करमा हमारी संस्कृति की पहचान
बाबूलाल ने यह भी कहा, जैसे सामूहिक रूप से पर्व मनाते हैं, वैसे ही सरकार की गलत नीतियों के विरोध में आगे आना होगा चान्हो : करमा पर्व हमारी संस्कृति की पहचान है. इसे सदियों से आदिवासी व मूलवासी मिलजुल कर मनाते हैं. उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कही. वे रविवार को पोड़ाटोली […]
बाबूलाल ने यह भी कहा, जैसे सामूहिक रूप से पर्व मनाते हैं, वैसे ही सरकार की गलत नीतियों के विरोध में आगे आना होगा
चान्हो : करमा पर्व हमारी संस्कृति की पहचान है. इसे सदियों से आदिवासी व मूलवासी मिलजुल कर मनाते हैं.
उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कही. वे रविवार को पोड़ाटोली में करम पूर्व संध्या समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग जिस तरह सामूहिक रूप से पर्व-त्योहार मनाते हैं, उसी तरह आनेवाले दिनों में सरकार की गलत नीतियों के विरोध के लिए भी आगे आना होगा. पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि करमा पर्व का प्रकृति व जमीन से सीधा संबंध है. जमीन हमारी पहचान है. हम जिस दिन जमीन से अलग हुए हमारा अस्तित्व मिट जायेगा. उन्होंने सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन अध्यादेश को लेकर कहा कि इससे आदिवासी व मूलवासी दोनों को नुकसान है.
इसके लिए हम सभी को सामूहिक विरोध करना होगा. प्रखंड सरना समिति द्वारा आयोजित समारोह में आसपास के विभिन्न
गांवों के 40 खोड़हा के सदस्यों ने हिस्सा लिया. करम पर्व पर आधारित गीत-नृत्य प्रस्तुत किया. समारोह में बाबूलाल मरांडी व बंधु तिर्की ने मांदर बजा कर लोगों का उत्साह वर्धन किया. पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त करनेवाले खोड़हा को मांदर देकर सम्मानित किया गया. संचालन मो मोजीबुल्लाह ने किया. मौके पर जिप सदस्य हेमलता उरांव, बबीता देवी, उप प्रमुख चंदन गुप्ता, झाविमो ग्रामीण जिलाध्यक्ष प्रभुदयाल बड़ाइक, अजीत सिंह, मंगलेश्वर उरांव, मंगलदेव उरांव, मंंगरू भगत सहित अन्य मौजूद थे.