आम्रपाली कोल परियोजना में ढुलाई शुरू करने पर सहमति

रांची : चतरा के टंडवा स्थित आम्रपाली कोल परियोजना में ढुलाई शुरू करने पर सहमति बन गयी है. पिछले पांच दिनों से उत्खनन और ट्रांसपोर्टिंग का काम बंद था. विस्थापितों और स्थानीय लोग मजदूर हैंड लोडिंग शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि हैंड लोडिंग होने से ज्यादा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2016 5:12 AM
रांची : चतरा के टंडवा स्थित आम्रपाली कोल परियोजना में ढुलाई शुरू करने पर सहमति बन गयी है. पिछले पांच दिनों से उत्खनन और ट्रांसपोर्टिंग का काम बंद था. विस्थापितों और स्थानीय लोग मजदूर हैंड लोडिंग शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि हैंड लोडिंग होने से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. इस कारण उत्खनन व ट्रांसपोर्टिंग को ठप करा दिया था. इस मामले में मुख्यालय ने हस्तक्षेप कर अधिकारियों से स्थानीय लोगों से बात करने का निर्देश दिया था.
मंगलवार को हुई वार्ता के बाद उत्खनन और ट्रांसपोर्टिंग का काम शुरू करने पर सहमति बन गयी है. स्थानीय लोग चाहते हैं कि कोयला की लोडिंग मजदूरों के द्वारा किया जाये, साथ ही कोयला की ट्रांसपोर्टिंग डंपर के बदले ट्रक से भी किया जाये. आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला हजारीबाग के बानादाग, खलारी और चंदवा के टोरी रेलवे साइडिंग तक पहुंचाया जाता है.
जानकारी के मुताबिक आम्रपाली से रोड सेल और लिंकेज के कोयला की ट्रांसपोर्टिंग होती थी. रोड सेल के कोयला की ढ़ुलाई ट्रक से होती थी और लिंकेज के कोयले की ढ़ुलाई डंपर से. अब वहां से सिर्फ लिंकेज कोयला की ढ़ुलाई हो रही है. सूत्रों के अनुसार कि कोयला की ट्रांसपोर्टिंग ट्रक से करने पर डंपर के मुकाबले करीब 200 रुपये शुल्क प्रति टन अधिक लगता है. इस कारण ट्रांसपोर्टरों के लिए ट्रक के बजाये डंपर से कोयला की ढुलाई करना ज्यादा फायदेमंद है.
लोडिंग के लिए आठ की जगह 15 रुपये की वसूली
आम्रपाली परियोजना में कोयले की लोडिंग पेलोडर से होती है. यहां कोयला लोड करने का रेट प्रति टन 15 रुपये है, जबकि बगल में पिपरवार में यह रेट सिर्फ आठ रुपये है. आम्रपाली से प्रति माह करीब 2.50 लाख टन कोयला का उत्खनन होता है.
इस तरह प्रति माह करीब 17 लाख रुपये अतिरिक्त खर्च ट्रांसपोर्टरों को करना पड़ता है. ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक लोडिंग का काम एक उग्रवादी संगठन के जिम्मे है. संगठन के द्वारा ही तय किया जाता है कि कौन पेलोडर कितना कोयला लोड करेगा. सेना के एक जवान समेत कई सफेदपोशों का पेलोडर आम्रपाली परियोजना में चलता है.

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