झारखंड में डॉक्टरों की हड़ताल, कराहते मरीजों का भी नहीं कर रहे हैं इलाज
‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने समेत 20 सूत्री मांगों पर राज्य के सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी रही. इस दौरान सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप रहीं. दावा किया जा रहा है कि इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का इलाज किया गया, लेकिन हालत यह थी कि दर्द […]
‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने समेत 20 सूत्री मांगों पर राज्य के सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी रही. इस दौरान सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप रहीं. दावा किया जा रहा है कि इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का इलाज किया गया, लेकिन हालत यह थी कि दर्द से कराह रहे मरीजों को भी अस्पताल से बिना इलाज के लौटा दिया जा रहा था.
रांची: राज्य सरकार और सरकारी डॉक्टरों के बीच किस बात को लेकर खींचतान चल रही है, यह शायद गरीब मरीजों को नहीं मालूम. ज्यादातर को तो सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल की खबर भी नहीं है. तभी तो वे दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से लंबा सफर तय कर गुरुवार को अस्पतालों में पहुंचे, लेकिन उन्हें डॉक्टरों ने दो टूक जवाब देकर चलता कर दिया. कहा दिया कि हम हड़ताल पर हैं, इसलिए इलाज नहीं कर सकते हैं.
असली परेशानी तो 30 सितंबर यानी शुक्रवार को होने वाली है, जब पूरे राज्य में सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी डॉक्टर भी हड़ताल पर चले जायेंगे. यानी सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी सामान्य मरीजों का इलाज नहीं हो पायेगा. ऐसे में गरीब मरीजों के साथ सामान्य लोगों को भी परेशानी होने वाली है.
सुनसान पड़ा था रांची सदर अस्पताल : रांची का सदर अस्पताल गुरुवार को दोपहर 12 बजे लगभग सुनसान पड़ा था. अस्पताल की अोपीडी खुली हुई थी. इलाज कराने के लिए परिजन मरीज को साथ लेकर आये हुए थे. परिजन डॉक्टरों को खोज रहे थे. वे मिले भी, लेकिन इलाज करने से इनकार कर दिया और एक जगह बैठ कर अखबार पढ़ने में मशगूल हो गये. मरीजों के गिड़गिड़ाने का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ. वहीं, इमरजेंसी में मरीजों की लाइन लगी हुई थी.
चिकित्सकों की हड़ताल पर स्वत: संज्ञान ले चुका है हाइकोर्ट : विभिन्न मांगों को लेकर वर्ष 2015 में राज्य के चिकित्सक पहले भी हड़ताल पर जा चुके हैं. पूर्व में हुई हड़ताल के दाैरान अस्पतालों में बिना इलाज के ही कई मरीजों की माैत हो गयी थी. झारखंड हाइकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. हाइकोर्ट ने हड़ताल को अवैध बताते हुए चिकित्सकों सेे तुरंत काम पर लाैटने का निर्देश दिया था. हाइकोर्ट के दवाब पर चिकित्सकों की हड़ताल समाप्त हुई थी.