क्योंकि राजधानी रांची में ही गत करीब डेढ़ वर्ष से आयुष की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा. दरअसल राज्य मद वाली दवाअों की खरीद जिला स्तर से होती है. इधर वित्तीय वर्ष 2015-16 में जिला को मिले दवाअों के पैसे सरेंडर हो गये तथा चालू वित्तीय वर्ष में अब तक खरीद नहीं हो सकी है. रांची के अलावा कई अन्य जिलों में भी यही स्थिति है. पर रांची में चिकित्सकों की संख्या अधिक होने के कारण दवा नहीं होने का नुकसान भी ज्यादा है.
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राज्य में ”आयुष” का हाल, जिले में चिकित्सक तो हैं पर डेढ़ साल से दवा नहीं
रांची : रांची जिले में आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा व होमियोपैथी) के सबसे ज्यादा 14 चिकित्सक हैं. एक चिकित्सक को प्रति माह 70-80 हजार रुपये मिलते हैं. इस तरह से सरकार इन के वेतन पर सालाना 1.18 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, लेकिन वास्तव में इनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है. क्योंकि […]
रांची : रांची जिले में आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा व होमियोपैथी) के सबसे ज्यादा 14 चिकित्सक हैं. एक चिकित्सक को प्रति माह 70-80 हजार रुपये मिलते हैं. इस तरह से सरकार इन के वेतन पर सालाना 1.18 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, लेकिन वास्तव में इनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है.
योग व सिद्धा के लिए नहीं सृजित हैं पद : गौरतलब है कि आयुष चिकित्सकों के राज्य में कुल 505 पद सृजित हैं. इनमें से 422 पद रिक्त हैं. आयुष के आयुर्वेद, होमियौपैथी व यूनानी से संबद्ध राज्य भर में कुल 83 स्थायी चिकित्सक हैं. योग व सिद्धा के लिए पद सृजित नहीं हैं. लगभग सभी जिलों में इन चिकित्सकों की संख्या सिर्फ एक या दो है. लोहरदगा में तो कोई चिकित्सक नहीं है.
कुल पद व कार्यरत चिकित्सक
पद्धति स्वीकृत कार्यरत रिक्त
आयुर्वेदिक 254 51 203
होमियोपैथी 163 25 138
यूनानी 88 07 81
कुल 505 83 422
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