खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 पर कार्यशाला, मंत्री ने कहा कानून बनते हैं, पर लागू नहीं होते

रांची: पर्यटन व नगर विकास मंत्री सुरेश पासवान ने कहा कि कानून बनते हैं, पर लागू नहीं होत़े गरीबों के गरीब बने रहने, भूख से मौत की खबरें लगातार आती रहती हैं. एनजीओ गांवों तक जायें और लोगों को सरकार की योजनाओं की जानकारी दें़ पंचायतों को भी सशक्त करने की आवश्यकता है़ खाद्य सुरक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2014 7:45 AM

रांची: पर्यटन व नगर विकास मंत्री सुरेश पासवान ने कहा कि कानून बनते हैं, पर लागू नहीं होत़े गरीबों के गरीब बने रहने, भूख से मौत की खबरें लगातार आती रहती हैं. एनजीओ गांवों तक जायें और लोगों को सरकार की योजनाओं की जानकारी दें़ पंचायतों को भी सशक्त करने की आवश्यकता है़ खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर राज्य सरकार सकारात्मक है़ श्री पासवान सोमवार खाद्य सुरक्षा विषय पर चेतना विकास, देवघर एवं ऑक्सफेम इंडिया के राज्यस्तरीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थ़े आयोजन खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 को झारखंड में लागू कराने के सामुदायिक प्रयास के तहत एसडीसी सभागार में किया गया.

पत्रकार मधुकर ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए जरूरी है कि खाद्यान्न मामले में राज्य खुद सक्षम बने अथवा खाद्यान्न बाहर से आने की स्थिति में उसके भंडारण व वितरण में सक्षम हो़ झारखंड इनमें से किसी भी मामले में तैयार नहीं है़

किसी का भूखा रहना सभ्य समाज के लिए कलंक: सामाजिक कार्यकर्ता अशोक भगत ने कहा कि सभ्य समाज के लिए किसी का भूखा रहना कलंक का विषय है़ हर बात के लिए सरकार के भरोसे रहना ठीक नहीं है़ खेती को मजबूत करने की दिशा में प्रयास किये जायें़ गांव का शासन ग्रामीणों के हाथ में होना चाहिए. लोकपाल मनरेगा, गुरजीत सिंह ने कहा कि कहीं यह कानून जनवितरण प्रणाली के सुधार का कार्यक्रम ही बन कर न रह जाय़े

खाद्य सुरक्षा सिर्फ खाद्यान्न की उपलब्धता नहीं: सच्चिदानंद झा ने कहा कि सामाजिक कार्यो से जुड़ कर सभी संगठनों को ईमानदारी से काम करना चाहिए़ बिरसा कृषि विवि के शिक्षा प्रसार निदेशक डॉ आरपीएस रत्न ने कहा कि खाद्य सुरक्षा का अर्थ सिर्फ अनाज उपलब्ध कराना नहीं है़ खाद्य सुरक्षा का अर्थ खाद्य की उपलब्धता, पहुंच व ग्रहण करने की क्षमता है़ पोषण सुरक्षा खाद्य सुरक्षा का ही एक पहलू है.

ऑक्सफेम इंडिया के रिजनल मैनेजर प्रवीण कुमार प्रवींद जी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के लिए ऑक्सफेम इंडिया जागरूकता व सशक्तीकरण कार्यक्रम चलाती रहेगी़ कुमार रंजन ने कहा कि सिर्फ अधिनियम लागू होने से स्थिति नहीं बदले जायेगी. इसके हर पहलू पर ध्यान देना होगा़. संचालन विनीत कुमार चौबे ने किया़ शशिकांत मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया़

22 सूत्री मांग पत्र
कार्यशाला के समापन पर 22 सूत्री मांग पत्र प्रस्तुत किया गया. इसमें कहा गया कि खाद्य सुरक्षा झारखंड में भी लागू हो. कोई भी जरूरमंद न छूटे. चयन प्रक्रिया में ग्राम सभा व पंचायत की भूमिका सुनिश्चित की जाये. सुप्रीम कोर्ट द्वारा परिभाषित अंत्योदय अन्न योजना के लाभुकों को कानूनी रूप से शामिल किया जाये. राशन वितरण की जिम्मेवारी स्वयं सहायता समूहों व महिला मंडल दी जाये. अनाज उठाव के लिए एनजीओ को रिवॉल्विंग फंड मिले. दुकानों के लिए सरकारी भवन उपलब्ध कराये जायें. जन वितरण दुकानों तक लाभुकों की सहज पहुंच हो. अनाज के समय पर पहुंच, कालाबाजारी, कम वजन, गुणवत्ता आदि की निगरानी में पारदर्शिता बरती जाये. यह सुनिश्चित किया जाये कि 0 से 6 वर्ष की उम्र के सभी बच्चे, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं व किशोरी बालिकाओं को शामिल किया जाये. समुचित कैलोरी व गुणवत्ता पूर्ण भोजन के लिए अन्य वस्तुओं के अलावा बच्चों को सप्ताह में पांच दिन एक-एक अंडा मिले. योजनाओं में डिब्बाबंद खाना एवं निजी कंपनियों, ठेकेदारों एवं सप्लायरों को निषिद्घ किया जाये, आदि.

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