले में जलछाजन मिशन और अन्नपूर्णा मॉडल के जरिये जल संरक्षण की दिशा में आये सुधारों के बारे में अपने अनुभव बांटे.
डीवीसी के कार्यकारी अभियंता संजय कुमार, इलेक्ट्रो स्टील के सबर्णा राय ने उनकी संस्थाओं द्वारा जलापूर्ति सेवाओं के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. यूनिसेफ के डॉ वीएस चौहान ने झारखंड में पेयजल सुरक्षा और इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि हमें पानी की उपलब्धता, उसकी गुणवत्ता और उसके प्रबंधन के अनुसार ही रणनीति बनानी चाहिए.
निकायों और पंचायतों की भागीदारी जरूरी : झारखंड फाउंडेशन के सलाहकार कल्लोल साहा ने राज्य में जल सुरक्षा के लिए विभिन्न स्तरों पर उठाये जा रहे कदमों की चर्चा की. उन्होंने बताया कि रेनवाटर हार्वेस्टिंग के बारे में लोगों में सकारात्मक सोच पैदा हुआ है.
नगर निकायों और पंचायतों की भागीदारी से जल संकट बहुत हद तक दूर किया जा सकता है. इस सत्र का संचालन निदेशक डॉ विष्णु राजगढ़िया ने किया.
ये भी शामिल हुए सेमिनार में : जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख शिवानंद राय, पूर्व अभियंता प्रमुख शरदेंदु नारायण, यूनिसेफ के कुमार प्रेमचंद, जल सुरक्षा विशेषज्ञ एचजे पटेल समेत अन्य लोग शामिल हुए.
निकायों की भूमिका तथा चुनौतियों पर चर्चा
तीसरे सत्र में जल सुरक्षा और इस दिशा में झारखंड में नगर निकायों की भूमिका तथा चुनौतियों के संदर्भ में चर्चा की गयी. रांची नगर निगम के प्रतिनिधि डीके सिंह ने रांची नगर निगम द्वारा जल संकट दूर किये जाने संबंधी प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. टाटा स्टील के प्रतिनिधि एस हैदर, पूर्व पीसीसीएफ अरविंद कुमार, सीएमपीडीआइ के प्रभु प्रसाद, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के डॉ एसी पांडेय व कार्तिक शेषण ने अपने विचार रखे.
सफल उदाहरणों से किया प्रेरित
आखिरी सत्र में स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी के माध्यम से झारखंड में जल उपयोगिता के सफल उदाहरणों को विकसित किये जाने पर विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण जानकारी दी. गुजरात से आये पूर्व मुख्य अभियंता आरजी भट्ट और अधीक्षण अभियंता एस राव और एचजे पटेल, निफ्ट रांची के दीपेंद्र सिन्हा, मेकन के अभियंता एच नागवाणी और सेल के एस मित्र मजुमदार ने अपनी राय रखी. मंच संचालन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स के एके सक्सेना ने किया.

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