राजधानी के अस्त-व्यस्त होने की आशंका
रांची. 22 अक्तूबर को रांची में आहूत आदिवासी जनाक्रोश रैली में करीब 50 हजार से अधिक लोग जुटेंगे. सरकार तक पहुंची सूचना के मुताबिक राज्य के 13 जिलों से लोग छोटी-बड़ी गाड़ियों से रांची में आयेंगे. इस स्थिति में रांची शहर और इसके आसपास की सड़कों पर अत्यधिक भीड़ होने की संभावना है. अाशंका जतायी […]
अाशंका जतायी गयी है कि एेसे में राजधानी अस्त-व्यस्त हो सकती है. विधि-व्यवस्था की भी समस्या उत्पन्न हो सकती है. सरकार तक पहुंची रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में रैली को लेकर गठित कमेटियों के पदाधिकारियों, सक्रिय सदस्यों की गतिविधि पर नजर रखने और कार्रवाई करने की जरूरत है. ताकि शांति-व्यवस्था कायम रहे. सरकार के स्तर से सभी जिलों के डीसी-एसपी को रैली में आनेवाले लोगों पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय ने भी अपने स्तर से सभी जिलों के एसपी को अलर्ट भेजा है.
बैठकों में शामिल होनेवालों पर पुलिस रख रही है नजर
रांची. सीएनटी- एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में हो रही बैठकों में जो रिटायर्ड आइएएस और आइपीएस और नेता शामिल हो रहे हैं, उन पर पुलिस अधिकारियों की नजर है. नेता क्या राय दे रहे हैं, बैठक में क्या हो रहा है, इन सब बातों पर भी पुलिस नजर रख रही है. इससे संबंधित एक पत्र आइजी अभियान ने पुलिस अधिकारियों के पास भेजा है. आइजी ने अपने पत्र में एदलहातू में हुई बैठक का भी उल्लेख किया है. जिसमें आदिवासी, सामाजिक संगठन और संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया था. कार्यक्रम में शिव शंकर उरांव के साथ भाजपा विधायक गंगोत्री कुजूर, पूर्व विधायक बंधु तिर्की, देव कुमार धान, पूर्व आइपीएस शीतल उरांव, पूर्व मेयर रमा खलखो, पूर्व आइएएस विनोद किस्पोट्टा, पूर्व आइपीएस आरइभी कुजूर, रिटायर्ड डीएसपी दिनेश उरांव सहित 100 लोग शामिल हुए थे. आइजी अभियान ने निर्देश दिया है कि कतिपय आदिवासी संगठनों, राजनीतिक दलों की आड़ में विधि-व्यवस्था प्रभावित करनेवाली सूचना संकलित करें. उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखें और विधि पूर्वक कार्रवाई करें, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे.