बिना रजिस्ट्रेशन ठेकेदार को 42.5 करोड़ का काम

तकनीकी मापदंड पूरा नहीं करने के बावजूद भी ठेकेदार को सफल घोषित किया गया.यह ठेकेदार मेसर्स संजय अग्रवाल हैं. रांची : सरकार ने 42 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण का काम एक मनमौजी ठेकेदार को दे दिया है. उसने न तो राज्य में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है और न ही उसके पास मशीन है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2016 6:02 AM
तकनीकी मापदंड पूरा नहीं करने के बावजूद भी ठेकेदार को सफल घोषित किया गया.यह ठेकेदार मेसर्स संजय अग्रवाल हैं.
रांची : सरकार ने 42 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण का काम एक मनमौजी ठेकेदार को दे दिया है. उसने न तो राज्य में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है और न ही उसके पास मशीन है.
वह अपनी मर्जी से काम शुरू और बंद करवाता है. सिर्फ इतना ही नहीं, उसने सड़क निर्माण का काम दूसरे ठेकेदार को दे दिया है. सड़क निर्माण में लगा यह मनमौजी ठेकेदार मेसर्स संजय अग्रवाल है.
प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने ऑडिट के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा है कि मुरहू-तपकरा-तोरपा(0-27 किलोमीटर) सड़क निर्माण का काम मेसर्स संजय अग्रवाल को दिया गया. टेंडर के लिए निर्धारित तकनीकी मापदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद उसे सफल घोषित किया गया. 42.50 करोड़ की लागत पर सड़क निर्माण के लिए इस ठेकेदार के साथ नवंबर 2013 में एकरारनामा हुआ. उसे 24 माह अर्थात नवंबर 2015 तक काम पूरा करना था. पर काम अब तक पूरा नहीं हुआ. जांच में पाया गया कि ठेकेदार अपनी मर्जी से निर्माण कार्य शुरू और बंद करता है.
60 दिन में कराना था रजिस्ट्रेशन, नहीं कराया
उसने अब तक झारखंड सरकार के पथ निर्माण से अब तक अपना रजिस्ट्रेशन भी नहीं लिया है. नियमानुसार दूसरे राज्य के ठेकेदार को काम मिलने के बाद 60 दिनों के अंदर राज्य के पथ निर्माण विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. कार्यपालक अभियंता ने निर्माण की प्रगति की समीक्षा के बाद जुलाई 2015 में सरकार को सूचित किया कि इस ठेकेदार ने कार्य स्थल पर निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक उपकरण (मोटर ग्रेडर, डोजर, हॉट मिक्स प्लांट, बिटुमिन स्प्रेयर आदि) नहीं है.
मशीन उपकरण के बिना ठेकेदार द्वारा कराये गये काम की गुणवत्ता को पीएजी ने स्पेेसिफिकेशन के अनुरूप नहीं माना है. स्पेसिफिकेशन के हिसाब से निर्माण कार्य के लिए 89 टेलीफोन व बिजली के खंभे को हटाना था. इसके अलावा 613 पेड़ को हटा कर दूसरी जगह स्थापित करना था. पर ऑडिट के दौरान इस काम खंभा और पेड़ हटाये जाने से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिला.
नियमों का उल्लंघन कर दूसरे को दिया काम
पीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस ठेकेदार को अनुचित आर्थिकलाभ पहुंचाया गया है. निर्धारित समय सीमा पर काम पूरा नहीं करने की वजह से उससे 4.25 करोड़ रुपये बतौर दंड वसूलना था. पर इंजीनियरों ने दंड की वसूली नहीं की. ठेकेदार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए सड़क का काम मेसर्स सरीता कंस्ट्रक्शन को दे दिया है.

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