10 वर्षों से रस्सी से बंधा है उमेश

सिकिदिरी: मानसिक रूप से अक्षम उमेश बैठा (15 वर्ष) को उसकी मां गुजईर देवी पिछले 10 वर्षों से रस्सी में बांध कर रख रही है. उसे हमेशा यह डर लगा रहता है कि उसका लाल कहीं चला न जाये. कई बार रस्सी खोल देने के बाद उमेश कुएं या तालाब में छलांग लगा चुका है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2016 8:00 AM
सिकिदिरी: मानसिक रूप से अक्षम उमेश बैठा (15 वर्ष) को उसकी मां गुजईर देवी पिछले 10 वर्षों से रस्सी में बांध कर रख रही है. उसे हमेशा यह डर लगा रहता है कि उसका लाल कहीं चला न जाये. कई बार रस्सी खोल देने के बाद उमेश कुएं या तालाब में छलांग लगा चुका है. लाचारी और गरीबी की वजह से परिजन उसका इलाज नहीं करा पा रहे हैं.
उमेश का परिवार ओरमांझी प्रखंड के पांचा गांव में रहता है. चार माह पूर्व महिला बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर और प्रखंड के पदाधिकारी पांचा आये थे. उमेश की मां को इंदिरा आवास, विधवा पेंसन और बकरी पालन के लिए बकरी देने की बात कही थी. हालांकि, ये बातें आश्वासन तक ही सीमित रह गयीं. उमेश के पिता की मौत दो वर्ष पूर्व हो चुकी है. वह होटल में पानी ढोकर परिवार को पालता था. अब घर में उमेश का एक बड़ा भाई रमेश बैठा है, जिसकी थोड़ी बहुत कमाई से किसी तरह घर चल रहा है.
यह थी घटना
उमेश पांच साल का था, जब उसके सिर पर कटहल गिर गया था. उसी समय से उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है. जब-जब अखबारों में इस संबंध में खबरें छपी, तब-तब कोई न कोई पदाधिकारी आया और मदद व इलाज का आश्वासन देकर चला गया. गुजईर देवी कहती है : हमलोग गरीबी की वजह से अपने बेटे का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. बड़े-बड़े लोग आते हैं और आश्वासन देकर चले जते हैं. मजबूरी में हम इसे बांध कर रखते हैं.

Next Article

Exit mobile version