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झारखंड HC ने सरकार से पूछा, बेसहारों के लिए कोई नीति बनायी है क्या?

झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को स्वत: संज्ञान के तहत दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि उसके पास बेसहारा लाेगों के इलाज, भोजन, आवास आदि के लिए क्या योजना है? इस मामले में कोई नीति बनायी भी गयी है या नहीं? यह याचिका राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल […]

झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को स्वत: संज्ञान के तहत दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि उसके पास बेसहारा लाेगों के इलाज, भोजन, आवास आदि के लिए क्या योजना है? इस मामले में कोई नीति बनायी भी गयी है या नहीं? यह याचिका राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में बीते दिनों हुई एक घटना से जुड़ी है, जिसमें खाना बांटनेवाले एक कर्मचारी ने अस्पताल के कॉरिडोर में बैठी एक असहाय महिला को थाली के बजाय फर्श पर ही खाना परोस दिया था.

रांची: हाइकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने की. रिम्स में हुई घटना पर खंडपीठ ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए. ऐसी घटनाएं रोकने के लिए राज्य सरकार को पुख्ता व्यवस्था करनी होगी. खंडपीठ ने आमलोगों से भी इस तरह के मामलों में गंभीरता और संवेदनशीलता दिखाने की अपेक्षा की है.


बेसहारा लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में रिम्स प्रबंधन द्वारा पल्ला झाड़ने पर भी खंडपीठ ने नाराजगी जतायी है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग, कल्याण विभाग और समाज कल्याण विभाग के सचिवों को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया. आदेश मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के विद्यासागर सहित अन्य विभागों और रिम्स के अधिकारी उपस्थित हुए. अधिकारियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर खंडपीठ ने उक्त विभागों के सचिवों को संयुक्त बैठक कर निर्णय लेने का निर्देश दिया. साथ ही बैठक में लिये गये निर्णयों से संबंधित विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि निर्धारित की.
महिला को थाली में दिया था भोजन, जमीन पर उलट दिया : सुनवाई के दौरान रिम्स की अोर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने खंडपीठ को बताया कि जिस महिला को जमीन पर खाना देने की बात कही जा रही है, वह बेसहारा और मानसिक रूप से बीमार है. वह अस्पताल की मरीज भी नहीं थी, केवल भोजन के लिए अस्पताल के कॉरिडोर में बैठी रहती थी. उसे खाना परोसनेवाले ने थाली में ही भोजन दिया गया था, लेकिन उसने भोजन जमीन पर उलट दिया. घटना के बाद उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए उसे रिनपास में भरती करा दिया गया है. इसके बावजूद मामले की जांच कर कार्रवाई की गयी है. भोजन देनेवाले कर्मी को बरखास्त कर दिया गया. रिम्स में अक्सर बेसहारा लोग भोजन की तलाश में आ जाते हैं. रिम्स में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे बेसहारा को भोजन दिया जा सके. वैसे मामलों में सरकार की जिम्मेवारी बनती है.

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