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शुरू से कर्मठ रहे हैं वरीय अधिवक्ता एसएन पाठक और राजेश शंकर
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता एसएन पाठक व राजेश शंकर अपने पेशे के प्रति शुरू से ईमानदार रहे. उन्होंने पूरी लगन व निष्ठा के साथ अपने मुव्वकिलों को न्याय दिलाने का प्रयास किया. हाइकोर्ट जज के रूप में नामित होने के बाद उन्हें बधाई देनेवालों का तांता लगा रहा. डा शिवानंद पाठक (एसएन […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता एसएन पाठक व राजेश शंकर अपने पेशे के प्रति शुरू से ईमानदार रहे. उन्होंने पूरी लगन व निष्ठा के साथ अपने मुव्वकिलों को न्याय दिलाने का प्रयास किया. हाइकोर्ट जज के रूप में नामित होने के बाद उन्हें बधाई देनेवालों का तांता लगा रहा.
डा शिवानंद पाठक (एसएन पाठक) को जज बनाये जाने पर वरीय अधिवक्ता पीसी त्रिपाठी, डा एसके वर्मा, दिवाकर उपाध्याय, राकेश कुमार राय, केके भट्ट, सतीश कुमार सहित अन्य अधिवक्ताअों ने शुभकामनाएं दीं. वहीं राजेश शंकर को एडवोकेट्स एसोसिएशन के प्रशासनिक सचिव धीरज कुमार, अभय प्रकाश, लुकेश कुमार सहित अन्य अधिवक्ताअों ने बधाई दी.
एसएन पाठक का जन्म बक्सर के किसान परिवार में हुआ था : बिहार के बक्सर जिला के किसान परिवार में 15 जनवरी 1963 को जन्मे डा एसएन पाठक की उच्च शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से हुई. उन्होंने बिहार नेशनल कॉलेज से स्नातक करने के बाद वर्ष 1985 में इतिहास विषय से स्नातकोत्तर व 1988 में विधि की डिग्री प्राप्त की. पीएचडी की डिग्री भी उन्होंने हासिल की.
26 अगस्त 1988 को उन्होंने बिहार बार काउंसिल से लाइसेंस लेने के बाद पटना हाइकोर्ट में वकालत शुरू की. डॉ पाठक को सिविल, क्रिमिनल, संवैधानिक सहित विभिन्न तरह के मामलों में विशेषज्ञता हासिल है. कई वर्षों तक बार एसोसिएशन के महासचिव रहे.
कई ऐतिहासिक मामलों में उन्होंने पक्ष रखा, जिसमें फैसला उनके मुव्वकिल के पक्ष में आया. झालसा व लीगल एड कमेटी झारखंड हाइकोर्ट के एग्जक्यूटिव मेंबर हैं. जनहित के दर्जनों मामलों में फैसले आये, जिसमें उन्होंने मजबूती से पक्ष रखा.
गिरिडीह में 1970 में हुआ था राजेश शंकर का जन्म : गिरिडीह के सिंहडीह में वर्ष 1970 में राजेश शंकर का जन्म हुआ था. राजेश शंकर ने संत जॉस हाइस्कूल रांची से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी.
1985 में मैट्रिक करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से स्नातक व विधि की डिग्री हासिल की. श्री शंकर ने पटना हाइकोर्ट की रांची बेंच में वर्ष 1995 में प्रैक्टिस की शुरुआत की. स्टैंडिंग काउंसिल बने. इसके बाद सरकार ने राजकीय अधिवक्ता नियुक्त किया. इसके अलावा उन्होंने जेएसइबी, जेपीएससी, राज्यपाल, झारखंड हाइकोर्ट सहित अन्य कई संस्थानों के प्रतिनिधि के रूप में मामलों में पक्ष रखा.
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