लोकजीवन को आवाज दें रचनाकार

दो दिवसीय ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म जन्मशती संगोष्ठी संपन्न दोनों दिन मिलाकर मणिपद्म के रचना संसार पर कुल 18 से अधिक निबंध पढ़े गये रांची : अशोक नगर देवालय और चिंतन स्थल सभागार में आयोजित दो दिवसीय ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म जन्मशती संगोष्ठी रविवार को संपन्न हो गया. देशभर के अलग-अलग भागों से आये विद्वानों द्वारा पठित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2016 7:03 AM
दो दिवसीय ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म जन्मशती संगोष्ठी संपन्न
दोनों दिन मिलाकर मणिपद्म के रचना संसार पर कुल 18 से अधिक निबंध पढ़े गये
रांची : अशोक नगर देवालय और चिंतन स्थल सभागार में आयोजित दो दिवसीय ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म जन्मशती संगोष्ठी रविवार को संपन्न हो गया. देशभर के अलग-अलग भागों से आये विद्वानों द्वारा पठित आलेखों पर गहन चर्चा की गयी. दोनों दिन मिलाकर कुल 18 से अधिक निबंध पढ़े गये.
वक्ताओं ने कहा कि मणिपद्म ने लोकगाथा और लोक जीवन को साहित्य में स्थान दिया, जिस समय हिंदी साहित्य में प्रेमचंद यह काम कर रहे थे. मैथिली लोक गाथा साहित्य को उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से लोगों के सामने लाया. उन्होंने सांस्कृतिक साम्यवाद की स्थापना की. यह आज भी समय की जरूरत है.
प्रथम सत्र में अजित आजाद (मधुबनी) द्वारा मणिपद्म के बाल साहित्य पर चर्चा की गयी. उन्होंने कहा कि ब्रजकिशोर वर्मा की अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाशित करने का प्रयास किया जाना चाहिए. ब्रजकिशोर वर्मा जैसे व्यक्तित्व का जन्म सौ वर्षों में एक बार होता है. उनके साहित्य पढ़ कर युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए. वहीं, डॉ अशोक अविचल (जमशेदपुर) ने उनके उपन्यासों पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि ब्रजकिशोर वर्मा का उपन्यास हर तबके के लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है. प्रो रवींद्र कुमार चौधरी ने मणिपदम की कविताओं पर प्रकाश डाला व कई काव्यांशों का वाचन किया. सत्र की अध्यक्षता नमोनाथ झा ने की.
दूसरा सत्र कुमार मनीष अरविंद की अध्यक्षता में हुई. जिसमें बुचरू पासवान (मधुबनी), डॉ शिव प्रसाद यादव (भगलपुर) व डॉ योगानंद ने आलेख पाठ किया. वहीं, कार्यक्रम का शुभारंभ मैथिली भगवती वंदना से हुई. संचालन मनीष अरविंद ने किया. इस अवसर पर साहित्य अकादमी नयी दिल्ली में मैथिली भाषा की संयोजिका वीणा ठाकुर, बिहार विवि मैथिली भाषा के पूर्व विभागाध्यक्ष देवेंद्र झा, पटना विवि मैथिली भाषा के पूर्व विभागाध्यक्ष इंद्रकांत झा व अन्य लोग उपस्थित थे.
मेरे झारखो से व काव्य गोष्ठी का आयोजन : संगोष्ठी के अंत में अकादमी की ओर मेरे झेरोखे से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान मैथिली के चर्चित कथाकार स्व राजमोहन झा के कथा साहित्य पर श्याम दरिहरे ने प्रकाश डाला. इसके बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि विवेकानंद ठाकुर ने की. इस दौरान डॉ कृष्ण मोहन झा, श्याम जी, अशोक अविचल, सियाराम झा सरस, अजित आजाद, डॉ धीरेंद्र मिश्र व अन्य कवियों ने काव्य पाठ किया.
संगोष्ठी स्थल पर पुस्तक प्रदर्शनी : संगोष्ठी के अवसर पर साहित्य अकादमी की पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी. इसमें मैथिली भाषा की पुस्तकें विशेष छूट के साथ उपलब्ध थीं. लोगों ने साहित्य श्रवण तो किया ही, अनुशीलन के लिए कई महत्वपूर्ण पुस्तकों की खरीदारी की. मैथिली की कई चर्चित पुस्तकों को एक साथ देख साहित्यानुरागी हर्षित थे.

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