नये इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेज बनाना जरूरी
प्रभारी प्राचार्य ने बताया झारखंड के पॉलिटेक्निक कॉलेजों का हाल एक पोलिटेक्निक के प्रभारी प्राचार्य ने प्रभात खबर को कुछ इस अंदाज में राज्य के पॉलिटेक्निकों का हाल बताया था – कुछ नहीं है. गत 15 वर्षों में स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ी है. किसी भी संस्थान में चले जाइये. टीचर नहीं हैं. क्लास […]
प्रभारी प्राचार्य ने बताया झारखंड के पॉलिटेक्निक कॉलेजों का हाल
एक पोलिटेक्निक के प्रभारी प्राचार्य ने प्रभात खबर को कुछ इस अंदाज में राज्य के पॉलिटेक्निकों का हाल बताया था – कुछ नहीं है. गत 15 वर्षों में स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ी है.
किसी भी संस्थान में चले जाइये. टीचर नहीं हैं. क्लास रूम नहीं है. राज्य भर के पॉलिटेक्निक की बिल्डिंग से पानी टपकता है. लैब नहीं खुलता, वहां इंस्ट्रक्टर नहीं हैं. रांची पॉलिटेक्निक ही देख लें, पता चल जायेगा. कहीं भी जाकर पूछ लें कि क्या कभी बच्चों को इंडस्ट्रियल टूर पर ले गये हैं? या कभी कोई इंडस्ट्री संस्थान में आयी है? पूछिए कि लाइब्रेरी व रीडिंग रूम कहां है, बच्चे कहां पढ़ते हैं? कौन-कौन सा अखबार-मैगजीन आता है?
बाथरूम की व्यवस्था क्या है? कुछ है ही नहीं तो बच्चों को तीन साल बाद सीधे डिप्लोमा दे देना चाहिए. जब विद्यार्थियों के ज्ञान व एटिट्यूड में कोई फर्क आना ही नहीं है, तो समय क्यों खराब किया जाये. उक्त प्राचार्य की यह पूरी प्रतिक्रिया झारखंड के पॉलिटेक्निक संस्थानों का हाल बताने के लिए काफी है.
अभी क्या है
इंजीनियरिंग कॉलेज : 16 (एक सरकारी, तीन (रामगढ़, दुमका व चाईबासा) पीपीपी तथा 12 निजी क्षेत्र में)
पॉलिटेक्निक : 29 (13 सरकारी, एक (सिल्ली) पीपीपी तथा शेष 15 निजी क्षेत्र में)
क्या बन रहा या बनना है
केंद्रीय सहयोग से पॉलिटेक्निक : 17 (गढ़वा, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, लोहरदगा, गुमला, जगन्नाथपुर, चतरा, पलामू, जामताड़ा, खूंटी, रामगढ़, सिमडेगा व दुमका)
राज्य मद से पॉलिटेक्निक : तीन (बहरागोड़ा, चांडिल व निरसा)
जहां इसी वर्ष से पढ़ाई का लक्ष्य : पांच पॉलिटेक्निक (पाकुड़, गोला, चांडिल, गढ़वा व जगन्नाथपुर)
इंजीनियरिंग कॉलेज : तीन (पलामू, कोडरमा तथा द.छोटानागपुर में एक)
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज : एक (रामगढ़)