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सीएनटी-एसपीटी एक्ट : जमीन की प्रकृति बदलने पर भी कायम रहेगा मालिकाना हक

रांची: राज्य सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में इसी वर्ष मई माह में किये गये संशाेधन के बाद भी आदिवासी जमीन का मालिकाना हक पुख्ता करना चाहती है. इसके लिए तीन नवंबर को होने वाली टीएसी की बैठक में चर्चा कर एक्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख करने पर सहमति बनाने की कोशिश की जायेगी. पूर्व में सीएनटी […]

रांची: राज्य सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में इसी वर्ष मई माह में किये गये संशाेधन के बाद भी आदिवासी जमीन का मालिकाना हक पुख्ता करना चाहती है. इसके लिए तीन नवंबर को होने वाली टीएसी की बैठक में चर्चा कर एक्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख करने पर सहमति बनाने की कोशिश की जायेगी.

पूर्व में सीएनटी एक्ट की धारा 21, 49, 71 और एसपीटी एक्ट की धारा 13 में संशोधन के लिए राष्ट्रपति के पास प्रस्ताव भेजा जा चुका है.उसमें सीएनटी और एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन में आधारभूत संरचना निर्माण के लिए आदिवासियों की जमीन लिये जाने के संबंध में प्रावधान किया गया था. इसके अलावा सीएनटी व एसपीटी एक्ट के अंतर्गत आने वाली जमीन की प्रकृति बदलने का अधिकार भी भूस्वामी को सौंपा गया था. वर्तमान में सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में जमीन मालिक को जमीन की प्रकृति बदलने का अधिकार नहीं है. अर्थात, जमीन की प्रकृति अगर कृषि है, तो जमीन मालिक उसका इस्तेमाल कृषि कार्य के लिए ही कर सकता है.

व्यवसाय आदि के लिए नहीं. राज्य सरकार ने इन धाराओं में संशोधन करते हुए जमीन मालिक को जमीन की प्रकृति बदलने का अधिकार देने का निर्णय लिया था. संशोधन के मुताबिक जमीन मालिक अपनी कृषि योग्य जमीन का व्यावसायिक उपयोग कर सकेगा. यानी, उस जमीन पर मकान, दुकान आदि का निर्माण में किया जा सकेगा. हालांकि, जमीन की प्रकृति बदलने के बाद भी उसका मालिकाना हक आदिवासी के पास ही रहेगा. इस बात काे और स्पष्ट करने के लिए टीएसी की बैठक में संबंधित प्रस्ताव लाया जायेगा.

भाजपा विधायकों ने की थी मांग
भाजपा के ही विधायकों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन पर आपत्ति दर्ज करायी थी. टीएसी के सदस्य बनाये गये भाजपा के कुछ विधायकों का यह भी कहना था कि टीएसी में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा के बिना ही उनके हस्ताक्षर करा लिये गये थे. राज्य में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर कई संगठन आंदोलन कर रहे हैं. सरकार ने ताजा हालात में बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है. टीएसी की बैठक कर सरकार मामले का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है. इस मुद्दे को लेकर 18 अक्तूबर को हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में चर्चा हाे चुकी है. इसमें पार्टी के ट्राइबल विधायकों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन पर अलग-अलग विचार रखे थे. कई विधायकाें का मानना था कि एक्ट में संशोधन से आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा. कुछ विधायकों ने मालिकाना हक को और स्पष्ट किये जाने की मांग की थी. इसके बाद भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी को ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी.

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