ज्यादातर ग्रामीण घरों में आयोडिन नमक नहीं

रांची: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोगों को अब भी आयोडिन युक्त नमक नहीं मिल रहा. राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद ने राज्य के पांच जिलों में बच्चों, किशोरियों व महिलाअों में कुपोषण व एनिमिया संबंधी सर्वे किया है. 28 सितंबर को जारी इसकी रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सर्वे वाले जिले चतरा, धनबाद, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2016 1:16 AM
रांची: झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोगों को अब भी आयोडिन युक्त नमक नहीं मिल रहा. राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद ने राज्य के पांच जिलों में बच्चों, किशोरियों व महिलाअों में कुपोषण व एनिमिया संबंधी सर्वे किया है.

28 सितंबर को जारी इसकी रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सर्वे वाले जिले चतरा, धनबाद, दुमका, गिरिडीह व कोडरमा के ज्यादातर घरों में आयोडाइज्ड नमक का उपयोग नहीं हो रहा है. दरअसल खुले बाजार में बिकने वाले राजस्थान व गुजरात निर्मित कई ब्रांड (तोता व पतंग छाप सहित कई अन्य) के नमक में आयोडिन तो होता है, लेकिन अपर्याप्त मात्रा में. केंद्र सरकार ने झारखंड को पहले भी आगाह किया था कि यहां बिकनेवाले कुल नमक के करीब 46 फीसदी में आयोडिन की मात्रा या तो कम है या फिर नहीं है.

इधर, बगैर आयोडिन वाले नमक की बिक्री अब भी जारी है. स्वास्थ्य विभाग के तहत कार्यरत आयोडिन सेल खाद्य निरीक्षकों की सहायता से सड़क मार्ग से आ रहे ट्रकों, रेलवे स्टेशन पर उतरे नमक के बोरों व नमक गोदामों से सैंपल इकट्ठा करता है, जो पहले भी जांच में फेल होते रहे हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2013 के बाद से लोहरदगा, सिमडेगा, देवघर, रांची, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो व जमशेदपुर से लिये गये नमक के सैंपल की जांच हुई थी. इसमें पाया गया था कि कई जिलों के नमक सैंपल में आयोडिन इसके तय मानक 15 पार्ट्स/मिलियन (पीपीएम) के बजाय छह से 10 पीपीएम ही थे. उधर ब्रांडेड नमक में कहीं कोई शिकायत नहीं मिली है.

आयोडिन की कमी से क्या होता है नुकसान
महिलाअों-बच्चों में : गर्भपात व मृत बच्चा पैदा होना, गर्भस्थ शिशु के शारीरिक विकास में बाधा, बच्चे का मानसिक रूप से मंद, बहरा, गूंगा या बौना होना.
वयस्कों में : स्फूर्ति की कमी व शारीरिक थकावट तथा घेघा (गला सूजना) रोग.
मुझे अभी इस कार्यक्रम का नया प्रभार मिला है. तीन अक्तूबर को हमलोगों ने सभी जिलों के एसीएमअो की बैठक बुलायी है. इसमें आयोडिन के मुद्दे पर बात होगी तथा नये आयोडिन रहित नमक के बारे रणनीति तय होगी.
डॉ अारपी गुप्ता, प्रभारी आयोडिन-न्यूनता विकार नियंत्रण कार्यक्रम

Next Article

Exit mobile version