बकोरिया मुठभेड़ की जांच तीन महीने में पूरी करने का आदेश

रांची: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पलामू के बकोरिया में पुलिस मुठभेड़ में 12 कथित नक्सली के मारे जाने की घटना की जांच तीन माह में पूरी करने का आदेश दिया है. बुधवार को ज्यूडिशियल एकेडमी में हुई सुनवाई में आयोग ने मामले के पीड़ितों का पक्ष सुना. मुठभेड़ में मारे गये उदय यादव और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2016 8:44 AM
रांची: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पलामू के बकोरिया में पुलिस मुठभेड़ में 12 कथित नक्सली के मारे जाने की घटना की जांच तीन माह में पूरी करने का आदेश दिया है. बुधवार को ज्यूडिशियल एकेडमी में हुई सुनवाई में आयोग ने मामले के पीड़ितों का पक्ष सुना. मुठभेड़ में मारे गये उदय यादव और नीरज यादव के परिजनों ने आयोग को बताया कि आठ मई 2015 को झारखंड जनमुक्ति मोरचा (जेजेएमपी) के सदस्य 12 लोगों को घर से उठा कर ले गये थे. दूसरे दिन पुलिस ने सभी को मुठभेड़ में मार डालने का दावा किया. असल में यह फरजी मुठभेड़ थी.
उदय यादव पारा टीचर थे. अन्य लड़कों पर कोई आरोप भी नहीं था. इसके बावजूद इन लोगों को नक्सली बता दिया गया. परिजनों ने बताया कि अब तक न्याय नहीं मिला है. किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. परिजनों ने आयोग से दोषी अधिकारियों को गिरफ्तार करने और पूरे मामले की जांच सीबीअाइ या एसआइटी से कराने की मांग की. नीरज यादव का भाई उदय यादव ने बताया कि सुनवाई के बाद एनएचआरसी के सदस्यों ने सीआइडी को तीन माह में जांच पूरा करने का आदेश दिया. जांच से असंतुष्ट होने पर आगे शिकायत करने को कहा गया है.
मृतकों में 11 का नहीं था नक्सली होने रिकार्ड
2015 में पलामू के बकोरिया में पुलिस ने कथित मुठभेड़ में 12 लोगों को मारने का दावा किया था. इनमें एक नाबालिग था. पुलिस के अनुसार, सभी माओवादी थे. हालांकि पुलिस के पास सिर्फ एक के नक्सली होने का प्रमाण है. घटना के कुछ दिन बाद सामने आयी मुठभेड़ स्थल की तसवीरों व जब्ती सूची ने पुलिस के दावे पर सवाल खड़ा कर दिया था. पुलिस ने जो हथियार जब्त किये थे, उनमें से एक में ट्रिगर नहीं था. एक में मैगजीन नहीं थी. जब्त स्कॉरपियो के चालक की सीट पर बंधे तौलिया के ऊपरी हिस्से में खून लगे होने की बात सूची में लिखी गयी थी, लेकिन तसवीर में तौलिया पर खून लगा हुआ नहीं था.

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