सर्टिफिकेट केस में फंसे हैं 180 करोड़
रांची: झारखंड सरकार के राजस्व के 180 करोड़ रुपये सर्टिफिकेट केस में फंस गये हैं. वाणिज्यकर विभाग को यह राशि कर चोरी के मामले में राज्य के विभिन्न व्यवसायियों से वसूलनी थी, किंतु वाणिज्य कर विभाग ने कर वसूली में अक्षमता जाहिर करते हुए राज्य के विभिन्न जिलों के नीलाम पत्र अधिकारी के पास मामला […]
रांची: झारखंड सरकार के राजस्व के 180 करोड़ रुपये सर्टिफिकेट केस में फंस गये हैं. वाणिज्यकर विभाग को यह राशि कर चोरी के मामले में राज्य के विभिन्न व्यवसायियों से वसूलनी थी, किंतु वाणिज्य कर विभाग ने कर वसूली में अक्षमता जाहिर करते हुए राज्य के विभिन्न जिलों के नीलाम पत्र अधिकारी के पास मामला दर्ज कराया है.
राज्य गठन के बाद से ही कर चोरी करनेवाले व्यापारियों के विरुद्ध सर्टिफिकेट केस दर्ज कराने के अलावा विभाग ने कोई और कार्रवाई नहीं की है. राज्य के 400 से अधिक व्यवसायियों के विरुद्ध विभाग द्वारा दायर किये गये सर्टिफिकेट केस लंबित हैं.
क्या है सर्टिफिकेट केस
सर्टिफिकेट केस तब किया जाता है, जब संबंधित एजेंसी अपना बकाया नहीं वसूल कर पा रही हो. बकाया वसूलने में अक्षम होने पर एजेंसी उपायुक्त के अधीन जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी के पास मामला दर्ज कराती है.
बकायेदार का नाम, पता और वसूली की राशि का ब्योरा जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी को भेजा जाता है. नीलाम पत्र पदाधिकारी को पावर है कि वह बकाया वसूली के लिए बॉडी वारंट या कुर्की जब्ती तक करा कर सूद के साथ राशि वसूल सकता है.
भाग गये कई बकायेदार
वाणिज्यकर विभाग ने जिन व्यापारियों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया है, उनमें से कई बड़े बकायेदार अपना धंधा समेट कर भाग गये हैं. विभाग के अधिकारी बताते हैं : ऐसे कई मामले हैं, जिन्होंने सर्वे के बाद नोटिस मिलते ही अपना धंधा समेट लिया है. हमने उनके ऊपर मामले तो दर्ज कराये हैं, लेकिन नीलाम पत्र पदाधिकारी की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में विभाग वसूली करने में अक्षम है.