सरकारी डॉक्टर आज से तीन दिनों की हड़ताल पर
‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने की मांग पर राज्य भर के डॉक्टर लामबंद ‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने की मांग पर राज्य के 1100 सरकारी डाॅक्टर बुधवार से कार्य बहिष्कार करेंगेे. वे अस्पताल तो आयेंगे, लेकिन मरीजों को नहीं देंखेंगे, यानी मरीजों को अोपीडी में डॉक्टरों का परामर्श नहीं मिलेगा. इससे राज्य की चिकित्सा सेवा […]
‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने की मांग पर राज्य भर के डॉक्टर लामबंद
‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने की मांग पर राज्य के 1100 सरकारी डाॅक्टर बुधवार से कार्य बहिष्कार करेंगेे. वे अस्पताल तो आयेंगे, लेकिन मरीजों को नहीं देंखेंगे, यानी मरीजों को अोपीडी में डॉक्टरों का परामर्श नहीं मिलेगा. इससे राज्य की चिकित्सा सेवा प्रभावित होना तय है. ऐसे में मरीजों को निजी अस्पतालों एवं क्लिनिकों पर आश्रित रहना होगा. डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार का कार्यक्रम शुक्रवार तक चलेगा. वहीं शुक्रवार को सरकारी और निजी डॉक्टर एक साथ कार्य बहिष्कार करेंगे. ऐसे में शुक्रवार को पूरे राज्य की ओपीडी सेवा ठप रहेगी.
रांची : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं झारखंड (अाइएमए) एवं झारखंड राज्य चिकित्सा सेवा संघ (झासा) के आह्वान पर राज्य भर के डॉक्टर लामबंद हो गये हैं. जिला मुख्यालय में तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार को लेकर मंगलवार को बैठक हुई, जिसमें आंदोलन की तैयारी का जायजा लिया गया. झासा के सचिव डॉ विमलेश सिंह एवं आइएमए के सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने बताया कि राज्य सरकार को आंदोलन की जानकारी दे दी गयी है.
तीन दिन तक कार्य का बहिष्कार किया जायेगा. इसके बाद 15 अक्तूबर को मुख्यमंत्री के सामने सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया जायेगा. अब सरकार को निर्णय लेना है कि राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू कर चिकित्सकाें को सुरक्षा दे या हमारा इस्तीफा स्वीकार करे.
30 को मरीजों को होगी सबसे ज्यादा परेशानी : राज्य के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी 30 सितंबर को होगी. मरीजों को सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल व क्लिनिक में चिकित्सीय परामर्श नहीं मिलेगा. ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप रहेगी. हालांकि, इस दौरान इमरजेंसी और पोस्टमार्टम सेवा बहाल रहेगी. गंभीर अवस्था में आनेवाले मरीजों को इमरजेंसी में परामर्श दिया जायेगा. वहीं पोस्टमार्टम हाउस में चिकित्सक उपलब्ध होंगे.
876 चिकित्सकों का इस्तीफा पहुंचा : झासा के राज्य सचिव डॉ विमलेश सिंह ने बताया कि राज्य में 1100 सरकारी चिकित्सक हैं, जिसमें से 876 चिकित्सकों का इस्तीफा पहुंच गया है. अन्य चिकित्सकों का इस्तीफा 14 अक्तूबर तक आ जायेगा. 15 अक्तूबर को मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे दिया जायेगा.
हॉस्पिटल व नर्सिंग एसोसिएशन का समर्थन : एसोसिएशन ऑफ हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स आॅफ झारखंड ने डॉक्टरों के तीन दिवसीय कार्य बहिष्कार का समर्थन किया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष विष्णु लोहिया ने कहा कि चिकित्सकों मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग का हम समर्थन करते हैं. 30 सितंबर को सभी अस्पताल अपनी आेपीडी सेवाएं बंद रखेंगे, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी. दो दिन चिकित्सक काला बिल्ला लगा कर विरोध प्रदर्शन करें.
– मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र लागू किया जाये, क्लिनिकल स्टैबलिस्टमेंट एक्ट में संशोधन किया जाये – स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी 15.7.16 की अधिसूचना में सुधार किया जाये. इस अधिसूचना में चिकित्सकों को ड्यूटी के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने की छूट थी, लेकिन मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती की इजाजत नहीं थी. सर्जरी नहीं करना था. अपना लैब या अल्ट्रासाउंड क्लिनिक खोलने पर भी पाबंदी लगायी गयी है
– बायोमिट्रिक प्र्रणाली से उपस्थिति बनाने से चिकित्सकों को अलग रखा जाये, क्योंकि उन्हें समय-समय पर कैंप अादि में जाना पड़ता है
– 12 घंटे का ओपीडी अव्यवहारिक है, इसे हटाया जाये – 42 चिकित्सकों पर की गयी दंडात्मक कार्रवाई को वापस लिया जाये – दो वर्ष सेवा पूरी कर चुके चिकित्सकों की सेवा संपुष्ट किया जाये – सभी स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर अस्पतालों को चिकित्सकों एवं पारामेडिकल को पदस्थापित किया जाये – दंत चिकित्सकों की नियमावली लागू की जाय एवं डीएसीपी का लाभ दिया जाये – रिटायर होने वाले चिकित्सकों को तीन साल पहले इच्छानुसार पदस्थापन किया जाये – अनुबंध से नियमित हुए चिकित्सकों को सचिवालय में 18 दिनों के पदस्थापन प्रतीक्षा अवधि का विनियमन किया जाये –
वेटिंग फॉर पोस्टिंग या स्टडी लीव में रहे करीब एक सौ चिकित्सक की सेवा विनियमन किया जाये- ट्रांसफर पॉलिसी निर्धारित किया जाये – विशेषज्ञ चिकित्सकों को स्पेशलिस्ट कैडर में समाहित किया जाये – स्वास्थ्य संबंधी नीति निर्धारण में आइएमए एवं झासा के प्रतिनिधि को भी रखा जाये – कार्यरत चिकित्सकों को ससमय वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाये – दूसरे राज्य से एमबीबीएस करने वाले वैसे चिकित्सक जो तीन वर्ष गांव में सेवा दे चुके हैं, उन्हें पीजी करने की इजाजत दी जाये – सरकार में चिकित्सकों का पद तीन हजार है और कार्यरत केवल 1300 हैं, रिक्त पदों को भरा जाये – महिला डॉक्टर को केंद्र की तर्ज पर दो वर्षों का चाइल्ड केयर लीव दिया जाये.