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आदिवासियों की एकता का प्रतीक है मुड़मा जतरा : द्रौपदी मुरमू

मांडर:40 पाड़हा के पहान, महतो, पुजार, मुड़ा, पैनभरा व विभिन्न राज्य के सरना धर्म गुरुअों द्वारा जतरा खूंटा की पूजा-अर्चना व दीप प्रज्वलन के साथ मांडर का दो दिवसीय मुड़मा जतरा मेला सोमवार को शुरू हुआ. मेले का विधिवत उदघाटन राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आदिवासी संगठित होकर रहना […]

मांडर:40 पाड़हा के पहान, महतो, पुजार, मुड़ा, पैनभरा व विभिन्न राज्य के सरना धर्म गुरुअों द्वारा जतरा खूंटा की पूजा-अर्चना व दीप प्रज्वलन के साथ मांडर का दो दिवसीय मुड़मा जतरा मेला सोमवार को शुरू हुआ. मेले का विधिवत उदघाटन राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आदिवासी संगठित होकर रहना पसंद करते हैं. समूह में ही नृत्य-गीत व पूजा भी करते हैं. मुड़मा भी उनकी सामूहिक एकता का प्रतीक है.
जहां वे हर साल आते हैं व अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित जतरा खूंटा की पूजा करते हैं. राज्यपाल ने मुड़मा जतरा को राष्ट्रीय जतरा घोषित करने व यहां आनेवाले भक्तों व बुजुर्गों के लिए यात्री निवास बनाने की समिति की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन देते हुए कहा कि यहां लाखों लोग आते हैं. यहां मात्र तीन एकड़ 93 डिसमिल जमीन जतरा के नाम पर है. यहां 40 एकड़ जमीन को जतरा समिति के नाम से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए भूमि व राजस्व मंत्री से भी बात करेंगी. राज्यपाल ने सरना धर्मावलंबियों को सरना कोड के लिए निश्चिंत रहने का आश्वासन दिया. कहा कि आदिवासी सप्ताह में एक दिन गांव के सरना स्थल पर जरूर जायें व वहां पूजा करें. उन्होंने सरना स्थल में साल का पेड़ लगाने, सरना स्थल की घेराबंदी के लिए प्रयास करने, नशापान से बचने व शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देने का आह्वान किया. कहा कि आज दुनिया कहां से कहां पहुंच गयी है, लेकिन आदिवासी आज भी जमीन पर हैं. सरकार इनके लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन वे जानकारी के अभाव में इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं. राज्यपाल ने जतरा खूंटा के ऊपर एक छतरीनुमा शेड बनाने का भी प्रस्ताव रखा. जिससे वह सालों साल धूप व बारिश से सुरक्षित रहे. कार्यक्रम में राज्यपाल ने पाड़हा के पाहनों को सम्मानित भी किया. राजी पाड़हा जतरा समिति की ओर से मुड़मा को विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के संबंध में मांग पत्र भी दिया गया. उदघाटन के मौके पर प बंगाल के धर्मगुरु जीतू उरांव, छत्तीसगढ़ के मिटकु उरांव, प्रमुख अनिता देवी, रंथु उरांव, अनिल उरांव, जतरू उरांव, शिव उरांव, एतो उरांव, मनोज उरांव, भोला उरांव, बंधन उरांव, कुणाल उरांव, सुनील उरांव, कमले उरांव, वीरेंद्र उरांव सहित बड़ी संख्या में अन्य लोग मौजूद थे.
झूले आकर्षण के केंद्र : आदिवासियों की परंपरा व संस्कृति से ओतप्रोत 24 घंटे के इस जतरा मेले में उदघाटन के बाद से ही लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गयी. मेले का आकर्षण खेल-तमाशे, बिजली चालित झूले, सर्कस, मौत का कुआं है. सौंदर्य प्रसाधन, दैनिक उपयोग की सामग्री, कृषि में उपयोग के सामान, खिलौने, फास्ट फूड, ईख, मिठाई समेत खाने-पीने की सैकड़ों दुकानें लगी है. सूचना एवं जनसंर्पक विभाग, कृषि विभाग, भारतीय किसान संघ, स्वास्थ्य विभाग, पौधा संरक्षण विभाग की ओर से स्टॉल लगाये गये हैं.
40 पाड़हा के पाहनों ने दीप जलाये
उदघाटन से पूर्व बाजे-गाजे व पाड़हा के झंडे के साथ मेला स्थल पर पहुंचे पाहनों ने परंपरा के अनुसार सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा की अगुवाई में अधिष्ठात्री शक्ति के प्रतीक जतरा खूंटा की परिक्रमा व पूजा अर्चना की. यहां 40 पाड़हा के प्रतीक स्वरूप पाहनों ने दीप भी जलाया.
ऐतिहासिक स्थल है, देता है भाईचारा का संदेश
उदघाटन समारोह में मांडर विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि मुड़मा जतरा एेतिहासिक व धार्मिक स्थल है. इसमें दूसरे समुदाय के लोग भी हर्षोल्लास के साथ शामिल होते हैं. जिससे समाज में भाईचारा का संदेश जाता है. प्रदेश कांगेस अध्यक्ष सह लोहरदगा विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि मुड़मा जतरा सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर के साथ परंपरा व रीति-रिवाज की पहचान है. इसे बचाये रखना सबकी जिम्मेवारी है. उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए झारखंड सरकार से सरना धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन करने की भी मांग की.
आज उमड़ेगी भीड़, प्रतीक चिह्न के साथ पहुंचेंगे लोग
मेला का मुख्य आकर्षण दूसरे दिन अपराह्न में होता है जब पाड़हा के लोग अपने पाड़हा प्रतीक चिह्न काठ के हाथी, घोड़े, बाघ, चीता, मगर, मछली, रंपा-चंपा व झंडों के साथ नाचते-गाते मेले में शामिल होने के लिए आते हैं. तब उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है. उनके मेले में प्रवेश व जतरा खूंटा की परिक्रमा के साथ ही मेले का समापन होता है.
सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त
मेले में शांति व विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रशासन की अोर से सभी इंतजाम किये गये हैं. मेले को चार जोन में बांट कर दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. अतिरिक्त पुलिस बल के अलावा लाठीधारी व महिला पुलिस को भी तैनात किया गया है. सदर एसडीओ आदित्य आनंद व ग्रामीण एसपी राजकुमार लकड़ा, डीएसपी प्रमोद केसरी स्वयं मेला में कैंप किये हुए हैं. राजी पाड़हा मुड़मा जतरा संचालन समिति के लोगों ने बताया कि काफी संख्या में उनके स्वयंसेवक भी प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं.

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