अनारकली की याद में बनेगा स्मारक
बेतला : पलामू व्याघ्र आरक्ष के क्षेत्र निदेशक एमपी सिंह ने कहा कि हथिनी अनारकली की याद में स्मारक बनाया जायेगा. उसकी मौत का दुख है. बीमार होने के बाद अनारकली को बचाने के हरसंभव प्रयास किया गया. बाहर से भी चिकित्सक बुलाये गये, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. अनारकली से सैलानियों के अलावा […]
बेतला : पलामू व्याघ्र आरक्ष के क्षेत्र निदेशक एमपी सिंह ने कहा कि हथिनी अनारकली की याद में स्मारक बनाया जायेगा. उसकी मौत का दुख है. बीमार होने के बाद अनारकली को बचाने के हरसंभव प्रयास किया गया. बाहर से भी चिकित्सक बुलाये गये, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
अनारकली से सैलानियों के अलावा आसपास के लोगों को काफी लगाव था. उसकी कमी पूरी तो नहीं की जा सकती है लेकिन जहां अनारकली को दफनाया गया है, वहां पर उसके नाम से स्मारक बनाया जायेगा. इसके अलावा बाहर से पालतू हाथी मंगाकर सैलानियों को पार्क भ्रमण कराने का प्रयास किया जायेगा. गौरतलब है कि मंगलवार की शाम छह बजे बीमार अनारकली ने दम तोड़ दिया था.
34 वर्षों से करा रही थी पार्क का भ्रमण : अनारकली अपनी सहेली जूही के साथ पिछले 34 वर्षों से सैलानियों को पार्क का भ्रमण करा रही थी. इतना ही नहीं बेतला में जब कभी फिल्मी हस्तियां, राजनेता, न्यायिक पदाधिकारी या वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी स्वयं या परिवार के साथ आते थे तो अनारकली की सवारी करना नहीं भुलते थे. दिलीप कुमार, शर्मिला टैगोर, नाना पाटेकर, शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर के अलावा बिहार के तत्कालीन गर्वनर एआर किदवई सहित कई महान हस्तियों ने अनारकली की सवारी की थी.
शव को 70 फीट तक जेसीबी से घसीटा गया
हथिनी अनारकली को दफनाने के लिए उसके शव को जेसीबी से करीब 70-80 फीट तक घसीटा गया. क्षत-विक्षत शव को जेसीबी से ही गड्ढे में पोस्टमार्टम करने के बाद दफना दिया गया. इस दृश्य को देखकर कई लोगों की आंखें छलक गयीं. कई लोगों ने इसका विरोध भी किया. लोगों का कहना था कि अनारकली को वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसकी वह हकदार थी. उसके शव को घसीटने की जरूरत नहीं थी. जहां उसने दम तोड़ा था वहीं आसपास में दफना देना चाहिए था.