झारखंड में भी बनेंगे लाह व बांस के जेवर
रांची: सोना और चांदी अब आमलोगों की पहुंच से बाहर हो गये हैं. अब लोग विकल्प तलाशने लगे हैं. कई राज्यों में सोना और चांदी के अलावा अन्य धातुओं से बने जेवरों पर शोध हो रहा है. इसी कड़ी में झारखंड ने भी कदम बढ़ाया है. जिस लाह से पहले दुल्हन की चूड़ियां बनती थी, […]
रांची: सोना और चांदी अब आमलोगों की पहुंच से बाहर हो गये हैं. अब लोग विकल्प तलाशने लगे हैं. कई राज्यों में सोना और चांदी के अलावा अन्य धातुओं से बने जेवरों पर शोध हो रहा है. इसी कड़ी में झारखंड ने भी कदम बढ़ाया है. जिस लाह से पहले दुल्हन की चूड़ियां बनती थी, वही लाह अब सोने-चांदी के जेवरों को चुनौती देने की तैयारी में है.
झारक्राफ्ट की पहल पर झारखंड में पहली बार लाह के जेवर बनाये गये हैं. इसमें कान की बालियां, झुमके, बिछिया से लेकर गले का हार तक शामिल है. लाह के साथ-साथ बांस के जेवर भी तैयार किये गये हैं. लाह से बने जेवर का एक पूरा सेट 1500 रुपये में मिल जायेगा. 25 और 26 मई को झारक्राफ्ट के मेन रोड स्थित मेगा स्टोर में इसे बिक्री के लिए जारी किया जायेगा.
झारक्राफ्ट के एमडी धीरेंद्र कुमार बताते हैं कि झारखंड में लाह की उपलब्धता काफी है. सदियों से शादी-ब्याह में लाह की चूड़ियों का ही प्रचलन रहा है. झारक्राफ्ट ने इसमें शोध करा कर इसे जेवर का रूप दिया है. झारखंड की 11 महिलाओं को जयपुर भेज कर लाह के जेवर बनाने का प्रशिक्षण दिलाया गया है. राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त आवाज मोहम्मद ने झारक्राफ्ट की महिलाओं को लाह और बंबू के जेवर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया है. जेवर की लांचिग की मौके पर आवाज मोहम्मद भी उपस्थित रहेंगे. एमडी बताते हैं कि लाह और बंबू के जेवर काफी आकर्षक हैं, जो युवतियों को काफी आकर्षित करेगा. युवाओं में अलग प्रकार के जेवरों का शौक रहा है. इसे देखते हुए आधुनिक डिजाइन के जेवर तैयार किये गये हैं.