विल्सन के रोगियों का दर्द बांटने की काेशिश

रांची : चतरा के रहने वाले मो अब्दुल हफीज की दो बेटियां विल्सन से रोगग्रस्त है़ं बेटियां दर्द झेल रही थी़ पूरे परिवार की जिंदगी थम गयी थी़ मो हाफिज की आंखों में बेटियों का बेपनाह दर्द झांका जा सकता था़ तीन महीने और दवा नहीं मिलती, तो जीवन लीला खत्म हो जाती़ हंसने-खेलने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2016 7:36 AM
रांची : चतरा के रहने वाले मो अब्दुल हफीज की दो बेटियां विल्सन से रोगग्रस्त है़ं बेटियां दर्द झेल रही थी़ पूरे परिवार की जिंदगी थम गयी थी़ मो हाफिज की आंखों में बेटियों का बेपनाह दर्द झांका जा सकता था़ तीन महीने और दवा नहीं मिलती, तो जीवन लीला खत्म हो जाती़ हंसने-खेलने के दिन में इनकी बेटियां जिंदगी की जंग लड़ रहीं है़ं पटना की सबा की बड़ी बहन जबीन को भी यही असाध्य रोग था़ पटना ने हाथ खड़ा कर दिया, तो दवा के लिए लाचार बहन को लेकर बेबस जिंदगी से छुटकारा पाने रांची पहुंच गयी़ं रिम्स के डॉ डीके झा इन रोगियों को देख रहे थे़ बाजार में विल्सन की दवा पेनीसिलाइन नहीं है़ .
एक संवेदनशील डॉक्टर के लिए मरीज का दर्द कचौटता है़ मन विलाप करता है कि काश, दवा होती, तो इन चहकती बेटियों को बचा पाता़ प्रभात खबर ने पहल की. दवा व्यवसायी अश्विनी राजगढ़िया और उनके मित्र जय प्रकाश (जेपी) सिंघानिया आगे आये़ व्यवसाय कर खाते-कमाते तो सब हैं, लेकिन इन दोनों युवाओं का सामाजिक सरोकार कइयों को राह दिखता है़ रात-दिन की मेहनत से दोनों व्यवसायी ने दवा मंगायी. सैकड़ों लोगों से संपर्क किया़ रात-दिन लगे रहे़ प्रभात खबर भी अपने स्तर पर प्रयास करता रहा़ आखिर में व्यवसायी जोड़ी ने नाउम्मीद हाफिज और पटना की सबा की खुशियां लौटा दी़ डॉ झा भी गदगद थे़.
तीन रोगियों को दवा मिली, तो विल्सन के दूसरे रोगियों की मुश्किलें भी प्रभात खबर तक पहुंचने लगी़ं दवा के लिए हाहाकार है़ डॉक्टर कहते हैं : विल्सन रेयर डिजिज है़ सचमुच भगवान किसी को यह दंश ना दे़ प्रभात खबर के पास दर्जनों लोगों ने फोन किया. कोई अपने बच्चे, कोई अपने भाई, तो कोई अपने पिता का दर्द बांट रहा है़ परिवार की बेचैनी प्रभात खबर को भी कचाेट रही है़ कैसे इनके लिए दवा की व्यवस्था हो़ अदम्य आत्मविश्वास से लबरेज अश्विनी और जय प्रकाश भी थकनेवाले नहीं है़ं अश्विनी और जय प्रकाश कहते हैं : हर हाल में दवा की व्यवस्था करेंगे़ जो कुछ भी लगेगा , इनके लिए लगायेंगे़ 300 गोलियों की व्यवस्था कर ली है़ मरीज आयेंगे, तो उनके लिए बाहर भी जाना पड़े, तो जायेंगे़ जहां राेशनी दिखेगी, पहुंचेंगे़ .

किसी भी हाल में विल्सन के रोगियों को दर्द नहीं झेलने देंगे़ अश्विनी बताते हैं : कई रोगियों के परिजन ने संपर्क किया है़ नि:शुल्क दवा देने का उनको वादा किया है़ जितनी भी मुश्किल हो, हम उठाने के लिए तैयार है़ं इधर, युवा व्यवसायी का मनोबल देख, प्रभात खबर भी उनके साथ हरकदम है़

Next Article

Exit mobile version