दिन भर जाम से जूझता रहा शहर
राजधानी की सड़कें सोमवार को दिन भर जाम से जूझती रहीं. राजभवन के समक्ष विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन जाम की मुख्य वजह बना. यानी राजभवन से जुड़ी लगभग हर सड़क जाम हो गयी. जाम का सिलसिला सुबह 10:30 बजे शुरू हुआ, जो शाम 5:00 बजे तक जारी रहा. बीच-बीच में थोड़ी बहुत राहत मिली, लेकिन […]
राजधानी की सड़कें सोमवार को दिन भर जाम से जूझती रहीं. राजभवन के समक्ष विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन जाम की मुख्य वजह बना. यानी राजभवन से जुड़ी लगभग हर सड़क जाम हो गयी. जाम का सिलसिला सुबह 10:30 बजे शुरू हुआ, जो शाम 5:00 बजे तक जारी रहा. बीच-बीच में थोड़ी बहुत राहत मिली, लेकिन जैसे ही ट्रैफिक पुलिस ढीली पड़ रही थी, वैसे ही गाड़ियों का रेला लग जा रहा था.
रांची : राजभवन के समक्ष प्रदर्शन की वजह से जिन सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न हुई, उनमें सर्कुलर रोड से लालपुर चौक, सर्कुलर रोड से ईस्ट जेल रोड होते हुए प्लाजा चौक, जेल मोड़ से चड़री, जेल मोड़ से करटोली, कचहरी चौक से शहीद चौक, कचहरी चौक से एसएसपी आवास, अपर बाजार की दोनों सड़कें, कांके रोड आैर राजभवन से बूटी मोड़ तक जानेवाला बरियातू रोड प्रमुख रहे. इसके अलावा हरमू रोड और रातू रोड भी आंशिक रूप से प्रभावित रहे.
सुबह 10: 30 बजे जैसे ही राजभवन के समक्ष प्रदर्शन शुरू हुआ, सबसे पहले कचहरी से लालपुर चौक तक जानेवाली सड़क जाम हो गयी. इसके बाद इस सड़क पर जाम का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह शाम पांच बजे तक रुक-रुक कर जारी रहा. इस सड़क पर वाहन मानो रेंग रहे थे. कचहरी से लालपुर चौक तक पहुंचने में एक वाहन को कम से कम आधा घंटा लग रहा था. दोपहर को सबसे ज्यादा परेशानी उस वक्त हुई, जब स्कूलों की छुट्टी के बाद बसें बच्चों को लेकर सड़कों पर उतरीं. जाम में घंटों फंसीं बसों में बच्चे बेजार नजर आ रहे थे. हालांकि, इस दौरान एक-दो स्थानों को छोड़ कर ट्रैफिक पुलिस कहीं नजर नहीं आयी.
जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को कोसते रहे लोग : जाम में फंसे लोग जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को कोसते नजर आये. लोगों का कहना था कि जब जिला प्रशासन को यह मालूम था कि राजभवन के समक्ष चार-पांच संगठनों का धरना-प्रदर्शन है, तो पहले से ही यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखने के प्रयास क्यों नहीं किये गये? जाम को देखते हुए तुरंत अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात कर जाम समाप्त कराना चाहिए था. यह एक दिन की समस्या नहीं है. जब भी शहर में कोई बड़ी रैली या सभा होती है, आम लोगों के लिए सड़क पर चलना दूभर हो जाता है. ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के बीच कोई तालमेल नहीं है. और आजकल तो ट्रैफिक पुलिस ने जुर्माना वसूलने का मानो ठेका ले रखा है.