प्राकृतिक संसाधनों की लूट, प्रतिकार जरूरी : बारला

रांची: आदिवासी समन्वय समिति के सुशील बारला ने कहा कि झारखंंड बनते ही यहां ऐसी उद्योग नीति लायी गयी, जो झारखंडियों, आदिवासियों के हित के खिलाफ थी. वे ‘झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन’ के तीन दिवसीय 13वें वार्षिक सम्मेलन के समापन दिवस पर बोल रहे थे. आयोजन गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज सभागार में किया गया था. श्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 29, 2016 1:45 AM
रांची: आदिवासी समन्वय समिति के सुशील बारला ने कहा कि झारखंंड बनते ही यहां ऐसी उद्योग नीति लायी गयी, जो झारखंडियों, आदिवासियों के हित के खिलाफ थी. वे ‘झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन’ के तीन दिवसीय 13वें वार्षिक सम्मेलन के समापन दिवस पर बोल रहे थे. आयोजन गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज सभागार में किया गया था. श्री बारला ने कहा कि झारखंड बनने के बाद से ही यहां के प्राकृतिक संसाधनों के लूट का सिलसिला शुरू हो गया था.
सीएनटी एक्ट व एसपीटी एक्ट में संशोधन किया जा रहा है, जिससे इससे राज्य के आदिवासियों व मूलवासियों का अस्तित्व खतरे में है. इसके खिलाफ आंदोलन तेज किया जायेगा. वाटर एड, नयी दिल्ली की ममता दास ने कहा कि देश की जल नीति जनपक्षीय नहीं है. जल को एक आर्थिक संसाधन के रूप में देखा जा रहा है. जल संसाधन होने के बावजूद इसका समुचित उपयोग सुनिश्चित नहीं हो रहा है.
कैंपा के खिलाफ अभियान चलायेंगे
बैठक में सहमति बनी कि कैंपा कानून (कंपनसेटरी अफोरेस्टेशन फंड एक्ट/ क्षतिपूरक वन रोपण फंड अधिनियम) के खिलाफ पूरे झारखंड में जनजागरण अभियान चलाया जायेगा, क्योंकि यह वनाधिकार कानून का उल्लंघन है. वन विभाग द्वारा कैंपा फंड की लूट के लिए सक्रिय किये गये संयुक्त वन प्रबंधन समिति के विरोध में जन अभियान चलायेंगे.

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