चडरी सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा विकास विरोधी नेता कर रहे हैं संशोधन का विरोध

रांची: चडरी सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा है कि विकास विरोधी नेता ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशाेधन का विरोध कर रहे हैं. यह दुर्भाग्य है कि अाजादी के 70 साल में भी झारखंड के 68 लाख घरों में से 38 लाख घरों तक ही बिजली पहुंची है. क्या बाकी के 30 लाख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2016 12:25 AM
रांची: चडरी सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा है कि विकास विरोधी नेता ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशाेधन का विरोध कर रहे हैं. यह दुर्भाग्य है कि अाजादी के 70 साल में भी झारखंड के 68 लाख घरों में से 38 लाख घरों तक ही बिजली पहुंची है. क्या बाकी के 30 लाख घरों में बिजली पहुंचाने में हमें और 50 साल का इंतजार करना होगा.

यह बात गलत तरीके से प्रचारित की जा रही है कि सरकार उद्योग या निजी कार्यों के लिए जमीन लेगी. संशोधन के बाद आदिवासी अपनी जमीन पर अपनी सुविधा के अनुसार व्यवसाय कर पायेंगे. बदले में वे जो जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल करेंगे, उस पर सरकारी दर का लगभग एक प्रतिशत लगान देंगे. राजधानी में अभी कई आदिवासी जमीन पर बैंक्वेट हॉल आदि हैं. कई अन्य व्यावसायिक कार्य चल रहे हैं. क्या ये विकास विरोधी नेता बतायेंगे कि ऐसे लोगों को व्यवसाय करने का अधिकार है या नहीं.

सरकार अब ऐसी दुकानों या बैंक्वेट हॉल, होटल आदि को नियमित कर सकेगी. पर किसी भी हालत में जमीन का मालिकाना हक नहीं बदलेगा. सरकार अभी भी जमीन अधिग्रहण करती है, लेकिन रैयत को मुआवजा मिलने में न्यूनतम दो साल का समय लगता है. अब यह काम सिर्फ चार माह में हो जायेगा. सरकार ने आजादी के बाद आदिवासियों के हित में एक जो बड़ा फैसला लिया है, वह है एसएआर कोर्ट को समाप्त करना. अब कोई भी मुआवजा देकर आदिवासी जमीन नहीं ले पायेगा. शायद इस बात का दुख: कुछ लोगों को ज्यादा है. इस बदलाव से आदिवासी के जमीन की बंदरबांट बंद हो जायेगी.

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